भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कोरोना संकट के बावजूद भारत में चुनावी रैलियों के आयोजन करने और सामूहिक सभाओं की अनुमति देने का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया. विदेश मंत्री ने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार ने लोगों को ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए 'जमीन-आसमान एक' कर दिया है.
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विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी का भी बचाव किया. इसमें कहा गया था कि भारत ने कोवैक्स समझौते (Covax Agreement) के तहत अन्य देशों में वैक्सीन भेजने के लिए अंतरराष्ट्रीय करार किया है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने जयशंकर के हवाले से कहा, 'कई देशों को कम कीमत पर टीके देने की बाध्यता थी. हमें अपने पड़ोसी मुल्कों की भी चिंता थी और हम नहीं चाहते थे कि हमारे घर के दरवाजे के बाहर (कोरोना) महामारी फैले.'
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इंडिया इंक ग्रुप के चेयरमैन और सीईओ मनोज लाडवा के साथ बुधवार को वर्चुअल इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि सरकार ढीली नहीं पड़ी थी, लेकिन मौजूदा स्थिति तब पैदा हो गई जब लगा कि कोरोना की पहली लहर काबू में है. विदेश मंत्री ने कहा, 'फरवरी के अंत तक रोजाना 10 हजार से भी कम मामले आ रहे थे. यह अब 38 गुना बढ़ गया है.'
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कोरोना संक्रमण बढ़ने की विशेज्ञषों की चेतावनी के बीच देश में चुनावी रैलियां करने, धार्मिक जुटान को अनुमति देने का भी जयशंकर ने बचाव किया. लोगों के जुटान के सवाल पर जयशंकर जवाब में ही सवाल करते हैं. वह कहते हैं, 'धार्मिक जुटान से समस्या है, लेकिन लोग एकत्र होकर धरना दे रहे हैं, क्या वो ठीक है? यह नहीं हो सकता.'
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जयशंकर ने कहा, 'यह कहना आसान है कि हमें किसी तरह की सभा की अनुमति नहीं देनी चाहिए. लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि एक साल पहले क्या कदम उठाए गए थे?'
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जी-7 वार्ता में हिस्सा लेने लंदन पहुंचे विदेश मंत्री ने कहा, 'एक लोकतांत्रिक देश में आपके पास चुनिंदा होने के बहुत विकल्प नहीं होते हैं. कल्पना कीजिए अगर सरकार कहती कि चुनाव नहीं कराएं जाएंगे तो सोचिए...इस पर क्या प्रतिक्रिया आती! एक साल पहले हमने लॉकडाउन लगाया, क्योंकि इस महामारी से निपटने में हम सक्षम नहीं थे. मैंने फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट देखी जिसमें आरोप लगाया गया है कि CAA विरोधी आंदोलन को खत्म करने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था. चुनाव की प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता है.'
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कोरोना संकट के बीच चरमरा चुके स्वास्थ्य व्यवस्था पर एस जयशंकर ने कहा, 'बिल्कुल हेल्थ सिस्टम उजागर हुआ है.' उन्होंने कहा, 'यह बहुत साफ है कि 75 वर्षों में हमने स्वास्थ्य क्षेत्र में कम निवेश किया है. इस बात का अहसास था इसलिए पीएम ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की क्योंकि हम एक ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां हम अपने लोगों को निजी चिकित्सकों के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं. हालांकि वे बेहतर कर सकते हैं. भारत में अभी डॉक्टरों, नर्सों की कमी है, जो बहुत ज्यादा चिंता का विषय है.'
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भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, 'मेडिकल ऑक्सीजन की मांग 1,000 मीट्रिक टन की खपत से बढ़कर 7,500 से 8000 हो गई है और यह मेरा दायित्व है कि मैं इसे पूरा करूं. मैंने इसके लिए जमीन-आसमान एक कर दिया है. हमने औद्योगिक ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन में कन्वर्ट करने के लिए कारोबारियों को प्रोत्साहित किया है. पीयूष गोयल (केंद्रीय उद्योग मंत्री) ऑक्सीजन एक्सप्रेस चला रहे हैं. भारत में केवल 1200 ऑक्सीजन टैंकर थे. नाइट्रोजन टैंकरों को ऑक्सीजन टैंकर में तब्दील करने का प्रयास कर रहे हैं और विदेशों से भी टैंकर खरीदने की कोशिश की जा रही है.'
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एस जयशंकर ने कहा कि भारत में वैक्सीन कंपनियों ने भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन को बढ़ाने की योजना बनाई थी, लेकिन फिर फरवरी और मार्च में यह साफ हो गया कि कच्चे माल की कमी है. उन्होंने बताया, 'मार्च के बाद से हम विदेशों से कच्चे माल लाने के लिए विदेश मंत्रालय के जरिये प्रयास कर रहे हैं.'
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