Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के नियंत्रण के बाद इस देश में हो रहे घटनाक्रम पर दुनिया भर की नजरें बनी हुई हैं. अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के प्रमुख रह चुके डगलस लंदन (Douglas London) ने साफ किया है कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी भारत के लिए कई मायनों में चिंताजनक हो सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
डगलस साल 2016-18 के दौरान दक्षिण-पश्चिम एशिया में आतंकवाद निरोध के लिए सीआईए के प्रमुख के रूप में अफगानिस्तान में थे. 34 सालों के अनुभव के बाद वे वरिष्ठ सीआईए अधिकारी के तौर पर साल 2019 में रिटायर हुए थे. उन्होंने साफ किया कि पाकिस्तान का तालिबान को समर्थन और पाकिस्तानी सेना की हक्कानी नेटवर्क के साथ नजदीकियां भारत के लिए चिंता का विषय है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
डगलस इस महीने रिलीज होने जा रहे अपने संस्मरण 'द रिक्रूटर: स्पायइिंग एंड द लॉस्ट आर्ट ऑफ अमेरिकन इंटेलीजेंस' के चलते भी सुर्खियों में हैं. डगलस ने इस संस्मरण में इस बात को लेकर काफी चर्चा की है कि कैसे साल 2020 में अमेरिकी-तालिबान के बीच शांति समझौता, अमेरिकी इतिहास का सबसे खराब समझौता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत के पास चिंतित होने के वाजिब कारण है. तालिबान के साथ ही कई जिहादी संगठनों को समर्थन देने की पाकिस्तान की नीतियां, भारत-पाक प्रतिद्वंद्विता के दृष्टिकोण के हिसाब से ही बनती रही हैं. पाकिस्तान भारत को एक खतरे के तौर पर देखता है और किसी भी मुद्दे या चुनौती को उसी दृष्टिकोण से देखा जाता रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
डगलस ने कहा कि मुझे इस बात का डर है कि पाकिस्तान द्वारा समर्थित ये जिहादी समूह उनके नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं और यहां तक कि पाकिस्तान में जनरल के शासन के लिए भी खतरा बन सकते हैं. अगर इन जनरलों को जिहादी, धार्मिक या आईएसआईएस जैसे संगठनों द्वारा उखाड़ फेंका जाता है तो ये काफी चिंताजनक होगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत ने पिछले कुछ सालों में इस्लाम विरोधी अभियानों और राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रवाद और धर्म के इस्तेमाल से खुद की किसी भी तरह मदद की है. मेरे हिसाब से ये सब घटनाएं भारत को आंतरिक और बाहरी तौर पर काफी संवेदनशील बना रही हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
डगलस ने इसके अलावा कहा कि भारत का चीन के साथ तनाव साफ तौर पर बढ़ा है. चीन पाकिस्तान का करीबी पार्टनर भी है और वो अब अफगानिस्तान के साथ भी बेहतर संबंध स्थापित करने की कोशिश में है. हालांकि चीन इस बात को भी लेकर भी चिंतित हो सकता है कि अगर तालिबान चीन में उइगर मुस्लिमों के अलगाववाद का समर्थन करता है तो कैसे हालात होंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
डगलस ने कहा कि ये साफ है कि चीन तालिबान को ऐसा ना करने के लिए हतोहत्साहित ही करेगा लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि तालिबानी अन्य जिहादी समूहों को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे. मुझे नहीं लगता कि ये संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के साथ अपने संबंधों को तोड़ेगा. ऐसे में भारत और पूरे सेंट्रल एशिया के लिए ये खतरनाक हो सकता है. (डगलस लंदन/getty images)
मेरे हिसाब से भारत, पाकिस्तान, ईरान और सेंट्रल एशिया के देशों को ये एहसास करने की जरूरत है कि उन्हें कुछ बदलाव की जरूरत है और साथ काम करने की जरूरत है ताकि उन ताकतों को रोका जा सके जो क्षेत्र में अशांति और अस्थिरता के हालात पैदा करने की कोशिशों में है. पाकिस्तानी जनरलों को ये एहसास करने की जरूरत है कि उनके पास ज्यादा समय नहीं है क्योंकि उन्होंने ऐसी कई ताकतों को बढ़ावा दिया है जो उन्हें खुद भी खत्म कर सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)