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लाचारी में झुके इमरान खान, लेना पड़ा ये शर्मनाक फैसला

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST
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पाकिस्तान की सरकार ने कट्टरपंथियों के दबाव में आकर तहरीक-ए-लब्बैक के नेता साद रिजवी को कोट लखपत जेल से रिहा कर दिया है. इमरान खान की सरकार के लिए इसे शर्मनाक फैसला कहा जा रहा है क्योंकि रिजवी की गिरफ्तारी के खिलाफ पुलिस बल भी सामने आने लगे थे. इमरान खान को मजबूरी में रिजवी को रिहा करना पड़ा. संभव है कि आने वाले दिनों में रिजवी की अन्य मांगों को भी इमरान खान मानने के लिए मजबूर होंगे. 

तहरीक-ए-लब्बैक द्वारा जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच इमरान खान की सरकार ने फ्रांसीसी राजदूत को देश निकाला देने के लिए प्रस्ताव लाने का भी ऐलान किया है. इस संबंध में इमरान सरकार आज फैसला करेगी. दरअसल, फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दोबारा प्रकाशित किए जाने के बाद से ही तहरीक-ए-लब्बैक ने पाकिस्तान में विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए थे. जब इमरान खान की सरकार ने लब्बैक के नेता साद रिजवी को गिरफ्तार कर लिया तो प्रदर्शनों में हिंसा भड़क उठी. (फोटो-PTI)

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इमरान खान की दुविधा और मजबूरी सोमवार को दिए गए उनके बयान से भी जाहिर होती है. तहरीक-ए-लब्बैक के हिंसक प्रदर्शनों की तरफ इशारा करते हुए पीएम इमरान खान ने कहा, पाकिस्तान में यह एक बड़ा दुर्भाग्य है कि हमारे राजनीतिक दल और धार्मिक दल इस्लाम का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं और इसका इस्तेमाल ऐसे करते हैं कि वे अपने ही देश को नुकसान पहुंचाते हैं. हालांकि, कट्टरपंथियों के बढ़ते दबाव के बीच इमरान खान की सरकार ने लब्बैक की दूसरी मांगों पर भी अमल करना शुरू कर दिया है.

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पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने मंगलवार को ऐलान किया कि सरकार नेशनल असेंबली में फ्रांसीसी राजदूत के निष्कासन पर एक प्रस्ताव पेश करेगी. जारी वीडियो संदेश में शेख राशिद अहमद ने कहा कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के साथ वार्ता के बाद यह निर्णय लिया गया है.

 

 

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नेशनल असेंबली की सोमवार को बैठक स्थगित हो गई थी और अब इसकी अगली बैठक 22 अप्रैल गुरुवार को होनी थी. लेकिन मंत्री के ऐलान के बात सत्र के कार्यक्रम में बदलाव किया गया. (फोटो-टविटर/@NAofPakistan)

 

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पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने कहा कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान धरना प्रदर्शन खत्म करने पर राजी हो गया है. पार्टी के साथ बातचीत जारी रहेगी. कट्टरपंथी दल के सामने झुकने के साथ ही शेख राशिद अहमद ने कहा कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाएंगे. (फोटो-टविटर/@NAofPakistan)

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यह घोषणा एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल की सोमवार को देर रात लाहौर में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के नेताओं के साथ हुई बैठक बाद किया गया है. इस प्रतिनिधिमंडल में गृह मंत्री और धार्मिक मामलों के मंत्री पीर नूरुल हक कादरी भी शामिल थे. (फोटो-AP)

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पंजाब सरकार और प्रतिबंधित पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच रविवार रात को पहले दौर की वार्ता हुई थी. सोमवार को, सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा था कि दूसरे दौर की वार्ता भी हो चुकी है. इसके बाद ही गृह मंत्री ने इस धार्मिक गुट के प्रस्ताव पर सरकार के आगे बढ़ने की बात कही. (फोटो-AP)

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क्या है पूरा मामला?

असल में, पाकिस्तान की इमरान सरकार ने 16 नवंबर 2020 को तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के पूर्व प्रमुख खादिम हुसैन रिजवी के साथ चार मांगों को लेकर समझौता किया था. संगठन की मांग इस्लामाबाद में फ्रांस के राजदूत को पद से हटाने की थी. इसके तहत संसद की तरफ से कानून पारित किए जाने के बाद फ्रांसीसी राजदूत को वापस भेजा जाना था. (फोटो-AP)
 

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मगर इमरान सरकार और तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के बीच हुआ यह समझौता जमीन पर लागू नहीं हुआ. फरवरी 2021 में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान और इमरान सरकार के बीच एक और समझौता हुआ, जिसमें सरकार को 20 अप्रैल तक फ्रांस के राजदूत के वापस भेजने के वादे पर अमल करने को कहा गया था. लेकिन इससे पहले ही धरना प्रदर्शन की धमकी देने वाले  लब्बैक के नेता साद रिजवी को गिरफ्तार कर लिया गया जिससे पूरे पाकिस्तान में हिंसा भड़क उठी. (फोटो-AP)

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तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान की मांग!

इस संगठन ने पाकिस्तान सरकार के सामने चार मांगें रखी हैं. पहली फ्रांसीसी राजदूत को पाकिस्तान से बाहर निकाला जाए. दूसरा, तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के प्रमुख साद रिजवी रिहा किया जाए. पार्टी पर लगी पाबंदी को खत्म किया जाए और हिंसक प्रदर्शन के दौरान जिन पार्टी कार्यकर्ताओं को जेल भेजा गया है उन्हें रिहा किया जा और उनपर से मामले खत्म किए जाएं. पाकिस्तान की सरकार ने साद रिजवी को रिहा कर ही दिया है और अब नेशनल एसेंबली में फ्रांसीसी राजदूत को निकालने का प्रस्ताव लाने वाली है.

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