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मनमोहन सिंह की परंपरा तोड़ने पर मोदी सरकार ने दी सफाई

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 3:44 PM IST
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कोरोना महामारी के चलते भारत को अपनी 16 साल पुरानी नीति को बदलनी पड़ी है. कोरोना संकट के कारण ऑक्सीजन और मेडिकल सिस्टम बिगड़ने के बाद भारत विदेशों से उपहार, दान और मदद स्वीकार कर रहा है. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने भारत के रुख में आए इस बदलाव का बचाव किया है. उन्होंने गुरुवार को साफ किया है कि इस मुश्किल घड़ी में लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए जो भी बन पड़ेगा, भारत वो सब कुछ करेगा.  

(फाइल फोटो-PTI)

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यह पहली मर्तबा है जब मोदी सरकार के किसी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने विदेशी सरकारों से सहायता लेने और स्वास्थ्य संकट की स्थिति में चीन से आपातकालीन चिकित्सा आपूर्ति खरीदने की भारत के रणनीतिक कदम का बचाव किया है.  

(फोटो-PTI)

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पत्रकारों से बातचीत में भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, 'हम इसे एक ऐसी स्थिति के संदर्भ में देख रहे हैं जो बहुत ही असामान्य है, यह बहुत ही अभूतपूर्व है, यह बहुत ही असाधारण है, और हम इस समय अपने नागरिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जो कुछ हो सकेगा वो सब करेंगे.'

(फोटो-PTI)

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सूत्रों का कहना है कि अमेरिका का बाइडन प्रशासन भारत को एस्ट्राज़ेनेका के टीकों की 20 मिलियन खुराक की आपूर्ति करने वाला है. अगले सप्ताह अमेरिका से एंटीवायरल दवा रेमेडिसविर की 20,000 कोर्स भारत आने वाला है. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बाइडन प्रशासन अपने स्टॉक से 36 मिलिपोर फिल्टर की आपूर्ति कर रहा है. इससे भारत में कोविशील्ड वैक्सीन की 5 लाख खुराक बनाने में मदद मिलेगी. अमेरिका ऑक्सीजन उत्पादन के लिए 17 प्लांट्स की आपूर्ति भी करना चाहता है.


(फोटो-PTI)
 

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अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे प्रमुख शक्तिशाली देशों सहित दुनिया भर के लगभग 40 देशों ने भारत को कोरोना संकट से निपटने में मदद करने के लिए चिकित्सा आपूर्ति और मदद मुहैया कराने का ऐलान किया है. कई देशों से ऑक्सीजन और मेडिकल सप्लाई की मदद पहुंच भी चुकी है. बांग्लादेश और भूटान भी भारत की कोरोना संकट से निपटने में मदद के लिए आगे आए हैं. बांग्लादेश ने घोषणा की है कि वह एंटी-वायरल दवाई की 10,000 शीशियां, 30,000 पीपीई किट्स और अन्य जरूरी दवाइयां भारत भेजेगा.
(फोटो-PTI)

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असल में, भारत अभी कोरोना महामारी के सबसे भयानक दौर से गुजर रहा है. प्रतिदिन आने वाले रिकॉर्ड मामले, बड़ी संख्या में मौतें और अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत से भारतीय नागरिक बेहाल हैं. लिहाजा, भारत सरकार को अपनी 16 पुरानी नीति बदलनी पड़ रही है जबकि मनमोहन सिंह ने यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था भारत अपने दम पर आपदा के हालातों से निपटने में सक्षम है, उसे बाहरी मदद की आवश्यकता नहीं है.

 
(फाइल फोटो-India Today)

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मगर मौजूदा कोरोना संकट के चलते भारत सरकार को अपने रुख में बदलाव करना पड़ा है. अब राज्य सरकारें भी विदेशी एजेंसियों और बाहरी देशों से मदद ले सकेंगे, इमर्जेंसी मेडिकल इक्वीपमेंट्स खरीद सकेंगे और उनके रास्ते में केंद्र नहीं आएगा.

(फोटो-PTI)

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मोदी सरकार का ये कदम सालों पुरानी उस नीति के उलट है जिसके तहत भारत अपनी आत्मनिर्भरता और स्वयं की उभरती हुई शक्ति वाली छवि पर जोर देता रहा है. यह पिछले 16 वर्षों की नीति से एक उल्लेखनीय बदलाव है, क्योंकि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने विदेशी स्रोतों से मदद नहीं लेने का फैसला किया था.   

( फाइल फोटो-PTI)

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विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि महामारी के चलते अभूतपूर्व स्थिति पैदा हो गई है और भारत किसी भी नीति के संदर्भ में अपने सहयोगियों और साझेदारों से मेडिकल सप्लाई और मदद के लिए मुंह नहीं देख रहा है. उन्होंने कहा, 'हमने मदद की, अब हमें मदद मिल रही है. यह एक-दूसरे पर निर्भरता वाली दुनिया को दर्शाता है. यह एक ऐसी दुनिया को दिखाता है जो एक-दूसरे के साथ काम कर रही है.' भारत पहले ही दुनियाभर के देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन और कोरोना टीका मुहैया करा चुका है. भारत ने 80 से अधिक देशों को लगभग 6.5 करोड़ रुपये की वैक्सीन भेजी है. 


(फोटो-PTI)

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विदेश सचिव ने कहा, 'वे (बाहरी देश) मदद कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत की सहायता करनी चाहिए. भारत ने हमारी मदद की है, अब हमें भारत की मदद करनी चाहिए.' हमें नहीं लगता है कि हम इस नीति के संदर्भ में इन चीजों को देख रहे हैं.


(फोटो-PTI)

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हालांकि, भारत मदद या दान लेने की शुरुआत करने को अपनी 16 साल पुरानी नीति में बदलाव नहीं मानता है. सूत्रों का कहना है कि यह दान या मदद लेना नहीं है. उन्होंने दावा किया कि भारत ने मदद की 'अपील' नहीं की थी और खरीदारी की नीति है. एक सूत्र ने कहा, "अगर कुछ सरकारें या निजी संस्थाएं उपहार के रूप में दान करना चाहती हैं, तो हम इसे कृतज्ञता के साथ स्वीकार करते हैं."

(फोटो-PTI)
 

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बहरहाल, भारत सरकार सभी विदेशी सरकारों और एजेंसियों को इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी को दान करने के लिए कह रही है, जिसके बाद एक एम्पावर्ड ग्रुप उन्हें आगे भेजने का तरीका बताएगा. विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा, “हमारे पास निश्चित रूप से प्राथमिकता वाले आइटम हैं जिनकी हमें आवश्यकता है. हम ये चीजें कई देशों से मिल रही हैं. लेकिन कई देश मदद देने के लिए अपने दम पर आगे आए हैं.”

(फोटो-भारतीय विदेश मंत्रालय)

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असल में भारत के कोरोना संकट पर दुनिया भर की नजर है और दुनिया के कई देश भारत की मदद के लिए आगे आए हैं. चाहे वो सिंगापुर का भारत को मेडिकल ऑक्सीजन भेजना हो या सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों का मदद के लिए आगे आना. अमेरिका और पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भी इस मौके पर मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है.

(फोटो-PTI)

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