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ईरान में राष्ट्रपति चुनाव, खामेनेई का दबदबा कितना रहेगा कायम?

aajtak.in
  • दुबई,
  • 17 जून 2021,
  • अपडेटेड 10:37 PM IST
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ईरान में शुक्रवार, 18 जून को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले हैं. चुनाव में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर उम्मीदवार कट्टरपंथी माने जा रहे हैं. ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के करीबी भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. चुनावी प्रक्रिया पर निगरानी रखने वाली संस्था गार्डियन काउंसिल ने सात उम्मीदवारों को मैदान में उतरने की इजाजत दी है. हालांकि चुनाव के लिए काफी लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन सात प्रत्याशियों को ही इजाजत मिल पाई जबकि बाकी लोगों को अयोग्य करार दे दिया गया. जिन लोगों को चुनाव में हिस्सा लेने की इजाजत मिली है उनमें 5 'कट्टरपंथी' माने जाते हैं और बाकी दो प्रत्याशी 'उदारवादी' कहे जा रहे हैं.

विश्लेषकों और अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि इस चुनाव में अयातुल्ला अली खामेनेई के करीबी इब्राहिम रईसी को जीत मिलनी पक्की है. वह पेशे से न्यायाधीश हैं और कट्टरपंथी रुझान वाले माने जाते हैं. उनकी पकड़ ईरान के रक्षा प्रतिष्ठानों तक है.

(फोटो-Getty Images)

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चुनाव अधिकारियों ने इस बार 5 करोड़ 90 लाख ईरानियों में से सिर्फ 40 फीसदी को मतदान करने की अनुमति दी है. सरकार के आलोचकों का कहना है कि आर्थिक तंगी को लेकर ईरानियों में नाराजगी है. यह आर्थिक तंगी अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते बनी है. आरोप लगाया जा रहा है कि इसके चलते निर्वाचन प्रक्रिया का संचालन करने वाली संस्था गार्डियन काउंसिल ने कई उम्मीदवारों को चुनाव में जाने से रोक दिया.

(फोटो-AP)

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खामेनेई के करीबी इब्राहिम रईसी के साथ चार और कट्टरपंथी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जो पश्चिम विरोधी माने जाते हैं. इनमें पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली के साथ अन्य मध्यमार्गी उम्मीदवार शामिल हैं. इनमें जिसे जीत मिलेगी, वो ईरान के मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी की जगह लेगा, जो व्यावहारिक सोच वाले नेता माने जाते हैं.

(फोटो-AP)

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इब्राहिर रईसी के अलावा, मोहसिन रेज़ाई, सईद जलीली, सुधारवादी नेता मोहसिन मेहरालिज़ादेह, अब्दुल नासिर हिम्मती, अली रज़ा ज़कानी और आमिर हुसैन क़ाज़ीज़ादेह हाशमी चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

(अब्दुल नासिर हिम्मती, फोटो-AP)
 

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अमेरिका की तरफ से 2015 के परमाणु समझौते को रद्द करने और आर्थिक पाबंदियों के लादे जाने से वहां प्रतिक्रियावादी राजनीति का ज्यादा जोर है. अभी चुनावी मैदान में जितने उम्मीदवार हैं, सभी पश्चिम विरोधी हैं. 

(फोटो-AP)

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उदारवादी माने जाने वाले उम्मीदवार मोहसिन मेहरालिज़ादेह ने एक टेलीविज़न चुनावी बहस में कहा था, 'उन्होंने (खामेनेई) एक विशेष व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया है.' हालांकि खामेनेई ने सार्वजनिक रूप से किसी को समर्थन देने की बात नहीं कही है. 

(फोटो-AP)

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इस बार के मतदान में कम लोगों की भागीदारी की बात कही जा रही है. मौजूदा सरकार के समर्थक मतदान करेंगे, लेकिन सरकार से नाराज लोग इस चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं. इनमें 2011 से नजरबंद विपक्षी नेता मिरहोसिन मौसवी भी शामिल हैं. मौसवी ने एक बयान में कहा, "मैं उन लोगों के साथ खड़ा रहूंगा जो अपमानजनक, चुनावी घालमेल, पर्दे के पीछे, चोरी-छिपे और गुप्त फैसलों से थक चुके हैं."

(फोटो-@IranIntl_En)

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मौसवी और सुधारवादी नेता मेहदी करौबी 2009 में राष्ट्रपति चुनाव लड़े थे. मौसवी 2009 में उस समय सुधार समर्थक ईरानियों के लिए प्रमुख चेहरा बन गए जब चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए लोग सड़कों पर उतर आए थे. उस दौरान कट्टर माने जाने वाले महमूद अहमदी नेजाद चुनाव जीते थे.

(फोटो-AP)

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अगर शुक्रवार को होने वाले चुनाव में इब्राहिम रईसी जीत जाते हैं तो उनके खामेनेई का उत्तराधिकार बनने की भी संभावना बढ़ जाएगी. मतलब इब्राहिम भविष्य में ईरान के सर्वोच्च नेता भी बन सकते हैं. अयातुल्ला अली खामेनेई भी ईरान का सुप्रीम नेता बनने से पहले दो बार राष्ट्रपति रह चुके हैं.

फिलहाल, रईसी को न केवल मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी के उत्तराधिकार की रेस में सबसे आगे देखा जा रहा है बल्कि कुछ का कहना है कि सुप्रीम नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के वारिस भी हो सकते हैं. माना जा रहा है कि ईरान के चुनाव में हिस्सा ले रहे अन्य उम्मीदवारों के पास इब्राहिम रईसी जैसा रसूख और रुतबा हासिल नहीं है.

(फोटो-Getty Images)

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ईरान में मानवाधिकारों की वकालत करने वाले गुट हजारों राजनीतिक बंदियों को सजा सुनाने वाले जज के तौर पर इब्राहिम रईसी की आलोचना करते रहे हैं. इब्राहिम की आलोचना करने वालों में वे भी शामिल हैं जो 2017 में हसन रूहानी से चुनाव हार गए थे. अयातुल्ला अली खामेनेई ने 2019 में इब्राहिम रईसी को न्यायपालिका का प्रमुख नियुक्त किया था.

(फोटो-Getty Images) 

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हालांकि, ईरानी अप्रत्याशित चुनाव परिणामों से भी इनकार नहीं कर रहे हैं. उम्मीद से उलट 2005 के राष्ट्रपति चुनाव में लोहार के बेटे और पूर्व रिवोल्यूशनरी गार्ड अहमदीनेजाद ने शक्तिशाली माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफसंजानी को मात दी थी. 

(फोटो-AP) 

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तेहरान स्थित विश्लेषक सईद लेयाज़ कहते हैं, "सईद जलीली को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए. वह हैरान कर सकते हैं." हालांकि सार्वजनिक रूप से खामेनेई ने किसी उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि वह राष्ट्रपति के रूप में इब्राहिम रईसी या जलीली जैसे मजबूत वफादार को पसंद करेंगे.

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चुनाव से ईरान की विदेश और परमाणु नीतियों में बड़ा बदलाव आने की संभावना नहीं है. इन नीतियों को खामेनेई ने ही तय किया है. लिहाजा अगर कोई कट्टर व्यक्ति राष्ट्रपति चुना जाता है तो इससे खामेनेई के हाथ मजबूत ही होंगे. 

(फोटो-Getty Images) 

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