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इजरायल के लिए अमेरिका ने उठाया बड़ा कदम, फिलिस्तीन को झटका

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 मई 2021,
  • अपडेटेड 11:14 PM IST
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अमेरिका ने एक हफ्ते में तीसरी बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर साझा बयान जारी करने से रोक दिया है. इजरायली मीडिया ने मामले से जुड़े राजनयिकों के हवाले से ये रिपोर्ट छापी है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रविवार को हुई आपात बैठक के बाद नॉर्वे, ट्यूनीशिया और चीन ने बयान पेश किया जिसमें दोनों पक्षों से सीजफायर की मांग की गई थी लेकिन अमेरिका ने इसे जारी नहीं होने दिया. हालांकि, अमेरिकी दूतावास की तरफ से इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं आई है.

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संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने दलील दी कि अमेरिका कूटनीतिक चैनलों के जरिए इस संघर्ष को खत्म करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है. अमेरिकी प्रतिनिधि हैदी आमर शुक्रवार को तेल अवीव पहुंचे हैं और सीजफायर कराने के लिए इजरायली-फिलिस्तीनियों के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं. 

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अमेरिकी राजदूत थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि फिलिस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास इजरायल पर रॉकेट दागना तत्काल बंद कर दे. हालांकि, उन्होंने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार पर जोर नहीं दिया जिसका जिक्र अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर अन्य शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों के बयानों में लगातार हो रहा है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चरमपंथी संगठन हमास के हमले के जवाब में इजरायल को अपनी सुरक्षा करने का पूरा हक है. 

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15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में से 14 देशों ने इजरायल-गाजा में हो रही हिंसा को लेकर संयुक्त बयान जारी करने की मांग की. हालांकि, परिषद में किसी भी बयान को जारी करने के लिए सभी देशों की सहमति जरूरी होती है. अगर कोई एक देश भी विरोध करता है तो किसी भी मामले पर बयान जारी नहीं किया जा सकता है. इसी ताकत का इस्तेमाल करते हुए अमेरिका ने इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर बयान जारी नहीं होने दिया. अमेरिका ने दलील दी कि वह अपने स्तर पर राजनयिक प्रयास कर रहा है और उसे थोड़ा वक्त और चाहिए.

सुरक्षा परिषद की तरफ से जो संयुक्त बयान जारी होना था, उसमें तत्काल सीजफायर की मांग और दोनों पक्षों की तरफ से हो रही हिंसा की निंदा की गई थी. बता दें कि इजरायल-फिलिस्तीन के बीच चल रहे मौजूदा संघर्ष को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देश बंद कमरे में दो बैठकें कर चुके हैं. रविवार को परिषद की तीसरी बैठक हुई लेकिन इसमें भी कोई बयान जारी नहीं हुआ.
 

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रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले सप्ताह जब सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने रविवार को बैठक बुलानी चाही तो अमेरिका ने इसका भी विरोध किया. अमेरिका ने कहा कि वह मंगलवार तक इंतजार करना पसंद करेगा. हालांकि, जब कई देशों की तरफ से बैठक बुलाए जाने का दबाव बढ़ने लगा तो अमेरिका ने हामी भर दी. रविवार को हुई बैठक के बाद अमेरिकी मिशन के एक अधिकारी से जब पूछा कि क्या अमेरिका संयुक्त बयान जारी करने का समर्थन करेगा तो अधिकारी ने कहा कि फिलहाल उनका जोर कूटनीतिक प्रयासों पर ज्यादा है.
 

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद नॉर्वे की विदेश मंत्री मोना जुल ने कहा कि उनकी सरकार का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों को एक सुर में हिंसा रोकने को लेकर स्पष्ट संदेश जारी करना चाहिए और फिलिस्तीनियों के लिए अलग से राष्ट्र बनाए जाने का समर्थन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि नॉर्वे सुरक्षा परिषद में लगातार अपनी कोशिशें जारी रखेगा.
 

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जॉर्डन और मिस्त्र ने भी सीजफायर की मांग की है. बैठक में शामिल अधिकतर राजनयिकों ने गाजा में इजरायली हमले की कड़ी निंदा की. वहीं, कुछ सदस्य देशों ने गाजा में हमास के रॉकेट दागने की भी आलोचना की. हालांकि, अमेरिका को छोड़कर सभी ने शेख जर्राह से फिलिस्तीनियों को निकालने की इजरायल की योजना का विरोध किया और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान दो राष्ट्र के सिद्धांत में बताया.

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इजरायल का बचाव करने की कोशिश को लेकर चीन भी अमेरिका को लगातार निशाने पर ले रहा है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने यूएनएससी को दो बार संयुक्त बयान जारी करने से रोकने को लेकर अमेरिका की आलोचना की. वांग ने कहा, चीन लगातार यूएनएसी की ओर से बयान जारी कराने के लिए कोशिशें कर रहा है लेकिन अफसोस की बात है कि सिर्फ एक देश की वजह से हम मिलकर आवाज नहीं उठा पा रहे हैं. उन्होंने कहा, हम अमेरिका से अपनी जिम्मेदारी निभाने की अपील करते हैं. वो सही पक्ष ले और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर सुरक्षा परिषद की क्षेत्र में तनाव घटाने और समझौता कराने के प्रयास में मदद करे.

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अभी तक अमेरिका की तरफ से जितने भी बयान आए हैं, उनमें इजरायल के हमलों की निंदा करने के बजाय दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की गई है. रविवार को भी अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सीजफायर की मांग की लेकिन इजरायल के गाजा में हमलों को लेकर कुछ नहीं कहा.
 

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फिलिस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल मालिकी ने भी इजरायल का बचाव करने वाले देशों की आलोचना की. रियाद मालिकी ने कहा कि इजरायल को हमेशा से फिलिस्तीनियों पर अत्याचार करके बच निकलने का मौका दिया जाता रहा है. इसी का नतीजा है कि इजरायल फिलिस्तीनियों को नींद में ही मार दे रहा है. रियाद ने चीन को बैठक बुलाने का शुक्रिया भी अदा किया. उन्होंने कहा कि कोई भी शब्द इस दहशत को बयां नहीं कर सकता है. बच्चे, जवान, गर्भवती महिलाओं समेत पूरे के पूरे परिवार को ही मार दिया जा रहा है. फिलिस्तीन के विदेश मंत्री ने कहा कि इजरायल यरुशलम से फिलिस्तीनियों को जड़ से उखाड़कर फेंकने की योजना पर काम कर रहा है और गाजा में उनकी जानें ले रहा है.

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उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से सवाल किया कि फिलिस्तीनियों को अपनी रक्षा करने के लिए क्या करना चाहिए और क्या उनकी जवाबी कार्रवाई को आत्मरक्षा माना जाएगा या फिर आतंकवाद. रियाद ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इजरायल के हमले को रोकने के लिए क्या करेगा, क्या वो प्रतिबंध लगाएंगे या सैन्य हस्तक्षेप करेंगे या बातचीत या फिर कुछ भी नहीं? फिलिस्तीन के विदेश मंत्री ने कहा कि इजरायल आपको अपने साथ लाने की कोशिश करेगा लेकिन आप ये बात जान लीजिए कि वे सैन्य हमले में आपका साथ चाहते हैं.

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वहीं, सुरक्षा परिषद में इजरायली राजदूत गिलाड एर्डन ने सदस्य देशों से हमास के हमले की निंदा करने की मांग की. इजरायली राजदूत ने कहा कि हमास का हमला पूर्वनियोजित था और वह फिलिस्तीनियों की कीमत पर अपना राजनीतिक प्रभाव बढ़ाना चाहता है. एर्डन ने चेतावनी दी कि अगर संयुक्त राष्ट्र ऐसा करने में नाकाम रहता है तो इससे 'आतंकी संगठन' हमास को और बढ़ावा मिलेगा.

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