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इजरायल में नेफ्टाली बेनेट PM बनने के करीब, मुस्लिम देशों की बढ़ेगी चुनौती

प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:28 PM IST
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इजरायल में पिछले 12 सालों से जारी बेंजामिन नेतन्याहू का युग खत्म होने की कगार पर है. नेतन्याहू को संसद में बुधवार आधी रात तक बहुमत साबित करना था लेकिन उसके 35 मिनट पहले येश एटिड पार्टी के नेता येर लेपिड ने राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन को सूचित किया कि वो नई सरकार बनाने के लिए तैयार हैं. येर लेपिड ने राष्ट्रपति से कहा है कि इस सरकार में प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट होंगे. इसके साथ ही इजरायल की सत्ता में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे नेतन्याहू को कुर्सी छोड़नी पड़ेगी.

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नई सरकार की शर्तों के अनुसार, बेनेट सितंबर 2023 तक प्रधानमंत्री रहेंगे. उसके बाद लेपिड प्रधानमंत्री बनेंगे और नवंबर 2025 तक रहेंगे. यह समझौता रा'म (Ra'am) पार्टी के नेता मंसूर अब्बास के साथ आने से हुआ. यह पहली बार होने जा रहा है जब इस्लामिक पार्टी सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बनने जा रही है. 

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नेफ्टाली बेनेट अगर प्रधानमंत्री बनते हैं तो यह अपने आप में बहुत चौंकाने वाला होगा. इजरायल की 120 सदस्यों वाली संसद में बेनेट के महज सात सांसद हैं. इजरायली संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेतन्याहू की लिकुड पार्टी है. लिकुड पार्टी के 30 सांसद हैं और दूसरे नंबर पर येर लेपिड की येश एडिट पार्टी है. येश एटिड के 17 सांसद हैं. सरकार बनाने के लिए 61 सांसदों का समर्थन चाहिए लेकिन किसी भी पार्टी के पास इतने सांसद नहीं है. ऐसा तब है जब पिछले साल स्पष्ट बहुमत के लिए तीन बार चुनाव हो चुके हैं. दरअसल, बेनेट के समर्थन पर ही नेतन्याहू की सरकार टिकी थी. वे किंगमेकर की भूमिका में हैं लेकिन अब किंग की कुर्सी के करीब पहुंच चुके हैं.  
 

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सात सांसदों से प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले नेफ्टाली बेनेट कौन हैं? 
नेफ्टाली बेनेट अगर प्रधानमंत्री बनते हैं तो फिलिस्तीन के साथ तनातनी और बढ़ सकती है. बेनेट वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम को इजरायल में मिलाने की बात करते हैं. हालांकि, दोनों इलाका 1967 में मध्य-पूर्व के युद्ध के बाद से इजरायल के पास ही है लेकिन इसे अंतराष्ट्रीय समुदाय इजरायल का अवैध नियंत्रण मानता है. 
 

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बेनेट नेतन्याहू से भी ज्यादा यहूदी राष्ट्रवाद के समर्थक हैं. वे कहते हैं कि इजरायल एक यहूदी राष्ट्र है. इसका मतलब ये हुआ कि इजरायल में अरब मूल के लोगों को वो दोयम दर्जे का नागरिक मानते हैं. बेनेट पू्र्वी यरुशलम और वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियां बसाने का समर्थन करते हैं. इसके साथ ही, फिलिस्तीन अतिवादियों को जेल नहीं बल्कि मौत की सजा देने के हिमायती हैं. 49 साल के बेनेट प्रधानमंत्री नेतन्याहू के वफादार रहे हैं लेकिन अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के कारण साल 2009 में उनसे अलग हो गए थे. बेनेट 2006 से 2008 तक इजरायल के चीफ ऑफ स्टाफ रहे थे. सेना में सेवा देने के बाद वे एक सफल कारोबारी भी बने.

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नेफ्टाली बेनेट के हाथ में इजरायल की सत्ता आने के बाद मध्य-पूर्व के इस्लामिक देशों से तनातनी और बढ़ सकती है. पिछले महीने 11 दिनों तक इजरायल हमास के बीच हिंसक संघर्ष हुआ तो इसमें इस्लामिक देशों की गोलबंदी हमास के साथ दिखी थी. तुर्की और पाकिस्तान, इजरायल के खिलाफ सबसे ज्यादा बोल रहे थे. तुर्की, पाकिस्तान के साथ सऊदी अरब समेत कई इस्लामिक देश और दुनिया के बाकी देश भी चाहते हैं कि फिलिस्तीन एक स्वतंत्र मुल्क बने जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम हो. लेकिन बेनेट इजरायल से लगे फिलीस्तीन को अलग देश बनाने की मांग को खारिज करते हैं. ऐसे में अरब देशों के साथ भी तनाव बढ़ना लाजिमी है.  
 

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बेनेट ने सेना में सेवा देने के बाद टेक कंपनियां बनाई थीं और यहां से इन्होंने अच्छी खासी कमाई की थी. ईरान को लेकर बेनेट काफी आक्रामक रहते हैं. हाल ही में ईरानी कुद्स बलों के प्रमुख ने कहा था कि यहूदियों को यूरोप और अमेरिका लौट जाना चाहिए. अगर बेनेट पीएम बनते हैं तो ईरान से भी तनातनी बढ़नी तय है.

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बेनेट के माता-पिता का जन्म अमेरिका में हुआ था. अभी बेनेट अपने चार बच्चों के साथ सेंट्रल सिटी रानना में रहते है. 2005 में बेनेट अपनी टेक स्टार्ट-अप 14.5 करोड़ डॉलर में बेच राजनीति में एंट्री मारी थी. फिलीस्तीनियों को लेकर बेनेट काफी आक्रामक रहे हैं. 2013 में उन्होंने कहा था कि आतंकवादियों को मार देना चाहिए न कि उन्हें रिहा करना चाहिए. बेनेट कहते हैं कि यहां कोई फिलीस्तीनी स्टेट नहीं था जबकि यहूदी स्टेट पहले से ही था. बेनेट 2013 से 2019 तक लगातार गठबंधन सरकार में मंत्री रहे हैं. नेतन्याहू मंत्रिमंडल में भी बेनेट अर्थव्यवस्था और शिक्षा मंत्री रहे हैं. बेनेट मुक्त बाजार और अर्थव्यवस्था के घोर समर्थक हैं.

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हालांकि, अगर नेफ्टाली बेनेट के नेतृत्व में नई सरकार बनती भी है तो ये नहीं कहा जा सकता है कि इजरायल को एक स्थायी सरकार मिल गई है. नेफ्टाली बेनेटे के पास कुल सात सांसदों का समर्थन है और उनके एक सांसद ने कहा है कि वे नए गठबंधन के खिलाफ वोट कर सकते हैं.

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