भारत के कोरोना संकट से नई दिल्ली स्थित विदेशी दूतावास भी प्रभावित हुए हैं. कोरोना संकट के बीच फिलीपींस के दूतावास में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति यूथ कांग्रेस की ओर से करने पर विवाद भी पैदा हो गया है. यूथ कांग्रेस (कांग्रेस पार्टी का युवा मोर्चा) के सदस्यों ने एक मई को फिलीपींस के दूतावास में ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचाने का वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया था. इस वीडियो को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने रीट्वीट करते हुए विदेश मंत्रालय पर ताना मारते हुए कहा था कि क्या भारत का विदेश मंत्रालय सो रहा है?
जयराम रमेश के इस ट्वीट का विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब देते हुए दो मई को लिखा कि फिलीपींस दूतावास से संपर्क किया गया है और वहां कोई भी कोरोना से पीड़ित नहीं है. जयशंकर ने जयराम रमेश पर हमला करते हुए लिखा कि ये सब सस्ती लोकप्रियता के लिए किया जा रहा है और ऑक्सीजन के लिए लोग परेशान हैं इसलिए यह जरूरतमंदों तक पहुंचना चाहिए.
मामला यहीं नहीं थमा. यूथ कांग्रेस ने फिलीपींस के दूतावास से ऑक्सीजन के लिए अनुरोध का स्क्रीनशॉट ट्विटर पर पोस्ट कर दिया. इस पोस्ट के साथ यूथ कांग्रेस ने ट्विटर पर लिखा, ''हमें फिलीपींस के दूतावास से दो कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर की आपातकालीन आपूर्ति का अनुरोध आया था. सिलिंडर दूतावास के अनुरोध के हिसाब से पहुंचाए गए थे. सिलिंडर पहुंचाने के बाद दूतावास ने हमें शु्क्रिया का संदेश फेसबुक पर दिया. सभी स्क्रीनशॉट अटैच हैं बस नाम और नंबर, निजता का सम्मान करते हुए छुपा लिया गया है.''
यूथ कांग्रेस की इस पोस्ट को जयराम रमेश ने रीट्वीट करते हुए एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर पर ताना मारते हुए लिखा, ''माननीय मंत्री जी, अब आप क्या कहेंगे?'' इस पर जयशंकर ने जवाब देते हुए लिखा, ''मैं यही कहूंगा कि न तो वाकई में और न ही कल्पना में ऑक्सीजन बर्बाद कीजिए. विदेश मंत्रालय कभी सोता नहीं है- शुभ रात्रि.''
जयराम रमेश ने सोमवार को यानी आज सुबह नौ बजे एस. जयशंकर को फिर जवाब दिया. अपने जवाब में जयराम रमेश ने लिखा, ''माननीय मंत्री जी, कथनी की तुलना में करनी ज्यादा मजबूत होती है. किसी भी तरह के 'छवि प्रबंधन' से ये हकीकत नहीं छुप सकती है कि लोग ऑक्सीजन के बिना दम तोड़ रहे हैं. कृपया अपना काम कीजिए न कि जो मदद कर रहा है, उसे बदनाम करें. यूथ कांग्रेस ने राह दिखाई है और हमें उन पर गर्व है.''
लेकिन रविवार को ही यह मामला बहुत विवादित हो चुका था. पूरे विवाद पर विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक प्रेस रिलीज जारी किया और विदेशी दूतावासों को बहुत ही सख्त संदेश दिया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ''भारत स्थित उच्चायोगों और दूतावासों में कोविड से जुड़ी मेडिकल आपूर्ति को लेकर चीफ प्रोटोकॉल और विभागीय प्रमुख हमेशा संपर्क में रहते हैं. इनमें अस्पताल में इलाज की बात शामिल है. महामारी के हालात में सभी से अनुरोध है कि वे जरूरी मेडिकल आपूर्ति, जिसमें ऑक्सीजन भी शामिल है, उसे जमा न करें.''
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस बयान को ट्विटर पर भी साझा किया. बागची के इस ट्वीट की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हुई कि भारतीय विदेश मंत्रालय दूतावासों पर जमाखोरी का आरोप लगा रहा है.
अंग्रेजी अखबार द हिन्दू की डिप्लोमैटिक अफेयर्स एडिटर सुहासिनी हैदर ने विदेश मंत्रालय के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा, ''नई दिल्ली स्थित विदेशी दूतावासों के लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बहुत ही सख्त शब्दों का इस्तेमाल किया है. विदेश मंत्रालय ने दूतावासों को चेतावनी दी है कि वे ऑक्सीजन समेत मेडिकल आपूर्ति को 'जमा' ना करें. जब पूरी दुनिया भारत की मदद कर रही है तो अनुचित विवाद से बचने की जरूरत है.''
मामला केवल फिलीपींस के दूतावास का ही नहीं है. नई दिल्ली स्थित न्यूजीलैंड उच्चायोग ने मेडिकल ऑक्सीजन के लिए अपील की थी और वहां भी यूथ कांग्रेस की टीम पहुंच गई. दो मई को नई दिल्ली में न्यूजीलैंड उच्चायोग के आधिकारिक ट्वीट हैंडल से एक ट्वीट किया गया, जिसमें स्पष्टीकरण देने की कोशिश की गई है. इस ट्वीट में लिखा गया है, ''हम लोग ऑक्सीजन सिलिंडर की तत्काल जरूरत के लिए सभी स्रोतों से व्यवस्था करने की अपील कर रहे है और हमारी अपील को दुर्भाग्य से गलत मायनों में लिया गया.''
यूथ कांग्रेस ने न्यूजीलैंड उच्चायोग में भी ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचाने का वीडियो पोस्ट किया. यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, ''न्यूजीलैंड उच्चायोग ने गेट खोलकर ऑक्सीजन सिलिंडर स्वीकार किया और हमें शुक्रिया कहा. उच्चायोग में कोविड से लोग गंभीर रूप से बीमार हैं.''