उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने देश के नए प्रधानमंत्री का ऐलान किया है. उन्होंने उत्तर कोरिया के प्रधानमंत्री पद पर किम टोक हुन को नियुक्त किया है. किम टोक की नियुक्ति किम जेई रीयोंग के स्थान पर की गई है.
दरअसल, उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए के मुताबिक
किम टोक सत्तारूढ़ दल के वाइस चेयरमैन के पद पर भी हैं. किम जोंग ने यह
फैसला गुरुवार को सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की पोलित ब्यूरो की प्योंगयांग
में हुई बैठक के दौरान लिया.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक
पोलित ब्यूरो की बैठक में उत्तर कोरिया के परमाणु एवं मिसाइल विकास
कार्यक्रम के प्रभारी री प्योंग चोल को वर्कर्स पार्टी की पोलित ब्यूरो का
सदस्य चुना गया. बैठक में किम जोंग उन ने कहा, उत्तर कोरिया इस समय दो तरह
की चुनौतियों से जूझ रहा है.
उत्तर कोरिया पर दोहरी मार!
किम जोंग उन ने कहा कि उत्तर कोरिया इस
समय कोरोना से बचने का उपाय लगातार कर रहा है साथ ही इसी समय प्राकृतिक
आपदा आई हुई है.
भारी बारिश और बाढ़ से देश की करीब 40 हजार हेक्टेयर भूमि
की खेती बर्बाद हो गई है. इस आपदा से तमाम सड़कें, पुल इत्यादि को भी भारी
नुकसान पहुंचा है.
रिपोर्ट के मुताबिक पड़ोसी दक्षिण कोरिया ने कहा है कि वह उत्तर कोरिया को मानवीय सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है.
इसके
अलावा बैठक में सीमावर्ती केसोंग शहर से तीन हफ्ते का लॉकडाउन खत्म करने
का भी फैसला किया गया. यह वही शहर है जहां दक्षिण कोरिया गया एक व्यक्ति
वापस आया था और जांच में उसमें कोरोना संक्रमण के लक्षण पाए गए थे. इसके
बाद 24 जुलाई से केसोंग में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था.
एक तथ्य यह भी है कि परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम जारी रखने के कारण उत्तर कोरिया लंबे समय से
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. इससे उसकी हालत दिनों-दिन
कमजोर होती जा रही है.
कोरोना को लेकर किम जोंग उन ने बताया कि
फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है. उत्तर कोरिया ने शुरुआत में ही अपने देश की
सभी सीमाओं को सील कर दिया था. इसके अलावा उसने विदेशी पर्यटकों के
आनेजाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. अप्रैल-मई माह में हजारों लोगों को शक के
आधार पर क्वारनटीन किया गया था.
पिछले महीने कोरोना संकट के बीच
भारत ने उत्तर कोरिया को मदद पहुंचाई है. भारत ने उत्तर कोरिया को टीबी की
दवा के रूप में 10 लाख डॉलर की मेडिकल सहायता भेजने का फैसला किया है. भारत
ने यह सहायता विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुरोध के बाद दी है.