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विश्व

World's Private Armies: रूस का वैगनर समूह ही नहीं, ये भी हैं दुनिया की खतरनाक निजी सेनाएं

ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST
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दुनिया में कई निजी सेनाएं हैं. यानी प्राइवेट मिलिट्री. ये अपनी ताकत, संख्या और कॉन्ट्रैक्ट्स के आधार पर महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. पैसों के बदले सुरक्षा मुहैया कराती हैं. जिस हिसाब से दुनिया भर में हथियारबंद संघर्ष बढ़ रहे हैं, उन्हें संभालने के लिए या खत्म करने के लिए ऐसी सेनाओं की जरुरत पड़ती है. (फोटोः रॉयटर्स)

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हर संघर्ष और युद्ध अलग होता है. एक चीज कॉमन होती है. वॉर लॉर्ड्स या आर्मी कमांडर्स अपनी रैंक को बेहतर बनाने के लिए अपने सैनिकों के साथ युद्ध लड़ते हैं. जीत हासिल करते हैं. या फिर शांति बहाल करते हैं. जिसके लिए उन्हें पगार मिलती है. निजी कंपनियां किसी भी देश में, किसी भी स्थिति में अपनी सेवाएं दे सकती हैं. बशर्ते आप उन्हें उनके मुताबिक पैसे दे. इस समय पूरी दुनिया में निजी सेनाओं के पास 6.25 लाख से ज्यादा सैनिक या कर्मचारी हैं. (फोटोः ट्रिपल कैनोपी/फेसबुक)

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वैगनर ग्रुपः रूस की सबसे खतरनाक निजी सेना... रूस की सबसे खतरनाक निजी मिलिट्री कंपनी. इसे पूर्व स्पेट्नाज ऑपरेटर्स ने बनाया था. यूक्रेन के साथ संघर्ष के बाद इनके बारे में लोगों ने ज्यादा जाना. फेमस हो गए. इनके समर्थन में रूसी समर्थक अलगाववादी भी हैं. जिनका डोनबास इलाके में कब्जा है. इसके बाद से ये कई देशों में ऑपरेशन कर चुके हैं. जैसे- सीरिया, लीबिया, वेनेजुएला, मोजाम्बिक और सीएडी. कहा जाता है कि वैगनर ग्रुप के एलीट स्नाइपर सीरिया में ISIS आतंकियों का खात्मा कर रहे हैं. साल 2014 में वैगनर ग्रुप के पास 100 ऑपरेटर्स थे. लेकिन 2016 में यह बढ़कर 6000 हो गए. इनका रूसी सरकार के साथ अच्छा संबंध था. इन्हें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की निजी सेना कहा जाता था. (फोटोः रॉयटर्स)

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एकेडेमीः सबसे एडवांस सेना, पहले ब्लैकवाटर बुलाते थे... ये दुनिया की सबसे एडवांस निजी मिलिट्री ट्रेनिंग यूनिट है. कुछ अवैध शूटआउट और विवादों के बाद एकेडेमी ने अपने सैनिकों की संख्या कम कर दी थी. ये घटनाएं इराक में हुई थीं. तब वहां की सरकार ने एकेडेमी का कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने की बात कही थी. मिडिल ईस्ट के अलावा एकेडेमी न्यू ओरलींस में कैटरीना हरिकेन के समय मदद करने पहुंची थी. इसके अलावा जापान में मिसाइल डिफेंस सिस्टम की सुरक्षा में लगी है. (फोटोः एएफपी)

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डिफाइन इंटरनेशनलः हर देश से करता है सैनिकों की भर्ती... डिफाइन इंटरनेशनल में हजारों लड़ाके हैं. जो विकासशील देशों से शामिल किए जाते हैं. कहा जाता है कि वह अपने सैनिकों को 1000 डॉलर प्रति महीना यानी करीब 82 हजार रुपए महीने देता है. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके पेमेंट के तरीके को लेकर नाराजगी दर्ज की गई. असल में यह निजी सेना पेरू के लीमा में स्थित है. यह सैनिकों की भर्ती करती हैं. ट्रेनिंग देती है. इसके दफ्तर दुबई, फिलिपींस, श्रीलंका और इराक में हैं. अमेरिका ने इस सेना का इस्तेमाल इराक में काफी ज्यादा किया था. (प्रतीकात्मक फोटोः रॉयटर्स)

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एजीस डिफेंस सर्विसेसः 60 से ज्यादा देशों में कर चुके हैं मिशन... एजीस डिफेंस सर्विसेस के 5000 सैनिक संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और तेल कंपनियों के लिए काम करते हैं. इस कंपनी के बारे में लोगों को तब पता चला था, जब आम इराकी नागरिकों को इसके सैनिकों ने गोली मारी थी. उसका वीडियो साल 2005 में रिलीज हुआ था. एजीस का मुख्यालय स्कॉटलैंड में है. कंपनी 60 से ज्यादा देशों में मिशन और ऑपरेशन कर चुकी है. पूरी दुनिया में इसके क्लाइंट हैं. जिसमें सरकारें, इंटरनेशनल एजेंसियां, इंटरनेशनल कॉर्पोरेट सेक्टर के लोग शामिल हैं. यह कंपनी सिर्फ सुरक्षा ही नहीं देती, बल्कि सुरक्षा संबंधी सभी कार्यों पर सलाह भी देती है. आतंकवाद विरोधी मिशन को करने के लिए ट्रेनिंग भी देती है. (प्रतीकात्मक फोटोः ट्रिपल कैनोपी/विकिपीडिया)

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ट्रिपल कैनोपीः पूरी दुनिया में 12,294 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट... इराक से अमेरिकी फौज के निकलने के बाद ट्रिपल कैनोपी प्राइवेट मिलिट्री के जवान ड्यूटी पर हैं. इस कंपनी के पास करीब 2000 सैनिक हैं. ज्यादातर यूगांडा और पेरू से हैं. इसके पास फिलहाल 1.5 बिलियन डॉलर्स का कॉन्ट्रैक्ट है. यानी 12,294 करोड़ रुपए. हैती में यह कंपनी अमेरिकी दूतावास की सुरक्षा में लगी है. वहां के अधिकारियों के निजी सुरक्षा में लगी है. पूरी दुनिया में यह अलग-अलग एजेंसियों के साथ मिलकर सिक्योरिटी प्रदान करती है. यह कॉन्सटेलिस कंपनी का हिस्सा है, जिसमें एकेडेमी, ऑलिव ग्रुप, एडिनबर्ग इंटरनेशनल, स्ट्रैटेजिक सोशल जैसी सिक्योरिटी कंपनियां भी शामिल हैं. (फोटोः ट्रिपल कैनोपी/फेसबुक)

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डिनकॉर्पः 10 हजार से ज्यादा सैनिक, तीन महाद्वीपों में सर्विस... अमेरिका के वर्जिनिया स्थित डिन कॉर्प दुनिया की 9 ताकतवर प्राइवेट मिलिट्री में से एक है. ये भी इराक से अमेरिकी फौज के निकलने के बाद वहां तैनात है. ये कंपनी कोलंबियाई विद्रोहियों और पेरू के ड्रग डीलर्स के साथ भी संघर्ष करती रहती है. इसके पास 10 हजार से ज्यादा सैनिक हैं. यह अफ्रीका, पूर्वी यूरोप और लैटिन अमेरिका में सेवाएं दे रही है. ऑपरेशन इराक फ्रीडम के समय यह सबसे व्यस्त सिक्योरिटी कंपनियों में से एक थी. बदनाम ब्लैकवाटर के साथ मिशन कर रही थी. (फोटोः एएफपी)

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एरिन्सः इराक-कॉन्गो में तेल कंपनियों का सुरक्षा कवच... इराक के सबसे महत्वपूर्ण तेल कंपनियों, पोर्ट और उनके अधिकारियों को सुरक्षा देती है. इसके अलावा इसके पास कॉन्गो में दो कॉन्ट्रैक्ट हैं. जिसके तहत यह बड़े लौह खदानों, तेल और गैस प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा पुख्ता करती है. यह कंपनी सैनिकों को आधुनिक तकनीकों और हथियारों के साथ ट्रेनिंग देती है. (फोटोः एएफपी)

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यूनिटी रिसोर्स ग्रुपः पूरी दुनिया में चल रहे हैं इस सेना के मिशन... पूरी दुनिया में इसके 1200 से ज्यादा सैनिक तैनात है. यह संस्था ऑस्ट्रेलिया की है. इसकी मौजूदगी इराक में भी है. इस कंपनी का किस्सा तब दुनिया के सामने आया था, जब इसने बेलग्रेड में ऑस्ट्रेलियाई दूतावास की संघर्ष के दौरान सुरक्षा की थी. इसके अलावा इस कंपनी लेबनान में शांतिपूर्ण चुनाव कराया. बहरीन में निजी तेल कंपनियों को सुरक्षा प्रदान करती है. इसके अलावा इसके मिशन अफ्रीका, सेंट्रल और साउथ अफ्रीका, एशिया और यूरोप में भी चल रहे हैं. 20 सालों से पूरी दुनिया में सुरक्षा प्रदान करने का काम कर रही है. (प्रतीकात्मक फोटोः डिनकॉर्प/रॉयटर्स)

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जी4एस सिक्योरिटीः दुनिया की सबसे बड़ी निजी सुरक्षा कंपनी... दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी रोजगार देने वाली कंपनी. इससे ऊपर सिर्फ वॉलमार्ट है. यह कंपनी बैंक, जेल, एयरपोर्ट सिक्योरिटी जैसे काम में लगी है. इसके बावजूद क्राइसिस जोन में भी यह कंपनी काम करती है. इराक में एक तिहाई गैर-मिलिट्री काफिले को सुरक्षित रखती है. यह दुनिया के 125 देशों में काम कर रही है. जिसमें से अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के खतरनाक इलाके शामिल हैं. इसका मुख्यालय लंदन में है. (प्रतीकात्मक फोटोः ट्रिपल कैनोपी/फेसबुक)

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