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जो सऊदी भी नहीं कर सका, मलेशिया ने वो कर दिखाया!

aajtak.in
  • 30 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:39 PM IST
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मलेशिया सरकार ने चीन के उइगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन की जांच करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संस्था को नियुक्त किया है. बता दें कि उइगर चीन का अल्पसंख्यक समुदाय है और कम्युनिस्ट चाइना पर उइगरों को प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं.

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मलेशिया के विदेश मंत्री सैफुद्दीन अब्दुल्ला ने कहा है कि इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इस्लामिक थॉट ऐंड सिविलाइजेशन (ISTAC) को चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगरों की स्थिति पर विस्तार से रिपोर्ट लिखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

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मलेशिया के अंग्रेजी भाषा के अखबार 'द न्यू स्ट्रेट टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्री अब्दुल्ला ने कहा है कि मलेशिया ना तो चीन की सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई किसी रिपोर्ट पर आंख मूंदकर भरोसा करेगा और ना ही खुले तौर पर चीन की आलोचना करेगा. उन्होंने कहा, हम चीन के उइगरों के बारे में आ रही हर रिपोर्ट की सच्चाई जानने की कोशिश करेंगे.

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चीन के शिनजियांग प्रांत में 1 करोड़ उइगर मुस्लिमों की आबादी रहती है. तुर्की मूल के उइगर शिनजियांग की आबादी का 45 फीसदी हैं और वे अक्सर चीनी अधिकारियों पर सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं.

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अमेरिकी अधिकारियों और संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के मुताबिक, शिनजियांग की 7 फीसदी आबादी यानी 10 लाख लोगों को डिटेंशन सेंटर में रख दिया गया है जिसे चीन प्रशिक्षण केंद्र का नाम देता रहा है. चीन की एक दलील ये भी रही है कि वह ये प्रशिक्षण केंद्र आतंकवाद को रोकने के की कोशिश के लिए है.

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हालांकि, मलेशिया पहला मुस्लिम देश है जिसने खुलकर उइगरों के खिलाफ लगातार अपनी चिंताएं जाहिर की हैं. यहां तक कि खुद को मुस्लिम दुनिया की आवाज बताने वाले सऊदी और पाकिस्तान भी चीन से नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते हैं.

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सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी चीन में उइगर मुसलमानों की दुर्दशा को नजरअंदाज करते आए हैं. उन्होंने इस साल चीन के दौरे में कहा गया था, 'हम चीन के आतंकवाद खत्म करने और राष्ट्रीय सुरक्षा के अधिकार का सम्मान करते हैं.'

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सऊदी अरब चीन के बाजार के लिए भी काफी अहमियत रखता है. मध्य-पूर्व में चीनी सामान और सेवाओं के लिए सऊदी सबसे बड़ा बाजार है. चीन गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) के साथ व्यापार समझौता करने की तरफ आगे बढ़ रहा है और सऊदी इसका सबसे बड़ा सदस्य है.

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दुनिया भर के मुस्लिमों की चिंता जताने वाला पाकिस्तान चीन का जिक्र आते ही अनजान बन जाता है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने दो साक्षात्कारों में दावा कर चुके हैं कि उन्हें चीन में मुस्लिमों की हालत के बारे में कुछ नहीं पता है.

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चीन ने बेल्ट ऐंड रोड परियोजना के तहत 60 देशों में करीब 200 अरब डॉलर खर्च किए हैं. इसके लाभार्थियों में मुस्लिम देश भी हैं. चीन ईरान में हाई स्पीड ट्रेन लाइन और इंडोनेशिया में बंदरगाह और पावर प्लांट बना रहा है. मिस्त्र और इराक भी चीन की बेल्ट और रोड परियोजना के लिए अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. वहीं, पाकिस्तान में भी चीन का भारी भरकम निवेश है और वह किसी भी सूरत में इसे खतरे में नहीं डालना चाहता है.

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