भारत सरकार द्वारा मलेशिया से खाद्य तेल ना खरीदने के निर्देश को लेकर मलेशियाई प्रधानमंत्री ने प्रतिक्रिया दी है. मलेशिया के 94 वर्षीय प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा कि वह भारत सरकार के फैसले को लेकर चिंतित हैं हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वह गलत चीजों को लेकर आवाज उठाना जारी रखेंगे भले ही इसकी कीमत उनके देश को आर्थिक तौर पर क्यों ना चुकानी पड़े.
भारत दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा खरीदार है. व्यापारियों का कहना है कि मोदी सरकार ने कुछ ऐसे नियम लागू कर दिए हैं, जिससे मलेशिया से खाद्य तेल की खरीदारी ना हो. बता दें कि मलेशिया इंडोनेशिया के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य तेल उत्पादक व निर्यातक है.
महातिर इससे पहले भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाने और नागरिकता कानून लागू करने को लेकर तीखी आलोचना कर चुके हैं. महातिर के आक्रामक बयानों की वजह से ही भारत और सऊदी अरब दोनों के ही साथ मलेशिया के रिश्ते खराब हुए हैं.
मलेशिया में खाद्य तेल रिफाइनरी चलाने वाले व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है लेकिन महातिर ने कहा है कि उनकी सरकार इसका समाधान निकाल लेगी.
उन्होंने कहा, वास्तव में हम बेहद परेशान हैं क्योंकि हम भारत को बड़ी मात्रा में खाद्य तेल बेचते हैं लेकिन दूसरी तरफ हमें मुखर होना ही पड़ेगा. हमें देखना होगा कि कहीं कुछ गलत हो रहा हो तो हम उसके खिलाफ बोलें. अगर हम कुछ गलत होने की इजाजत देते हैं और केवल पैसों के बारे में सोचते हैं तो मुझे लगता है कि हम व दूसरे लोग गलत करते रहेंगे.
रॉयटर्स एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने अनौपचारिक तौर पर व्यापारियों को मलेशियाई पाम तेल नहीं खरीदने का निर्देश दिया है. भारतीय व्यापारी मलेशिया के बजाय इंडोनेशिया से खाद्य तेल खरीद रहे हैं.
हालांकि, गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि खाद्य तेल के आयात पर लगाम देश विशेष को लेकर नहीं लगाई गई है. 2019 में भारत मलेशिया के खाद्य तेल का सबसे बड़ा खरीदार था. 2019 में भारत ने मलेशिया से 40 लाख टन तेल आयात किया था. भारतीय व्यापारियों का कहना है कि अगर मलेशिया के साथ रिश्ते नहीं सुधरते हैं तो यह खरीदारी 10 लाख टन से भी नीचे जा सकती है.
मलेशियाई अधिकारियों का कहना है कि वे इस नुकसान की भरपाई के लिए पाकिस्तान, फिलीपींस, म्यांमार, वियतनाम, इथयोपिया, सऊदी अरब, मिस्त्र, अल्जीरिया और जॉर्डन को अपना खाद्य तेल बेचने की कोशिश कर रहे हैं.
हालांकि भारत जैसे बड़े खरीदार की जगह भरना मलेशिया के लिए इतना आसान नहीं होगा और इसलिए मलेशिया के व्यापारी संगठन दोनों देशों से बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाने की अपील कर रहे हैं.