Advertisement

विश्व

म्यांमार: मुस्लिमों के खिलाफ आग उगलने वाले 'बौद्धों के लादेन' हुए रिहा

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 07 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST
  • 1/7

बुद्धिस्ट बिन लादेन कहे जाने वाले बौद्ध भिक्षु अशीन विराथु (Wirathu) को म्यांमार की सैन्य सरकार ने रिहा कर दिया है. अशीन अपने मुस्लिम विरोधी बयानों के चलते काफी विवादों में रह चुके हैं. अशीन को म्यांमार की लोकतांत्रिक सरकार ने राजद्रोह के आरोप में जेल में डाल दिया था. हालांकि म्यांमार में तख्तापलट के बाद उन्हें रिहा किया गया है.

  • 2/7

साल 1968 में जन्मे अशीन विराथु ने 14 साल की उम्र में ही स्कूल छोड़ दिया और भिक्षु का जीवन अपना लिया था. साल 2001 में उन्होंने राष्ट्रवादी और मुस्लिम विरोधी गुट '969' से जुटने का फैसला किया था. इस संगठन को म्यांमार में कट्टरपंथी माना जाता रहा है लेकिन इस संगठन के समर्थक इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं. 

  • 3/7

969 से जुड़े लोग मुस्लिम दुकानदारों का बहिष्कार करने की बात करता है. बौद्ध मकानों की पहचान करने के लिए उनके घर के बाहर '969' लिख दिया जाता है. साल 2003 में इन विवादों के चलते अशीन को जेल भेज दिया गया था और साल 2010 में उन्हें कई राजनीतिक कैदियों के साथ ही उन्हें भी रिहा कर दिया गया था.

Advertisement
  • 4/7

इसके बाद वे सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हो गए और उनके नफरत भरे भाषण काफी वायरल होने लगे थे.  साल 2012 में रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुस्लिम और बौद्ध लोगों के बीच हिंसा भड़कने के बाद अपने भड़काऊ भाषणों के चलते वे और ज्यादा लोकप्रिय हो गए थे. इसके बाद से ही अशीन को कई लोगों का समर्थन मिलने लगा था. 

  • 5/7

साल 2013 में टाइम मैगजीन ने कवर पेज पर अशीन की तस्वीर छापी थी. इसका टाइटल था- फेस ऑफ बुद्धिस्ट टेरर. अशीन खासतौर पर रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर अपने बयानों से विवादों में रहे हैं. सेना के समर्थक विराथु अपने कट्टरपंथी भाषणों के जरिए सुर्खियों में रहते हैं. इसके अलावा वे कुछ साल पहले संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि यांग ली को वेश्या कहकर भी जबरदस्त आलोचना झेल चुके हैं.

  • 6/7

म्यांमार की मिलिट्री सरकार ने कहा है कि विराथु के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को हटाया जाता है. हालांकि इस बारे में कोई कारण नहीं बताया गया है. इस बयान में ये भी कहा गया है कि विराथु एक मिलिट्री अस्पताल में ट्रीटमेंट ले रहे थे. हालांकि उनके स्वास्थ्य को लेकर सरकार ने कोई बयान नहीं दिया है. 

Advertisement
  • 7/7

गौरतलब है कि वे पिछले कुछ सालों में सेना समर्थक रैलियों में राष्ट्रवादी भाषण देने और आंग सान सू की और उनकी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी सरकार की आलोचना करते हुए दिखे थे. साल 2019 में उन पर म्यांमार की सरकार के खिलाफ नफरत भड़काने का आरोप लगाया गया था और उन्हें जेल भेज दिया गया था. 

(सभी फोटो क्रेडिट: Getty images)

Advertisement
Advertisement