नेपाल के चीन की तरफ बढ़ते झुकाव और आंतरिक राजनीति में दखल का नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने बचाव किया है. नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि पहले हम भारत की तरफ ज्यादा झुके थे लेकिन अब हम सही रास्ते पर आए हैं. नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि हमें पहले ही इस गलती को सुधार लेना चाहिए था.
नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा, "वर्तमान सरकार या नेपाल का चीन के प्रति झुकाव वाला आरोप परेशान करने वाला है. हमने बार-बार कहा है कि हम एक संतुलित और राष्ट्रीय हित पर आधारित संबंध बनाते हैं. हम दोनों पड़ोसियों भारत और चीन के साथ सहयोग और साझेदारी को आगे बढ़ाना चाहते हैं. दोनों पड़ोसियों के साथ सहयोग हमारे लिए जरूरी है. हम एक की कीमत पर दूसरे के रिश्ते को बढ़ावा या अनदेखा नहीं कर सकते."
उन्होंने कहा, 'एक लैंडलॉक वाले देश के रूप में, नेपाल को उत्पादन और परिवहन में किसी अन्य देश की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक का भुगतान करना पड़ता है. बांग्लादेश में अगर कोई उत्पाद 100 डॉलर में बनाया जाता है तो नेपाल में उसी चीज की कीमत 120 डॉलर पड़ती है. इसे कम करने का एकमात्र तरीका परिवहन सुविधाओं में विविधता लाना है. यह नेपाल के हित में है. यह सोचना गलत है कि यह चीन के प्रति झुकाव है.'
पिछले कुछ दिनों में चीनी राजदूत होउ यान्की नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के कई नेताओं से मुलाकात कर घेरे में आ गई थीं. कहा जा रहा था कि ओली की कुर्सी बचाने के लिए और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में फूट पड़ने से रोकने के लिए वह तमाम कोशिशें कर रही हैं. इसे लेकर भी नेपाल के विदेश मंत्री ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, हाल के दिनों में जिस तरह से चीनी राजदूत पर टिप्पणी की गई है, उसमें मुझे भी एक दोष नजर आता है. चीन की घोषित नीति है. वह दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है. इसलिए विकासशील देशों का चीन के साथ विश्वास और सहयोग है. वह कई मुद्दों पर पहल करते हुए छोटे और विकासशील देशों की वकालत करता है. इसलिए, चीन पर नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाना गलत है.
ज्ञवाली ने कहा, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी CPN (माओवादी) और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच भाईचारा है. इसलिए, दोनों देश पिछले कुछ समय से अनुभवों का आदान-प्रदान कर रहे हैं और एक दूसरे की अच्छी परंपराओं और सफलताओं से सीख रहे हैं. यह स्वाभाविक है. हालांकि, इस पर पक्षपाती तरीके से टिप्पणी की जा रही है.
उन्होंने कहा, हम चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को मित्र मानते हैं. चीनी क्रांति से सीखने के लिए कई सकारात्मक चीजें हैं. आज, चीन ने अभूतपूर्व प्रगति की है. यह दुनिया के समाजवादियों के लिए एक प्रेरणा हो सकती है और हमें उनके अनुभव से सीखना होगा. हालांकि, हम चीनी क्रांति की नकल नहीं करते हैं. हम चीनी समाजवादी मॉडल का बिल्कुल पालन नहीं करते हैं.
उन्होंने कहा, ऐसा कहा जा रहा है कि नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी इन मतभेदों के बीच अंतर किए बिना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर झुक गई है. हमने चीन के अनुभव से सीखने की कोशिश की है. उन्होंने आज यह सफलता कैसे हासिल की, मुझे लगता है, यह कुछ ऐसा है जो न केवल सीपीएन (माओवादी) बल्कि दुनिया भर के देशों को सीखने की जरूरत है. हम मुख्य रूप से चीन से दो चीजें सीख सकते हैं. पहला है शासन. जब शी
जिनपिंग सत्ता में आए, उन्होंने सख्त नियमों को लागू करने के लिए
भ्रष्टाचार विरोधी अभियान शुरू किया. दूसरा चीन का विकास है.
ज्ञवाली ने कहा, चीन का विकास समकालीन इतिहास का चमत्कार है. इसका क्या राज है? इसे अच्छी तरह से समझा जाना चाहिए क्योंकि 40 साल की छोटी अवधि में 70 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना आसान काम नहीं है. क्या इससे सीखना गलत है? हमारे अनुभवों का आदान-प्रदान मुख्य रूप से शासन, विकास और समृद्धि, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन से संबंधित है. बाकी मुद्दों में, हमारी अपनी राजनीतिक प्रणाली अलग है, अन्य संदर्भ अलग हैं.
नेपाल के विदेश मंत्री ने चीन की कोरोना महामारी पर काबू पाने की भी तारीफ की. उन्होंने कहा, आज के चीन से बहुत कुछ सीखना है. पर्याप्त समय होने के बावजूद, कई विकसित देश अभी भी COVID-19 से जूझ रहे हैं. चीन ने दो महीने के भीतर कोविड पर काबू कर लिया. कई लोगों ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जोड़ा है. लेकिन जो लोग स्वतंत्रता के नाम पर कोरोना से आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं, उनके लिए स्थिति विकट है. अच्छी बातें कहीं से भी सीखी जा सकती हैं.