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नेपाल के गृह मंत्री बोले- केवल अपने बारे में सोच रहा है भारत

aajtak.in
  • 13 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 5:49 PM IST
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भारत को लेकर नेपाल के आरोपों और शिकायतों का सिलसिला जारी है. नेपाल के गृह मंत्री राम बहादुर थापा ने सोमवार को संसद की राज्य प्रबंधन और सुशासन समिति की बैठक में कहा कि भारत के हस्तक्षेप की वजह से पूरे तराई क्षेत्र में बाढ़ आ गई है.

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उन्होंने कहा, "भारत ने सीमा पर कई ऐसी सड़कें बनाई हैं जो बांध का काम कर रही हैं. भारत की ओर किए गए निर्माण कार्य से पानी का बहाव बाधित हुआ है जिससे तराई क्षेत्र जलमग्न हो गया. राजनीतिक रूप से कहूं तो ये भारत का हस्तक्षेप है. उन्होंने सिर्फ अपने हितों पर ध्यान दिया जबकि नेपाल के हितों की पूरी तरह अनदेखी कर दी."

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नेपाली गृहमंत्री ने कहा, "भारत ने अपनी रक्षा के लिए बांध और तटबंध बनाए लेकिन नेपाल के लिए खतरा पैदा हो गया. भारत को नेपाल को डूबने से रोकने के लिए निकास देना चाहिए. अगर कोई रास्ता नहीं निकला तो नेपाल पूरी तरह डूब जाएगा."

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गृहमंत्री ने कहा, हमने इस तरह के निर्माण को हटाने को लेकर कुछ कोशिशें कीं लेकिन असफल रहे. जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल का दौरा किया था तो इसे लेकर कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे लेकिन उन पर कभी सही तरीके से अमल नहीं हुआ.

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बैठक में सरकार को निर्देश दिए गए कि नेपाल में बाढ़ की वजह बन रहीं भारतीय सड़कों और बांधों को हटाया जाए. समिति की चर्चा के दौरान सांसदों ने कहा कि भारत ने नेपाल की पूर्व मेची से पश्चिम महाकाली सीमा तक सड़कों का निर्माण करके वर्षा जल निकासी की अनुमति नहीं दी. उन्होंने यह भी कहा कि सीमा पर भारत द्वारा बनाए गए बांधों के कारण नेपाल जलमग्न हो गया.

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इससे पहले, नेपाल कोरोना वायरस की महामारी को लेकर भी भारत को जिम्मेदार ठहरा चुका है. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा था कि उनके देश में कोरोना वायरस भारत से ही फैला है. ओली ने ये भी कहा था कि भारतीय वायरस चीनी वायरस से ज्यादा खतरनाक है. यही नहीं, जब ओली की कुर्सी पर संकट आया तो उन्होंने इसमें भी भारत का हाथ बताया. ओली ने कहा था कि देश का नया नक्शा जारी करने और संसद में इसे पारित कराने की वजह से उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए दूतावास में साजिशें रची जा रही हैं.

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लिपुलेख में भारत के सड़क बनाने के बाद से नेपाल और भारत के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है. भारत ने 8 मई को जब कैलाश मानसरोवर रोड लिंक का उद्घाटन किया तो नेपाल ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई. नेपाल उत्तराखंड के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर अपना दावा पेश करता है. कुछ ही दिनों बाद, नेपाल ने एकतरफा कदम उठाते हुए इन इलाकों को शामिल करते हुए एक नया राजनीतिक नक्शा जारी कर दिया. यही नहीं, नेपाल ने नया नागरिकता कानून भी पेश किया है जिसके तहत अब नेपाली पुरुषों से शादी करने वाली विदेशी महिलाओं को सात साल बाद ही नागरिकता दी जाएगी. कहा जा रहा है कि इससे भारत-नेपाल के बीच लंबे समय से कायम रोटी-बेटी का रिश्ता भी प्रभावित होगा.

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