भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव पर अब नेपाल ने भी एक नया प्रस्ताव रखा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल की सरकार भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थ की भूमिका अदा करना चाहती है.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दोनों देशों के बीच वार्ता शुरू करने के लिए नेपाल मध्यस्थता करना चाहता है ताकि दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क की प्रासंगिकता खत्म ना हो.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद से भारत-पाकिस्तान के रिश्ते खराब दौर से गुजर रहे हैं. भारत सरकार के फैसले को लेकर पाकिस्तान से कड़ी प्रतिक्रियाएं आईं और उसने भारत के साथ कूटनीतिक रिश्ते खत्म कर दिए.
सूत्र ने कहा, दो देशों के बीच मतभेद और विरोधाभास हो सकते हैं लेकिन उन्हें बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है, अगर जरूरी हुआ तो हम भी मध्यस्थता की भूमिका अदा कर सकते हैं क्योंकि हम एक स्वतंत्र, तटस्थ और शांतिप्रिय देश हैं.
नेपाल की सरकार से जुड़े सूत्र ने कहा, जब हम साथ आते हैं, साथ बैठते हैं और अपना नजरिया साझा करते हैं तो मुद्दों का समाधान भी हो जाता है. हर हालात में हमें साथ आकर बैठना होगा और समस्या का समाधान करना होगा नहीं तो स्थितियां और बिगड़ती चली जाएंगी.
दक्षिण एशियाई देशों के प्रमुख संगठन सार्क को लेकर चिंता जताते हुए सूत्र ने कहा कि 8 सदस्यीय संगठन को फिर से मजबूत करना चाहिए और सभी तरह की गलतफहमियों को दूर किया जाना चाहिए. सूत्र ने कहा, सार्क (SAARC) खत्म नहीं हुआ है, ये जीवित है, बात केवल इतनी है कि हम लंबे समय से मिले नहीं है. उम्मीद है कि हम इस संगठन में फिर से जान डाल सकेंगे.
भारत के समिट का बहिष्कार करने के बाद बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी सार्क समिट से किनारा कर लिया था. पाकिस्तान में आतंकी नेटवर्क से मौजूद सुरक्षा खतरे का हवाला देते हुए भारत ने पिछले तीन सालों से सार्क से दूरी बनाकर रखी है.
2016 में सार्क समिट के स्थगित होने की वजह से नेपाल अब भी सार्क का चेयरमैन है. नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावाली ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश पाकिस्तान को जिम्मेदारी सौंपने के लिए तैयार है.
सूत्र ने कहा, सार्क और आतंकवाद के बीच कोई संबंध नहीं है. हम आतंकवाद के हर रूप की आलोचना करते हैं लेकिन सार्क का इससे कोई लेना-देना नहीं है. बता दें कि नेपाल, भारत, पाकिस्तान, मालदीव्स, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान सार्क के सदस्य देश हैं.
नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) और नेपालियों-गोरखा पर इसके असर को लेकर सूत्र ने कहा, हमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आश्वस्त किया है कि उन पर इस कानून का कोई असर नहीं पड़ेगा. यह भारत का आतंरिक मामला है और वे इसे खुद सुलझा लेंगे.