बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया, नेपाल गंडक बांध पर मरम्मत का काम करने की अनुमति नहीं दे रहा है. मरम्मत का काम लाल बाकेया नदी में होता है जो नो मैंसलैंड में आता है. इसके अलावा, कई अन्य जगहों पर भी मरम्मत का काम रोक दिया गया है. हम पहली बार बांध के पुनर्निर्माण कार्य के लिए लोगों और सामान की आवाजाही को लेकर ऐसी समस्या का सामना कर रहे हैं.
जल संसाधन मंत्री ने बताया कि गंडक बैराज में 36 गेट हैं जिनमें से 18 नेपाल में आते हैं. जिस इलाके में बाढ़ से निपटने के लिए मरम्मत का सामान रखा है, नेपाल ने वहां बैरियर लगा दिए हैं. अतीत में कभी ऐसा नहीं हुआ था.
मंत्री ने कहा, हमारे स्थानीय इंजीनियर और डीएम संबंधित प्रशासन से बातचीत कर रहे हैं और मैं इस संबंध में विदेश मंत्रालय को भी एक पत्र लिखूंगा. अगर इस समस्या का समाधान वक्त पर नहीं होता है तो बिहार में बाढ़ आ जाएगी. बिहार के पूर्वी चंपारण के डीएम ने इस संबंध में बिहार सरकार के साथ केंद्र सरकार को भी रिपोर्ट सौंप दी है.
अधिकारियों का कहना है कि बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्रालय ने नेपाल के हिमालय क्षेत्र से निकलने वाली नदी पर बहुत पहले बांध का निर्माण किया था और हर साल मॉनसून आने से पहले मरम्मत का काम करता रहा है. लेकिन नेपाल की तरफ से कभी ऐसी आपत्ति नहीं आई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने पहले स्थानीय स्तर पर ही मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की लेकिन असफल रहे.
पूर्वी चंपारण जिले के डीएम श्रीशत कपिल अशोक ने बताया, नेपाल ने बांध के पुर्ननिर्माण कार्य को रोक दिया है. हमने बिहार सरकार और केंद्र सरकार दोनों को मामले से अवगत करा दिया है. हमें उम्मीद है कि जल्द ही यह विवाद सुलझ जाएगा.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, जिस इलाके पर नेपाल दावा कर रहा है, वो अंतरराष्ट्रीय सीमा से बहुत दूर स्थित है लेकिन ये बात समझ में नहीं आ रही है कि नेपाल इस बार ऐतराज क्यों जता रहा है. लोकल सर्किल ऑफिसर अशोक कुमार ने कहा, एम्बैंकमेंट यानी तटबंध का आखिरी हिस्सा नो मैंसलैंड के दक्षिण से करीब नौ मीटर की दूरी पर है. ये विवाद बिल्कुल गैर-जरूरी है.
पिछले सप्ताह ही नेपाल ने भारत के ऐतराज के बावजूद नया नक्शा जारी किया था जिसमें भारत के तीन क्षेत्रों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को शामिल किया है. नेपाल नागरिकता के नियम भी बदलने जा रहा है जिसके तहत नेपाली पुरुषों से शादी करने वाली विदेशी महिलाओं को सात साल के बाद ही नेपाल की नागरिकता मिलेगी. इससे भारत के नेपाल के साथ रोटी-बेटी का रिश्ता प्रभावित होने की भी आशंका जताई जा रही है.