मुस्लिम दुनिया के सबसे बड़े मंच कहलाने वाले इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को लेकर एक आपातकालीन बैठक की. यह बैठक कॉन्टैक्ट ग्रुप की थी जिसे ओआईसी ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर 1994 में बनाया था. बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर कॉन्टैक्ट ग्रुप ने कड़ा बयान जारी किया है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में जम्मू-कश्मीर कॉन्टैक्ट ग्रुप के सदस्य देश अजरबैजान, नाइजर, पाकिस्तान, सऊदी अरब और तुर्की ने हिस्सा लिया.
ओआईसी कॉन्टैक्ट ग्रुप ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को समर्थन जारी रखने पर सहमति जताई और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव से अपील की है कि वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए भारत से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों का पालन करवाए. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए भारत पर वार्ता में शामिल होने के लिए दबाव बनाए.
ओआईसी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, कॉन्टैक्ट ग्रुप ने जम्मू-कश्मीर के हालिया घटनाक्रमों को लेकर बयान जारी किया है. बयान में भारत और पाकिस्तान के बीच हालात सामान्य करने को लेकर सदस्य देशों की कोशिशों की सराहना की गई है.
पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक देशों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है. जब भारत चीन, नेपाल और पाकिस्तान के साथ कई तरह के विवादों का सामना कर रहा है, ऐसे में ओआईसी का बैठक बुलाना और इस तरह का बयान जारी करना भारत के लिए गंभीर विषय है.
मोदी सरकार के 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से जम्मू-कश्मीर कॉन्टैक्ट ग्रुप के सदस्य देश कश्मीर मुद्दे पर दो बैठक बुला चुके हैं. इन बैठकों में कश्मीर के हालात को लेकर चिंता जताई गई थी.
कश्मीर को लेकर पाकिस्तान ओआईसी से लगातार मांग करता रहा है कि वो भारत के खिलाफ ठोस कदम उठाए. लेकिन सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रभुत्व वाले ओआईसी ने कश्मीर के मामले में बहुत सक्रियता नहीं दिखाई और पाकिस्तान को बहुत ज्यादा मदद नहीं मिली. लेकिन ओआईसी की तरफ से इस आपातकालीन बैठक को पाकिस्तान की वैश्विक मंचों से कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है. इससे पहले सऊदी अरब और यूएई भारत के लिए इस्लामिक देशों में कश्मीर के मामले में रक्षा कवच की तरह काम करते रहे हैं.