भारत में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. संक्रमितों मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ भारत में मेडिकल व्यवस्था चरमरा सी गई है और अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है. श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए लंबी लाइनें लगी हुई हैं. भारत की चरमराती स्थिति को देखते हुए ब्रिटेन, जर्मनी, अमेरिका सहित दुनिया के कई देश भारत की मदद में सामने आए हैं. वहीं, इसका असर दुनिया के तेल निर्यातकों पर भी पड़ता नजर आ रहा है.
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भारत में कोरोना संकट का असर ईंधन के कीमतों पर भी देखने को मिलने लगा है. तेल की कीमतों में सोमवार को 1 डॉलर की गिरावट देखने को मिली क्योंकि ईंधन निर्यातकों को डर है कि कोरोना संकट दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक देश भारत में ईंधन की मांग को कम कर देगा. हालांकि यह भी माना जा रहा है कि तेल निर्यातक देशों के समूह OPEC+ की तरफ से सप्लाई बढ़ने से भी दाम में गिरावट आने वाली है.
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रॉयटर्स के मुताबिक, देशों में सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में 1.4 फीसदी गिरावट के साथ 65.22 डॉलर प्रति बैलर दर्ज की गई. वहीं यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडियट (WTI) के कच्चे तेल में 1.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. इसकी कीमत 61.27 डॉलर प्रति बैरल दर्ज की गई. दोनों बेंचमार्क में पिछले हफ्ते लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
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कॉमर्जबैंक विश्लेषक यूजेन वेनबर्ग ने बताया कि मौजूदा बाजार की नजर भारत और जापान की बुरी खबरों पर अधिक है, जहां नए कोरोना वायरस मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसके चलते इन देशों में आवाजाही पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं. भारत और जापान दुनिया के क्रमशः तीसरे और चौथे सबसे बड़े तेल आयातक देश हैं.
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विश्लेषकों का मानना है कि भारत में कोरोना संकट के चलते तेल की मांग में कमी आ रही है. कंसल्टेंसी एफजीई का मानना है कि भारत में अप्रैल में पेट्रोल की मांग में प्रति दिन 100,000 बैरल (बीपीडी) की कमी आने की उम्मीद है. वहीं मई में यह मांग घटकर 170,000 बैरल से ज्यादा हो सकती है. मार्च में भारत की कुल पेट्रोल बिक्री लगभग 747,000 बैरल हो गई थी.
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कंसल्टेंसी एफजीई का मानना है कि भारत में डीजल की मांग भी घटनी है. भारत में अप्रैल में डीजल की मांग घटकर 220,000 बैरल तक पहुंच सकती है. वहीं मई में यह आंकड़ा 400,000 बैरल तक जा सकता है.
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कमोबेश जापान की भी स्थिति भारत जैसी ही है. जापान में, टोक्यो, ओसाका और दो अन्य प्रान्तों में आपातकाल की एक तीसरी कड़ी रविवार को शुरू हुई है. कोरोना से निपटने की कवायद से जापान की एक तिहाई आबादी प्रभावित हुई है.
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पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और रूस के नेतृत्व वाले सहयोगी, जिसे ओपेक+ के रूप में जाना जाता है, इस सप्ताह बैठक में उत्पादन नीति पर चर्चा करेंगे. मगर अधिकतर विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक में मई से उत्पादन को लेकर लगी पाबंदियों को कम करने के फैसले के साथ आगे बढ़ा जाएगा.
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अप्रैल की शुरुआत में हुई बैठक में इस समूह ने फैसला किया था कि उत्पादन को बढ़ाया जाएगा. इसे मई में रोजाना 350,000 प्रति बैरल किए जाने का फैसला किया गया था. जून में भी उत्पादन 350,000 बैरल रोजाना और जुलाई में 400,000 बैरल रोजाना करने का प्लान था.
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