श्रीलंका के समुद्री तट पर 200 से ज्यादा समुद्री जीव मृत पाए गए हैं. मई में कोलंबो तट पर केमिकल्स लदी एक जहाज आग लगने के बाद डूब गई थी. इससे आसपास का समुद्र का पानी प्रदूषित हो चुका है और इसके चलते दुर्लभ समुद्री जीवों की शामत आ गई है. फिलहाल, श्रीलंका की एक अदालत ने मामले में संज्ञान लिया है.
(फोटो-रॉयटर्स)
एक समाचार एजेंसी के मुताबिक अटॉर्नी जनरल कार्यालय ने कंटेनर जहाज डूबने से जलीय जीवन को हुए नुकसान के बारे में जानकारी दी है. अटॉर्नी जनरल ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में बताया कि केमिकल रिसाव के चलते कम से कम 176 कछुए, 20 डॉल्फ़िन और चार व्हेल मारे गए. कोर्ट ने श्रीलंका सरकार से डिटेल्स मांगी है.
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असल में, कोलंबो तट पर आग लगने की वजह से जहाज पर केमिकल से भरे कंटेनर में रिसाव हो गया. इसके चलते समुद्र में कुछ दूर तक पानी प्रदूषित हो गया था. सिंगापुर के झंडे वाले जहाज में आग लगने से एसिड की बारिश का खतरा भी पैदा हो गया क्योंकि धुआं के चलते पर्यावरण में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैस फैल गई थी. इस संकट से निपटने में भारत ने श्रीलंका की मदद की थी.
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मालवाहक जहाज में केमिकल्स भरे 1,486 कंटेनर्स लदे हुए थे. कंटेनर जहाज एमवी 'एक्स-प्रेस पर्ल' में 20 मई 2021 को आग लगी थी. उस समय जहाज कोलंबो से करीब 18 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम में था और बंदरगाह में प्रवेश करने वाला था. लेकिन इससे पहले ही आग लग गई.
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यह जहाज गुजरात के हजीरा से कोलंबो पोर्ट पर केमिकल्स और कॉस्मेटिक्स के लिए कच्चा माल लेकर आ रहा था. श्रीलंकाई नौसेना, वायु सेना और भारतीय तटरक्षक बल ने संयुक्त ऑपरेशन में आग पर काबू पाया, जिसमें कई दिन लगे.
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आखिरकार जहाज 17 जून को डूब गई. जहाज पर टैंकों में 325 मीट्रिक टन ईंधन के अलावा 25 टन खतरनाक नाइट्रिक एसिड लदा हुआ था. श्रीलंका के पर्यावरणविदों ने इसे देश के इतिहास की सबसे खराब पारिस्थितिक आपदाओं में से एक करार दिया है. संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के तेल रिसाव और रासायनिक विशेषज्ञों की एक टीम आपदा के प्रभाव का आकलन करने के लिए श्रीलंकाई एजेंसियों के साथ काम कर रही है.
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पिछले सप्ताह श्रीलंका ने कार्गो जहाज के मालिकों से 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अंतरिम मुआवजे का दावा किया था. श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पर्यावरण मंत्री महिंदा अमरवीरा को पर्वायवरण को हुए नुकसान के लिए दावा करने का निर्देश दिया था.
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समुद्री पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण की प्रमुख दर्शनी लहंदपुरा ने बताया कि समुद्र में गिरे खतरनाक पदार्थों की पहचान के लिए अभियान जारी है. उन्होंने बताया कि भारत का INS सर्वेक्षक इस काम में श्रीलंका की मदद कर रहा है.
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दर्शनी लहंदपुरा ने बताया कि सिर्फ भारतीय पोत ही डूब चुके जहाज को समुद्री तल पर देख पाने में सक्षम है. भारयीय पोत ही यह पता लगा पाएगा कि डूबने वाले जहाज पर कितने कंटेनर लदे हुए थे. इसके बाद पता चल पाया कि कंटेनर में क्या लदा हुआ था और अगर आग से वे नष्ट हो गए होंगे तो जहरीले पदार्थों की पहचान मुश्किल होगी.
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श्रीलंका में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि ने पिछले हफ्ते कहा था कि कंटेनर जहाज के डूबने से काफी नुकसान हुआ है. इससे पर्यावरण में खतरनाक रसायन घूल गया है.
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