भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव के बीच पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के बदले सुर ने सबको हैरान कर दिया है. पाकिस्तान सेना प्रमुख बाजवा ने मंगलवार को कहा कि वक्त आ गया है कि क्षेत्र के सुरक्षित भविष्य के लिए शांति स्थापित की जाए. उनके इस बयान को भारत से बातचीत की पेशकश के तौर पर देखा जा रहा है.
जनरल बाजवा रिसालपुर में पाकिस्तान एयर फोर्स एकेडमी में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. बाजवा ने कहा कि वक्त आ गया है कि हम अपने सभी विवादों का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से करें और दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाएं. भारत के बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम देने और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से ही बाजवा भारत के खिलाफ तीखे बयान जारी करते रहे हैं. ऐसे में, बाजवा के रुख में नरमी चौंकाने वाली है.
जनरल बाजवा ने कहा, पाकिस्तान एक शांतिप्रिय देश है जिसने क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए कई बलिदान दिए हैं. हम आपसी सम्मान और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के आदर्श के प्रति आज भी पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. हालांकि, बाजवा ने कहा कि कश्मीर की कीमत पर भारत के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने कहा, पाकिस्तान और भारत को जम्मू-कश्मीर के लंबित विवाद का समाधान कश्मीरियों की आकांक्षाओं के अनुरूप गरिमापूर्ण और शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिए और इस मानव त्रासदी को एक तार्किक नतीजे तक पहुंचाना चाहिए.
बाजवा ने ये भी कहा कि पाकिस्तान की शांति की चाह को उसकी कमजोरी समझने की गलती ना की जाए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम और तैयार है. बाजवा ने पाकिस्तानी वायु सेना की तारीफ करते हुए कहा कि आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा को लेकर एयर फोर्स ने अहम भूमिका अदा की है.
हालांकि, अभी तक पाकिस्तान के सेना प्रमुख बाजवा के बयान को लेकर भारत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. विश्लेषकों का कहना है कि अभी इस नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी कि बाजवा के रुख में बदलाव आ गया है. इसके लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा. भारत पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुका है कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकवाद को प्रश्रय देना बंद नहीं करता है तब तक उसके साथ कोई बातचीत नहीं होगी.
जनरल बाजवा का ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ विपक्षी दल एकजुट हैं और इमरान खान के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा, अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की तरफ से पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बढ़ता जा रहा है. अगर पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस ऐक्शन नहीं लेता है तो उसे फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) ब्लैकलिस्ट भी कर सकता है.