फ्रांस की मैगजीन शार्ली हेब्डो में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून फिर से प्रकाशित करने के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान में विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए हैं. हजारों की संख्या में पाकिस्तान में फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन में हजारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. पिछले सप्ताह, फ्रांस की व्यंग्यात्मक पत्रिका शार्ली हेब्डो ने पैगंबर मोहम्मद के उन विवादित कार्टूनों को फिर से छापा है जिसे लेकर साल 2015 में उसके दफ्तर को आंतकी हमले का निशाना बनाया गया था. शार्ली हेब्डो ने साल 2015 में हुए आतंकी हमले के ट्रायल की शुरुआत होने से पहले इन कार्टून को फिर से छापने का फैसला किया.
7 जनवरी, 2015 में मैगजीन के दफ्तर पर हुए आतंकी हमले में फ्रांस के कुछ मशहूर कार्टूनिस्टों समेत 12 लोगों की मौत हो गई थी. कुछ दिन बाद पैरिस में इसी से जुड़े एक अन्य हमले में पांच लोगों की जान चली गई थी.
पाकिस्तान ने फ्रांस की मैगजीन के पैगंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून को फिर से छापने के फैसले की कड़ी आलोचना की. पाकिस्तान के धार्मिक नेताओं ने भी शुक्रवार की नमाज के बाद प्रदर्शनों में हिस्सा लेने की अपील की. विरोध-प्रदर्शनों में हजारों लोग इकठ्ठा हुए और फ्रांसीसी सामान के बहिष्कार और फ्रांस के राजदूत को निकालने की मांग की.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने ट्वीट में कहा था कि फ्रेंच मैगजीन के इस फैसले से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के दुनिया के सपने को नुकसान पहुंचा है और इससे सामाजिक और धार्मिक सौहार्दता को भी खतरा पैदा होता है. चौधरी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, अरबों मुसलमानों की भावनाओं को आहत करने के लिए जानबूझकर उठाए गए कदम को अभिव्यक्ति या प्रेस की आजादी के नाम सही नहीं ठहराया जा सकता है.
लाहौर में प्रदर्शन में शामिल हुए एक शख्स मोहम्मद अंसारी ने कहा, हमें फ्रांस को सख्त संदेश देने की जरूरत है कि हमारे पैंगबर का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद की तस्वीरें बनाना प्रतिबंधित हैं. पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून के उल्लंघन के तहत धर्म का अपमान करने पर मृत्यदंड तक दिया जा सकता है.
अतीत में, पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में राजनीतिज्ञों की हत्याएं और छात्रों की सरे आम लिचिंग हुई हैं. पाकिस्तान में फ्रांस के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शन कट्टरपंथी पार्टी तहरीक-ए-लबाइक पाकिस्तान के नेतृत्व में हुए थे. इस संगठन ने पहले भी ईशनिंदा कानून के तहत हिंसक विरोध-प्रदर्शन आयोजित किए हैं.
फ्रांस की मैगजीन शार्ली हेब्डो ने शुक्रवार को बताया कि पहले दिन उसकी वेडनेसडे एडिशन की सारी प्रतियां बिक गईं और मांग को देखते हुए आने वाले वक्त में वो 2 लाख प्रतियां और छापेगी.
मैगजीन ने अपने संपादकीय में लिखा है कि साल 2015 में हुए हमले के बाद लोग पैगंबर के उन कार्टून को प्रकाशित करने की मांग करते रहे हैं. मैगजीन के संपादक ने लिखा है, हमने हमेशा ऐसा करने से इनकार किया लेकिन इसलिए नहीं कि ये प्रतिबंधित है. कानून हमें ऐसा करने की इजाजत देता है लेकिन ऐसा करने के पीछे अच्छी वजह होनी चाहिए थी, ऐसी वजह जिसका कोई मतलब हो और जिससे लोगों के बीच एक स्वस्थ बहस शुरू हो सके. जनवरी 2015 में हुए आतंकी हमलों के ट्रायल शुरू होने से पहले हमें इन कार्टूनों को छापना जरूरी लगा.
वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने व्यंग्य पत्रिका के कार्टून फिर से प्रकाशित करने के फैसले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था. मैक्रों ने कहा कि फ्रांस में हमेशा से अभिव्यक्ति की आजादी रही है. उन्होंने कहा, किसी पत्रकार या न्यूजरूम की संपादकीय पसंद को लेकर किसी तरह की प्रतिक्रिया देना राष्ट्रपति के लिए उचित नहीं है. कभी नहीं. क्योंकि हमारे यहां प्रेस की स्वतंत्रता सबसे ऊपर है. हालांकि, उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी नागरिक एक-दूसरे के प्रति सम्मान दिखाएं और नफरत फैलाने वाले संवाद से बचें.