अमेरिका की कमान जब तक डोनाल्ड ट्रंप के हाथ में रही, तब तक पाकिस्तान इस महाशक्ति के लिए हाशिए पर रहा. बाइडन के आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंध पटरी पर आएंगे लेकिन अब तक कुछ भी ठोस नहीं हुआ है. सोमवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड जे ऑस्टिन ने पाकिस्तान के आर्मी प्रमुख कमर जावेद बाजवा से बात की.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाना चाहता है. अमेरिकी रक्षा मंत्री ने अफगानिस्तान शांति वार्ता में पाकिस्तान की भूमिका की तारीफ भी की. इसके साथ ही ऑस्टिन ने जनरल बाजवा से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को लेकर भी बात की. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के इस बयान से लग रहा था कि दोनों देशों के बीच नई शुरुआत होने जा रही है. लेकिन इसी बीच पाकिस्तान ने अमेरिका को झटका देने वाला बयान दे दिया.
सोमवार रात को जारी किए बयान में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जहीद हाफिज चौधरी ने कहा, पाकिस्तान में ना ही कोई अमेरिकी सैन्य बेस है और ना ही ऐसा कोई प्रस्ताव रखा गया है. इसे लेकर किसी भी तरह की अटकलबाजी का कोई आधार नहीं है और ये पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना है. इस तरह की कयासबाजी से बचा जाना चाहिए.
पाकिस्तान के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका एयर लाइन्स ऑफ कम्युनिकेशन्स और ग्राउंड लाइन ऑफ कम्युनिकेशन्स के दायरे में रहते हुए एक-दूसरे को सहयोग करते हैं और ये व्यवस्था साल 2001 से ही है. इस संबंध में कोई भी नया समझौता नहीं किया गया है. पाकिस्तान का ये बयान ऐसे वक्त में सामने आया है, जब बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा मदद को फिलहाल बहाल नहीं करने का फैसला किया है. ट्रंप सरकार ने ही आतंकवाद पर पाकिस्तान के सहयोग से असंतुष्ट होकर अमेरिका से मिलने वाली सुरक्षा मदद पर रोक लगाई थी.
पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक, पेंटागन के एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा अमेरिकी सेना को अपने एयरस्पेस और जमीन का इस्तेमाल करने की इजाजत दी है ताकि अफगानिस्तान में वह उसकी मौजूदगी को मजबूत कर सके.
अमेरिका में राजयनिक सूत्रों के हवाले से पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने लिखा है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की मदद के लिए हमेशा अपने एयरस्पेस और जमीन के इस्तेमाल की इजाजत दी और आगे भी वो ऐसा करता रहेगा. इसके बाद ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर दिया.
हिंद-प्रशांत में रक्षा मामलों के उप रक्षामंत्री डेविड एफ हेल्वे ने अमेरिकी सीनेट आर्म्ड सर्विसेस कमिटी को पिछले सप्ताह बताया था कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ आगे भी संपर्क बनाए रखेगा क्योंकि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में उसकी अहम भूमिका है.
हेल्वे ने कहा, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अहम भूमिका निभाई है. पाकिस्तान ने अफगान शांति प्रक्रिया में सहयोग दिया. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हमारी सैन्य मौजूदगी को मजबूत करने के लिए अपने एयरस्पेस और जमीन का इस्तेमाल करने दिया. हम पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रखेंगे क्योंकि अफगानिस्तान के भविष्य में उनका सहयोग और योगदान काफी अहम भूमिका निभा सकता है.
सीनेट के सामने हुई सुनवाई में अमेरिकी सांसद केविन क्रैमर ने सवाल किया था कि अफगानिस्तान में आंतकियों को लौटने से रोकने के लिए अमेरिका की क्या योजना है? वहीं, सीनेटर मैनचिन ने कहा कि जब अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना और विमान मौजूद नहीं रहेंगे तो उसे अपने क्षेत्रीय सहयोगियों पर निर्भर होना पड़ेगा. क्या आतंकवाद को बाहर निकालने के मकसद में क्षेत्र के सहयोगियों को लेकर आप पूरी तरह आश्वस्त हैं? पेंटागन के अधिकारी ने जवाब में कहा कि रक्षा मंत्रालय क्षेत्र में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि अफगानिस्तान फिर से आतंकवादियों की पनाह ना बन सके.
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सलिवन और उनके पाकिस्तानी समकक्ष मोइद युसूफ ने रविवार को जेनेवा में मुलाकात की. बाइडेन सरकार के आने के बाद से पाकिस्तान और अमेरिका के बीच ये पहली शीर्ष स्तर की मुलाकात थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मुलाकात में सबसे ज्यादा जोर द्विपक्षीय संबंधों पर था हालांकि, भारत, अफगानिस्तान और आर्थिक सहयोग को लेकर भी चर्चा हुई.
पाकिस्तानी एनएसए ने बाइडेन प्रशासन की तरफ से कम तवज्जो मिलने की भी शिकायत की. इसे लेकर अमेरिकी एनएसए ने कहा कि कोविड महामारी और कुछ आंतरिक समस्याओं की वजह से ऐसा हुआ. उन्होंने भविष्य में पाकिस्तान के साथ संवाद बढ़ाने को लेकर आश्वासन भी दिया.