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पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने हंगामा होने के बाद भारत को लेकर मारी पलटी

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 8:07 PM IST
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भारत से व्यापार फिर शुरू करने के फैसले पर पाकिस्तान ने यू-टर्न ले लिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि कैबिनेट ने भारत से चीनी-कपास के आयात को मंजूरी नहीं दी है. दरअसल, पाकिस्तान की इकॉनोमिक कॉर्डिनेशन कमेटी (ईसीसी) ने बुधवार को भारत से आयात करने को हरी झंडी दे दी थी.

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने गुरुवार को कहा कि फिलहाल भारत के साथ संबंध सामान्य होना मुमकिन नहीं है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, शाह महमूद कुरैशी ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान सहित पाकिस्तानी मंत्रिमंडल की आम राय है कि भारत जब तक कश्मीर को लेकर 5 अगस्त 2019 के फैसले पर दोबारा विचार नहीं करता, तब तक दोनों देशों के रिश्ते का सामान्य होना मुमकिन नहीं है. 

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री क़ुरैशी ने कहा, "ऐसी धारणा बन रही थी कि भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते सामान्य हो रहे हैं और व्यापार की अनुमति दे दी गई है. लेकिन कैबिनेट ने इकॉनॉमिक कॉर्डिनेशन कमेटी की सुझाव पर विचार किया और कहा कि अभी इस मामले में और गौर किए जाने की जरूरत है. प्रधानमंत्री इमरान खान और सभी की यही राय है कि कश्मीर को लेकर जब तक भारत 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले पर विचार नहीं करता है, तब तक रिश्ते बहाल करना संभव नहीं है." असल में, बुधवार को पाकिस्तान की इकोनॉमिक कोऑर्डिनेशन कमिटी ने अपनी एक रिपोर्ट पेश की. इसमें भारत के साथ कपास और चीनी का व्यापार शुरू करने की अपील की गई थी. लेकिन पाकिस्तान की कैबिनेट ने इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया और फिर कश्मीर राग अलापा. (फाइल फोटो)

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पाकिस्तान की मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन मजारी ने ट्वीट किया, आज कैबिनेट ने साफ तौर पर भारत के साथ व्यापार को ना कह दिया. प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्पष्ट कर दिया कि 5 अगस्त 2019 को कश्मीर को लेकर लिया गया फैसला जब तक भारत वापस नहीं लेता है, तब तक दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते हैं. कैबिनेट की बैठक से पहले भी शिरीन ने ट्वीट कर कहा था, इकनॉमिक कोऑर्डिनेशन कमिटी के सभी फैसलों पर कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होती है और तभी इसे सरकार की तरफ से लिया गया फैसला माना जाता है. मीडिया को कम से कम इतना पता होना चाहिए.

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माना जा रहा है कि इमरान खान की सरकार ने विपक्षी दलों और पाकिस्तानी पत्रकारों की आलोचना के बाद भारत से व्यापार बहाल करने के प्रस्ताव को वापस लिया है. इमरान खान पर सवाल खड़ा करते हुए पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) ने कहा था कि पाकिस्तान के लोग उनके प्रशासन की विफलताओं की कीमत चुका रहे हैं.   
 

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पाकिस्तान के वित्त मंत्री हम्माद अजहर ने भी बुधवार को निजी क्षेत्र को 5 लाख टन चीनी आयात करने की अनुमति देने के प्रस्ताव की बात कही थी. उनका कहना था कि दोनों देशों के बीच फिर ट्रेड शुरू होने से पाकिस्तान में आम आदमी की जेब पर बोझ कम पड़ेगा. पाकिस्तान के मुकाबले भारत में चीनी 15-20 फीसदी सस्ती है.

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ईसीसी की तरफ से जारी हुए आधिकारिक बयान में कहा गया था कि 30 जून 2021 तक के लिए भारत से चीनी के आयात को मंजूरी दे दी गई है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के पास वाणिज्य और कपड़ा मंत्रालय का प्रभार है और उन्होंने कपास और चीनी के आयात की समरी को मंजूरी दी थी यानी इमरान खान भारत से सामान आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के पक्ष में थे. लेकिन विपक्ष के दबाव में आकर वह अपना फैसला पलटने पर मजबूर हो गए.

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पाकिस्तान 2019 तक भारतीय कपास के प्रमुख खरीदारों में से एक था. लेकिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद पाकिस्तान ने भारत से माल के आयात पर पाबंदी लगा दी. भारत कपास का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है. पड़ोसी देश को निर्यात करने से भारत के स्थानीय बाजारों में चीनी का सरप्लस कम हो जाता जबकि पाकिस्तान को भी रमजान से पहले चीनी की बढ़ती कीमतों को कम करने में मदद मिलती.

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