टिक टॉक के वीडियो की तरह पाकिस्तान का चीनी ऐप पर लगाया गया बैन भी ज्यादा लंबा नहीं खिंचा. पाकिस्तान की सरकार ने टिक टॉक पर बैन लगाने के 10 दिन बाद ही अपना फैसला वापस ले लिया है.
पाकिस्तान की टेलिकम्युनिकेशन अथॉरिटी ने सोमवार को जारी किए बयान में बताया कि वो टिक टॉक पर बैन लगाने के फैसले को वापस ले रही है. अथॉरिटी ने कहा कि चीनी ऐप ने पाकिस्तान के नियमों के मुताबिक अश्लील कंटेंट पर पूरी तरह से रोक लगाने का वादा किया है.
पाकिस्तान की नियामक संस्था ने सोशल मीडिया पर कहा, टिक टॉक के प्रबंधन की तरफ से अश्लील कंटेंट पोस्ट करने वाले सभी अकाउंट को ब्लॉक करने के वादे के बाद इस पर से बैन हटाया जा रहा है.
पाकिस्तान की टेलिकम्युनिस्ट अथॉरिटी ने 9 अक्टूबर को कहा था कि अश्लील और बेहूदा कंटेंट की शिकायत को लेकर वो टिक टॉक पर प्रतिबंध लगा रही है. हालांकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि टिक टॉक पर प्रतिबंध इसलिए लगाया गया ताकि सरकार की आलोचना वाले वीडियो सेंसर किए जा सके.
टिक टॉक को कई देशों में पहले ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. भारत ने सबसे पहले चीनी ऐप पर बैन लगाया था. ये चीनी कंपनी के लिए किसी झटके से कम नहीं था क्योंकि भारत ऐप के लिए एक बड़ा बाजार था.
अमेरिका में ट्रंप प्रशासन भी राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा लीक होने की चिंताओं के मद्देनजर इस ऐप को बैन करने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहा है. हालांकि, अमेरिकी जज ने सितंबर महीने में कहा था कि ट्रंप ऐप स्टोर्स से ऐप को हटाने के लिए दबाव नहीं बना सकते हैं.
पाकिस्तान में 4 करोड़ बार इस ऐप को इंस्टॉल किया जा चुका है. पाकिस्तान टिक टॉक का 12वां सबसे बड़ा बाजार है. टिक टॉक के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, हम खुश हैं कि पाकिस्तान में टिक टॉक पर से बैन हटा लिया गया है और हम एक सुरक्षित माहौल में पाकिस्तानी लोगों की आवाज बन सकेंगे.
पाकिस्तान में इंटरनेट को लेकर पहले से ही सख्ती रही है. पाकिस्तान की सरकार ने साल 2012 में यूट्यूब पर बैन लगा दिया था. यूट्यूब पर एक इस्लाम विरोधी फिल्म पोस्ट करने के बाद प्रशासन ने ये कदम उठाया था.
इस साल भी पाकिस्तान में कई ऐप बैन हुए हैं जिसमें टिंडर, स्कॉउट, ग्रिडर से हाय जैसे ऐप शामिल हैं. इन ऐप को भी अश्लील कंटेंट के आधार पर ब्लॉक किया गया है.