पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ को नवंबर 2007 को देश में इमरजेंसी लगाने के जुर्म में परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुना दी गई है. हालांकि, परवेज मुशर्रफ 2007 में इमरजेंसी लगाने से पहले 1999 में ही देश के इतिहास में एक काला अध्याय लिख चुके थे.
12 अक्टूबर 1999 के दिन पाकिस्तान की सेना ने महज 17 घंटों के भीतर तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार का तख्तापलट कर दिया था और इस तख्तापलट को अंजाम देने वाला कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ ही थे.
जनरल मुशर्रफ श्रीलंका के दौरे पर थे और तभी उन्हें पता चला कि शरीफ और इंटेलिजेंस चीफ जनरल जियाउद्दीन की इस्लामाबाद में एक गोपनीय बैठक हुई है और उन्हें पद से हटाने की तैयारी की जा रही है. जनरल मुशर्रफ को जब भनक लगी कि उनकी बर्खास्तगी को रिटायरमेंट के तौर पर पेश किया जाएगा और उनकी जगह पर जनरल जियाउद्दीन को पद सौंप दिया जाएगा, उन्होंने तुरंत कोलंबो एयरपोर्ट से कराची के लिए फ्लाइट ले ली.
जनरल मुशर्रफ के वफादार आर्मी प्रमुख और जवान रावलपिंडी के पास इकठ्ठा होने लगे. विदेशी पत्रकारों की मौजूदगी में पाकिस्तानी सेना ने सरकारी टीवी स्टेशन पर कब्जा जमा लिया. शरीफ ने उसी दिन दोपहर में जनरल जियाउद्दीन को नया सेना प्रमुख बनाने का ऐलान कर दिया था. लेकिन शुरुआत से ही नवाज शरीफ की योजना के मुताबिक चीजें नहीं हो रही थीं, लगभग हर वरिष्ठ अधिकारी उनके कमांड को मानने से इनकार कर दे रहा था.
जब शरीफ और जनरल जियाउद्दीन को शक हुआ तो उन्होंने तय किया कि जनरल मुशर्रफ को पाकिस्तान लौटने ही ना दिया जाए. प्रधानमंत्री के कार्यालय से जनरल मुशर्रफ के रिटायरमेंट की घोषणा कर दी गई. इस ऐलान के साथ ही पाकिस्तानी आर्मी को बगावत की वजह मिल गई और एक घंटे बाद ही 111 बिग्रेड की 10वीं कॉर्प्स इस्लामाबाद के लिए निकल पड़ी.
सेना ने शरीफ के घर को चारों तरफ से घेर लिया और सुरक्षा में तैनात जवानों से हथियार छीन लिए. शरीफ ने नए आर्मी चीफ की नियुक्ति का आदेश वापस लेने से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्हें उनके घर से एयरपोर्ट के नजदीक एक गेस्ट हाउस ले जाया गया.
आर्मी के जवानों ने देश भर की प्रशासनिक इमारतों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया और शरीफ के वफादारों को हटाकर पूरी कैबिनेट को हाउस अरेस्ट कर लिया. हालांकि, इन सबके बावजूद अब भी एक शख्स की कमी थी और वह अभी तक वह हवा में ही था.
जनरल मुशर्रफ का विमान शाम 6.30 बजे कराची एयरपोर्ट के नजदीक पहुंचा लेकिन ट्रैफिक कंट्रोलर ने विमान की लैंडिंग के लिए इजाजत देने से ही इनकार कर दिया. उस प्लेन में मुशर्रफ के अलावा 200 अन्य यात्री भी सवार थे. जनरल मुशर्रफ को अनहोनी का आभास हो गया था, ऐसे में उन्होंने पायलट से आदेश की अनदेखी करते हुए कराची के ऊपर ही प्लेन मंडराने के लिए कहा जबकि विमान का ईंधन भी खत्म हो रहा था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जनरल परवेज मुशर्रफ ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स से सीधे अनुरोध किया और राइट टु लैंड की मांग की.
पहले तो कंट्रोलर्स ने लैंडिंग के लिए परमिशन देने से इनकार कर दिया था लेकिन बाद में जब सैनिकों ने टावर घेर लिया तो फिर प्लेन को लैंड करने दिया गया. मुशर्रफ ने बाद में बताया था कि उनके प्लेन में सिर्फ सात मिनट का ही फ्यूल बचा था.
रात 10 बजकर 15 मिनट पर सरकारी चैनलों पर नवाज शरीफ की बर्खास्तगी का ऐलान कर दिया गया. अगली सुबह ही जनरल मुशर्रफ ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया.