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इमरान खान के खिलाफ पाकिस्तान में बवंडर, सबकी नजरें सेना पर

aajtak.in
  • 19 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST
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पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार और सेना के खिलाफ विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं. शुक्रवार को हुए राजनीतिक दलों के आह्वान पर इमरान खान की सरकार के खिलाफ हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे. इमरान खान के विरोधियों ने इसे ‘इमरान खान के अंत की शुरुआत’ कहा है.

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पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी और सुन्नी कट्टरपंथी दल जमीअत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के चीफ मौलाना फजलुर रहमान ने कहा, "ये अवैध सरकार है. इसे सिस्टम ने हम पर थोपा है. हम इस अवैध शासन को खारिज करते हैं." मौलाना इससे पहले भी इमरान खान की सरकार के खिलाफ आजादी मार्च निकाल चुके हैं.

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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेना पर अपनी सरकार गिराने और साल 2018 के चुनाव में इमरान खान को सत्ता में बिठाने का आरोप लगाया. लंदन से नवाज शरीफ ने अपने वर्चुअल संबोधन में कहा, बेरोजगारी, महंगाई और इस संकट के लिए मैं इमरान खान को दोषी ठहराऊं या फिर उन्हें जो उन्हें सत्ता में लाए हैं. आपका वोट किसने चुराया और चुनाव में धांधली किसने की? किसने इस सरकार को चुना है?
 

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नवाज शरीफ ने कहा, उन्होंने मुझे बोलने से रोका ताकि मेरी आवाज दब जाए और आप तक ना पहुंच पाए. आपकी आवाज मुझ तक ना पहुंच सके.. लेकिन वे नाकाम हो गए. नवाज शरीफ ने "वन पाकिस्तान फॉर ऑल" का नारा दिया और सैन्य अधिकारियों के लिए सजा की मांग की. नवाज शरीफ ने कहा कि सेना ने ही इमरान खान को सत्ता में बिठाया और संविधान का उल्लंघन किया. जबकि मैं संविधान और लोकतंत्र की बात कर रहा हूं तो मुझे देशद्रोही करार दिया जा रहा है.

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इस रैली से पहले ही बड़ी तादाद में लोगों को गिरफ्तार किया गया. विपक्षी दलों के नेता और ऐक्टिविस्ट्स को भी जेल में डाल दिया गया. इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) पार्टी के ही लोग थे. रैली के बाद भी गिरफ्तारियां जारी हैं. नवाज शरीफ की बेटी मरयम नवाज के पति सफदर अवान को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.

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पीएमएल-एन के सेक्रटरी जनरल एहसान इकबाल ने बताया कि कैसे विरोध-प्रदर्शन से पहले की रात ही पुलिस कार्यकर्ताओं के घरों में घुस गई और फर्जी मामलों में उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

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इकबाल कहते हैं, पिछले तीन दशकों के राजनीतिक अनुभवों के दौरान मैंने मार्शल लॉ लागू होते देखा है लेकिन इस तरह की क्रूरता कभी नहीं देखी. हमारे कार्यकर्ताओं के खिलाफ अभी भी रेड जारी हैं. उन्होंने हमारे रास्ते में कंटेनर रख दिए हैं, हमारे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया और हमारे बैनर्स फाड़ दिए लेकिन हम रुकने वाले नहीं है. ये इमरान खान के युग के अंत की शुरुआत भर है.

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इमरान खान को सत्ता से बाहर करने के लिए पीडीएम एलायंस (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट) पिछले महीने ही बनाया गया है. पाकिस्तान के इतिहास में ये पहली बार है जब सभी विपक्षी दल एक साथ आकर पाकिस्तान की राजनीति में सेना के दखल को चुनौती दे रहे हैं. नवाज शरीफ की पीएमएल-एन के अलावा, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) और जमायत-उलेमा-ए-इस्लाम फजल ) जेयूआई-एफ) इस लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं.

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पार्टी के नेताओं को आरोप है कि पाकिस्तान की सेना अपनी बेहिसाब ताकत का इस्तेमाल राजनीति में दखल देने में करती है. पाकिस्तान सेना पर ये भी आरोप लग रहा है कि साल 2018 के चुनावों को भी सेना ने प्रभावित किया और इमरान खान को जीत दिलाई. इमरान खान की सरकार को विपक्षी दल के नेता सेना की कठपुतली भी बुलाते हैं.

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इकबाल ने कहा, हमें राजनीति में सेना के दखल की जरूरत नहीं है, ये रुकना चाहिए. इसीलिए सभी राजनीतिक दल आज इकठ्ठा हुए हैं. पाकिस्तान के लिए केवल एक ही रास्ता है कि वो बिना सेना के हस्तक्षेप के लोकतंत्र के साथ आगे बढ़े. विपक्षी दलों के गठबंधन ने आने वाले हफ्तों में कई ऐसी रैलियां आयोजित करने वाली है. जनवरी 2021 में इमरान खान से इस्तीफा देने की मांग करते हुए राजधानी इस्लामाबाद से संसद तक एक महारैली का आयोजन किए जाने की भी योजना है. विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि वे बड़े पैमाने पर इस्तीफा देंगे और संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे.

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इमरान खान की सरकार के खिलाफ ऐसे वक्त में प्रदर्शन हो रहे हैं जब वो बेरोजगारी, महंगाई दर और कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रही है. खाने की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से भी लोगों के मन में इमरान सरकार के खिलाफ नाराजगी है. कोरोना महामारी की वजह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है. हालांकि, पाकिस्तान में कोरोना वायरस लगभग नियंत्रण में है. यहां अभी तक कोरोना संक्रमण के 3 लाख से ज्यादा केस हैं और 6621 मौतें हुई हैं. पाकिस्तान की कुल आबादी 22 करोड़ है. शुक्रवार को हुई रैली में करीब 50,000 लोग स्टेडियम में इकठ्ठा हुए, यहां ना कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा था और ना ही किसी नेता ने मास्क लगा रखा था.

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भीड़ के हाथों में नवाज शरीफ और बेनजीर भुट्टो वाले बैनर्स थे. रावलपिंडी के रहने वाले वसीम अहमद खान ने कहा, वो एक लोकतांत्रिक पाकिस्तान के लिए थे जहां हर किसी की जवाबदेही तय हो.  उन्होंने कहा, जब से इमरान खान सत्ता में आए हैं, उनके महीने का खर्च दोगुना हो गया है. परिवार का भरण-पोषण तक मुश्किल हो गया है. 
 

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लियाकत अली कुरैशी ने कहा, सरकार गरीबों पर जुल्म ढा रही है. हम अपने पुराने पाकिस्तान में खुश थे, क्या यही इमरान खान का नया पाकिस्तान है? जाहिर है कि अगर ये नया पाकिस्तान है तो फिर गरीबों के लिए नहीं है. उन्होंने कहा, हर कोई जानता है कि इमरान खान को उन लोगों ने ही प्रधानमंत्री बनाया जो सात दशकों से पाकिस्तान की राजनीति को नियंत्रित करते रहे हैं-, यानी पाकिस्तान की सेना.

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जैसे-जैसे इमरान खान की सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है, वैसे -वैसे विपक्षी दलों के नेताओं की गिरफ्तारियां भी तेज होती जा रही हैं. पिछले महीने, पीएमेल-एन के नेता और नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वहीं, नवाज शरीफ को पिछले साल ब्रिटेन में इलाज के लिए आठ हफ्ते की बेल मिली थी लेकिन अब वो कोर्ट में भगोड़े बन गए हैं. पाकिस्तान की सरकार ब्रिटेन से उनके प्रत्यर्पण की कोशिशें कर रही हैं. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भी इसी सप्ताह एक अरेस्ट वॉरंट जारी किया गया था. अब देखना होगा कि पाकिस्तान की सेना इमरान सरकार और खुद को बचाने के लिए क्या कदम उठाती है.

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