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विश्व

चीन की बढ़ती 'दादागिरी' के खिलाफ भारत के साथ आया फ्रांस

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 10:37 AM IST
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मालाबार के बाद पहली बार QUAD देश फ्रांस के नेतृत्व में बंगाल की खाड़ी में युद्धाभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय नौसेना 5 से 7 मार्च तक पूर्वी हिंद महासागर में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के साथ फ्रांसीसी नौसेना अभ्यास में भाग ले रही है. इस युद्धाभ्यास को 18वीं शताब्दी के फ्रांसीसी नौसेना अधिकारी के नाम पर ला पेरॉस नाम दिया गया है. फिलहाल, हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती चीन की आक्रमता के बीच इस युद्धाभ्यास को अहम माना जा रहा है. चीन की इस घटनाक्रम पर कड़ी नजर है. (फोटो-इंडिया टुडे) 

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भारतीय नौसेना के जहाज INS सतपुड़ा (एक इंटिग्रल हेलीकॉप्टर के साथ) और पी 8I लॉन्ग रेंज मैरीटाइम पैट्रोल एयरक्राफ्ट के साथ आईएनएस किल्तान पहली बार बहुपक्षीय सामुद्रिक अभ्यास ला पेरॉस में भाग ले रहे हैं. इसमें भारतीय नौसेना के जहाज और विमान फ्रांस की नौसेना (एफएन), रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी (आरएएन), जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) और अमेरिकी नौसेना (यूएसएन) के जहाज और विमान तीन दिन के समुद्री अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. (फोटो-PTI)

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क्वाड भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान देशों का एक समूह है, जिसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों के हितों की रक्षा करना और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना है. बहरहाल, नई दिल्ली में स्थित फ्रांसीसी दूतावास ने इसे लेकर समान विचारधारा वाले देशों की नौसेनाओं के बीच संबंधों को मजबूत बनाए जाने की उम्मीद जाहिर की है. चारों देशों के बीच यह ड्रिल क्वाड देशों के बीच 12 मार्च को हुई वर्चुअल बैठक के बाद हो रही है. इस बैठक को एशिया के भू-राजनीति में एक निर्णायक क्षण के रूप में देखा गया. (फोटो-ANI)

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क्वाड देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नवंबर 2020 मालाबार ड्रिल के बाद इस समुद्री अभ्यास के लिए हाथ मिलाया है. फ्रांस के साथ, चार राष्ट्रों के इस सहयोग को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की उम्मीद है. सैन्य विश्लेषक क्वाड देशों के इस ड्रिल को अहम नजरिये से देख रहे हैं. सामरिक मामलों के जानकार एनसी बिपिंद्र ने एक न्यूज पोर्टल निक्केई एशिया से बातचीत में कहा कि हाल के वर्षों में हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन ने अपनी आक्रामक सैन्य गतिविधियां बढ़ाई हैं. जाहिर है इस पर उसकी कड़ी नजर होगी. 

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एनसी बिपिंद्र कहते हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पांच देशों की सैन्य ड्रिल को चीन का अपने लिए एक समस्या के रूप में देखा जाना स्वाभाविक है. यह इस बात का सूचक है कि इस क्षेत्र की भू-राजनीतिक गतिशीलता भविष्य में क्या रुख लेती है? (फोटो-PTI)
 

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एक अन्य विश्लेषक का कहना कि है इस ड्रिल ने दो धड़ा तैयार कर दिया है. वैसे भी फ्रांस चीन की समुद्री चालों से वाकिफ है. विशेष रूप से हिंद महासागर के फ्रांसीसी क्षेत्र में चीन खनिजों और संसाधनों की खोदने में जुटा हुआ है. इसलिए फ्रांस चाहता है कि इस क्षेत्र में उसके अपने सहयोगियों का एक मजबूत रिश्ता बने ताकि चीन की आक्रमकता से निपटा जा सके. (फोटो-ANI)

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हालांकि चीन ने इसे सार्वजनिक रूप से गंभीरता से न लेने का दिखावा भी किया. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में 16 मार्च को प्रकाशित एक लेख में बीजिंग स्थित सैन्य विश्लेषक वेई डोंगक्सू ने इस ड्रिल को मात्र "पब्लिसिटी स्टंट" करार दिया और कहा था कि क्वाड "एक शिथिल समूह" है, जो अपने सदस्यों के अस्थायी हितों के लिए स्थापित किया गया था. (फाइल फोटो-AP)
 

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मगर उसी लेख में वेई ने यह भी लिखा कि क्वाड के सैन्य कदम के निशाने पर चीन है. चीन को अब अपनी सैन्य क्षमताओं में सुधार करने और दुनिया के सामने अपनी व्यापक समुद्री युद्ध क्षमताओं को मजबूत करने की जरूरत है. साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने क्वाड के सैन्य ड्रिल को "सुरक्षा जोखिम" के तौर पर देखा और इसे "इंडो-पैसिफिक नाटो" करार दिया है. जबकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजाह ने कहा कि यह चीन के खिलाफ एक वैचारिक पूर्वाग्रह से स्थापित एक "अनन्य गुट" है. (फोटो-AP)
 

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बहरहाल, भारत में कुछ विश्लेषकों का कहना है कि जब चीन इस सैन्य ड्रिल को लेकर परेशान है इसका मतलब यह है कि वह मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ के कुछ देशों के बारे में चिंतित है. इनमें दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद भी शामिल है. क्वाड प्लस में फ्रांस भी जुड़ता है तो उसे बहुत फर्क नहीं पड़ता है लेकिन लेकिन यदि वियतनाम, इंडोनेशिया या फ़िलीपींस क्वाड से जुड़ते हैं तो इससे बीजिंग को बहुत बड़ा फ़र्क पड़ता है. क्योंकि ये देश क्वाड देशों को अपने नौसैनिक अड्डों की पेशकश करेंगे. (फोटो-ANI)

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ऑस्ट्रेलिया के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मारिज पायने ने 15 मार्च को कहा था कि हम अपने क्षेत्र की समुद्री सुरक्षा सहित साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए क्षेत्रीय भागीदारों के साथ अपने महत्वपूर्ण काम के लिए प्रतिबद्ध हैं. समावेशी, संप्रभु और हिंद-प्रशांत क्षेत्र, जहां सभी राज्यों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए, उसकी रक्षा जरूरी है. (फाइल फोटो-PTI)

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कुल मिलाकर विश्लेषकों का कहना है कि इस सैन्य ड्रिल का चीन को सीधा संदेश जाने वाला है. दुनिया के कई देश चीन के बर्ताव को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं, लेकिन अब इस युद्धाभ्यास से यह बात कहने कि कोशिश होगी कि अगर चीन ने कोई कदम उठाया तो उसका उसे जवाब भी मिलेगा.  (फोटो-PIB)

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