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अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट का खतरा, रूस ने ताजिकिस्तान में उतारी सेना

aajtak.in
  • मॉस्को,
  • 30 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST
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अफगानिस्तान में तालिबान के मजबूत होने से पड़ोसी मुल्कों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया. खासकर मध्य एशिया के देश इसे लेकर चिंतित हैं. रूस भी अफगानिस्तान से लगी ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान की सीमा की सुरक्षा को लेकर सतर्क है. वह ताजिकिस्तान में अपने सैन्य अड्डे की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ा रहा है और स्थानीय सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहा है. अगले कुछ दिनों में उज्बेकिस्तान में ताजिकिस्तान के साथ मिलकर सैन्य अभ्यास करने की तैयारी में जुटे रूस ने ये भी चेतावनी दी है कि आतंकवादी गुट इस्लामिक स्टेट के लड़ाके अफगानिस्तान में एंट्री कर रहे हैं. 

(फोटो-Getty Images)
 

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ताजिकिस्तान पहुंचे रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के चलते अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति तेजी से बिगड़ रही है. गठबंधन सैनिकों की वापसी के बाद से मुस्लिम-बहुल मध्य एशियाई देश के पड़ोसी मुल्क संभावित बड़ी सुरक्षा चुनौती से निपटने की तैयारियों को लेकर अलर्ट हैं. 

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विशेष रूप से, मास्को ने उत्तरी अफगानिस्तान में आईएस की बढ़ती ताकत को लेकर चिंता व्यक्त की है. शोइगु ने कहा कि आईएस के लड़ाके सीरिया, लीबिया और कई अन्य देशों से अफगानिस्तान की ओर बढ़ रहे हैं.

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आरआईए समाचार एजेंसी ने शोइगु के हवाले से कहा, "इसके अलावा, कुछ हिस्सों में हम यह भी देख सकते हैं कि ये गतिविधियां (आतंकी गतिविधियां) काफी गंभीर हैं."

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अमेरिकी सेना की वापसी को "जल्दबाजी" करार देते हुए शोइगु ने कहा कि मास्को रूसी सैन्य केंद्रों और ताजिकिस्तान में संचालित सैन्य अड्डों में ताजिक सैन्य कर्मियों को ट्रेनिंग दे रहा है. हम सैन्य प्रशिक्षण के लिए आवश्यक हर चीज मुहैया करा रहे हैं. 

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रूसी रक्षा मंत्री ने कहा कि हम अपने बेस की लड़ाकू क्षमताओं को मजबूत करने और संभावित घुसपैठ को संयुक्त रूप से रोकने की योजनाओं पर फोकस होकर काम कर रहे हैं. 

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एक वरिष्ठ रूसी राजनयिक का कहना है कि मॉस्को उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत को, अपनी सुरक्षा के लिए संकट के तौर पर देख रहा है, क्योंकि इस्लामिक चरमपंथी गुट रूस को अपने लिए खतरा मानते हैं.

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रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान अगले सप्ताह अफगानिस्तान से लगी सीमा पर संयुक्त सैन्य अभ्यास करेंगे. तालिबान ने ताजिकिस्तान से लगी अफगानिस्तान की उत्तरी सीमा पर कब्जा कर लिया है. तालिबान अब अफगानिस्तान की 90 प्रतिशत सीमाओं को नियंत्रित करने का दावा कर रहा है. 

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बहरहाल, रूस तालिबान संकट को देखते हुए ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमावर्ती इलाकों में सैन्य उपकरण भेज चुका है. रूस 17 इंफैंट्री फाइटिंग व्हिकल के साथ ताजिकिस्तान में अपने सैन्य अड्डे को मजबूत कर चुका है. ताजिकिस्तान में 201वें सैन्य अड्डे पर छह हजार से अधिक रूसी सैनिक पहले से तैनात हैं. यह सैन्य अड्डा विदेशी धरती पर रूस के कुछ सैन्य ठिकानों में एक है. 

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रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जुलाई की शुरुआत में कहा था कि मॉस्को अपने सहयोगियों के खिलाफ किसी भी खतरे को रोकने के लिए अफगानिस्तान के साथ ताजिकिस्तान की सीमा पर रूसी सैन्य अड्डे का इस्तेमाल करने सहित सब कुछ करेगा.

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ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान जैसे देश रूस से सटे हुए हैं. लिहाजा, रूस की पुतिन सरकार पड़ोस में कोई मानवीय और सुरक्षा संकट नहीं देखना चाहती है. मॉस्को का दौरा कर चुके तालिबान डेलिगेशन ने यह आश्वासन देने की कोशिश की थी कि अफगानिस्तान के हालात से मध्य एशिया में कोई संकट नहीं होगा. 

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तालिबान रूस को आश्वासन दे चुका है कि वह अफगानिस्तान की जमीन का किसी देश के खिलाफ हमले के लिए इस्तेमाल की इजाजत नहीं देगा. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक तालिबान ने कहा था कि वो सभी उपाय करेंगे ताकि इस्लामिक स्टेट अफगानिस्तान में सक्रिय न हो और पड़ोसी मुल्कों के खिलाफ कोई हमला न करे.

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