चीन से तनाव के बीच अमेरिका को रूस से भी सामना करना पड़ा रहा है. रूस के सुखोई-27 फाइटर जेट्स ने पूर्वी यूरोप के काला सागर के ऊपर के अमेरिकी परमाणु बमवर्षक विमान B-52 को घेर लिया था. इससे सभी NATO देशों में तनाव का माहौल बन गया था. अमेरिकी बमवर्षक ब्रिटेन से उड़ा था और काला सागर यानी ब्लैक सी के ऊपर गश्त कर रहा था.
अमेरिका ने रूस के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए ब्रिटेन में अपने छह B-52 बमवर्षक तैनात कर रखे हैं. इनमें से एक बमवर्षक ने रूटीन गश्ती के लिए ब्लैक सी के ऊपर उड़ान भरी. तभी उसके पीछे रूस के सुखोई-27 लड़ाकू विमान पड़ गए. बमवर्षक को बुरी तरह से घेर लिया गया. रूसी फाइटर जेट्स बमवर्षक के काफी करीब आ गए थे.
मामला ये है कि बेलारूस को लेकर NATO और रूस में ठनी हुई है. बताया जा रहा है कि इन रूसी फाइटर जेट्स ने क्रीमिया से उड़ान भरे थे. रूस ने नाटो के हमले का जवाब देने के लिए क्रीमिया में लड़ाकू विमान तैनात कर रखे हैं. यहां पर तैनात रूसी विमानों को काला सागर के ऊपर निगरानी की जिम्मेदारी है. बेलारूस में जनता के विद्रोह को लेकर नाटो और रूस के बीच तनाव गहराता जा रहा है.
रूस ने बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेन्को को अपना समर्थन दिया है. वहीं, नाटो देश उनका विरोध कर रहे हैं. करीब 26 साल में सत्ता पर काबिज बेलारूस के राष्ट्रपति ने आरोप लगाया है कि नाटो उनके देश में बंटवारा कराना चाहता है. उन्हें सत्ता से हटाना चाहता है. नाटो और रूस में बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने अपने 6 B-52 बमवर्षक विमान ब्रिटेन भेजे हैं.
ये विमान करीब 120 मिसाइलों से लैस हैं. इनमें से कुछ परमाणु हथियारों से भी लैस हैं. अमेरिकी वायुसेना ने बयान जारी करके कहा है कि छह B-52 बॉम्बर उत्तरी डकोटा के मिनोट एयर फोर्स बेस से उड़ान भरकर 22 अगस्त को ब्रिटेन के फेयरफोर्ड हवाई ठिकाने पर पहुंचे हैं.
इस बीच, अमेरिका ने कहा है कि ये बॉम्बर्स यूरोप और अफ्रीका में फ्लाइट ट्रेनिंग अभियान में हिस्सा लेंगे. अमेरिका ने कहा कि 2018 से ही ये बॉम्बर यहां पर आते रहे हैं. इनका मकसद नाटो सहयोगियों और अन्य क्षेत्रीय भागीदारों के साथ अपना परिचय कराना है.
अमेरिकी वायुसेना ने कहा है कि यह बमवर्षक मिशन तैयारी को आगे बढ़ाएगा. जरूरी ट्रेनिंग मुहैया कराएगा. साथ ही पूरे विश्व में किसी भी संभावित संकट और चुनौतियों का जवाब देगा. इस काम को आगे बढ़ाने के लिए हमारे विमान गश्ती करते हैं, ऐसे में किसी दूसरे देश को खलल नहीं डालना चाहिए. ये बेहद निंदनीय है.