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Ukraine History: 1991 से अब तक, क्यों आई रूस-यूक्रेन के बीच जंग की नौबत...

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:47 PM IST
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यूक्रेन (Ukraine) यूरोप और एशिया के बीच की कड़ी रहा है. इसकी वजह से ही यूरेशिया (Eurasia) के सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा मिला है. यह वही जगह है जहां पर ताम्र युग (Copper Age) फैलता है. यहीं से लोगों ने घोड़ों को घरेलू बनाना सीखा. 12वीं सदी में यह दुनिया का एक ताकतवर देश था. 1917 से 1921 तक इसने गृहयुद्ध बर्दाश्त किया. सदियों तक संघर्षों से जूझते हुए यूक्रेन के नाम का मतलब क्या है? (फोटोः विकिपीडिया)

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यूक्रेन (Ukraine) यानी यूक्रेनियन सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक ( Ukrainian Soviet Socialist Republic) का अनाधिकारिक नाम है. लेकिन इसका शाब्दिक अर्थ है वह सीमाई इलाका, जो पोलैंड और कीवन रस (Kievan Rus') के बीच हो. यानी बॉर्डरलैंड (Borderland). दिक्कत ये है कि सीमाएं ही दो देशों के बीच समस्याएं खड़ी करती हैं. यहां तो यह पूरा देश ही सीमाई इलाका है. अगर शाब्दिक अर्थों पर जाएं तो. आइए समझते हैं 31 साल पहले से यहां पर क्या-क्या होता आया है. यह युद्ध का ज्वालामुखी क्या अचानक फटा है, या फिर यह कई दशकों से धीमे-धीमे लावा उबाल रहा था. (फोटोः विकिपीडिया)

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1991: सोवियत रिपब्लिक ऑफ यूक्रेन के लीडर लियोनिड क्रॉवचक (Leonid Kravchuk) ने सोवियत संघ से अलग होने की घोषणा की. सोवियत संघ के तत्कालीन नेता बोरिस येल्तसिन (Boris Yeltsin) और लियोनिड ने समझौते पर हस्ताक्षर किए. रेफरेंडम हुआ. राष्ट्रपति के चुनाव हुए. क्रॉवचक राष्ट्रपति बन गए. (फोटोः विकिपीडिया)

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1994: लियोनिड कुचमा (Leonid Kuchma) नाम के नेता ने पहले राष्ट्रपति लियोनिड क्रॉवचक को हरा दिया. लेकिन साल 1999 तक लियोनिड कुचमा (फोटोः बीच में हाथ उठाए हुए) के नाम पर कई अव्यवस्थाओं के आरोप लगे. इसी साल दोबारा चुनाव हुआ, और वो फिर राष्ट्रपति चुने गए. यह भी आरोप लगाया गया कि चुनाव में भी धांधली हुई है.

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2004: रूस समर्थक नेता विक्टर यानूकोविच (Viktor Yanukovich) यूक्रेन के राष्ट्रपति बने. लेकिन इसके बाद उनके ऊपर चुनाव में धांधली के आरोप लगने लगे. जिसके बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. इसे नाम दिया गया ऑरेंज रेवोल्यूशन (Orange Revolution). बाद में पश्चिमी देशों के समर्थक पूर्व प्रधानमंत्री विक्टर यूशचेंको को राष्ट्रपति बनाया गया. (फोटोः एएफपी)

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2005: विक्टर यूशचेंको ने वादा किया था कि वो यूक्रेन को क्रेमलिन के चंगुल से बाहर निकालेंगे. देश को यूरोपियन यूनियन (EU) और नाटो (NATO) की तरफ लेकर जाएंगे. इन्होंने एक ऊर्जा कंपनी की पूर्व प्रमुख यूलिया टिमोशेंको को प्रधानमंत्री बनाया. लेकिन बाद में अंदरूनी कलह और पश्चिम समर्थन संबंधी विवादों के कारण यूलिया टिमोशेंको को पद से हटा दिया गया. (फोटोः गेटी)

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2008: नाटो (NATO) ने यूक्रेन को वादा किया कि वह एक दिन उसे अपने साथ मिलाएगा. 2010 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में विक्टर यानूकोविच ने यूलिया टिमोशेंको को हरा दिया. यूक्रेन और रूस दोनों ने एक गैस प्राइसिंग डील की. ताकि यूक्रेन के ब्लैक सी पोर्ट से रूसी नौसेना को तेल की सप्लाई होती रहे. साल 2012 तक सबकुछ ठीकठाक चलता रहा. 

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नवंबर 2013 से मई 14 तक: विक्टर यानूकोविच की सरकार ने यूरोपियन यूनियन के साथ व्यवसाय और संबंधों को खत्म कर दिया. मॉस्को के साथ आर्थिक संबंध मजबूत करने के प्रयास करने लगे. जिसकी वजह से कीव में हजारों-लाखों की संख्या में लोग प्रदर्शन करने लगे. कीव के मैदान स्क्वायर पर प्रदर्शनकारी हिंसक हुए. जिसमें दर्जनों प्रदर्शनकारी मारे गए. फरवरी 2014 में यूक्रेन की संसद ने विक्टर यानूकोविच को पद से हटा दिया. विक्टर फरार हो गए. कुछ ही दिनों में हथियारबंद लोगों ने यूक्रेन के क्रीमिया में मौजूद संसद को कब्जे में ले लिया. रूसी झंडे फहरा दिए. रूस ने क्रीमिया इलाके को यूक्रेन से अलग कर दिया. 16 मार्च को रेफरेंडम आया, जिसमें बताया गया कि क्रीमिया रूस के साथ मिलकर खुश है. रूस-समर्थित अलगाववादियों ने डोनबास को भी आजाद करा लिया. वह भी रूस के साथ हो लिया. व्यवसायी पेट्रो पोरोशेंको राष्ट्रपति चुने गए. यह पश्चिम देशों के समर्थक हैं. 

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जुलाई 2014: नीदरलैंड्स की राजधानी एमस्टर्डम से कुआलालंपुर जा रहे मलेशियन MH17 नागरिक विमान को मिसाइल मारकर गिरा दिया गया. विमान में बैठे 298 लोगों की मौत हो गई. जांच में पता चला कि विमान को गिराने के लिए रूस में बने हथियारों का उपयोग किया गया है. लेकिन इसमें रूस का हाथ नहीं है. (फोटोः एलन विल्सन/बोइंग)

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2017: यूक्रेन ने वापस यूरोपियन यूनियन के साथ व्यवसायिक संबंध बनाने शुरु किए. मार्केट खोल दिए गए. वीजा मुक्त यात्रा की अनुमति दी गई. ताकि दोनों देशों के लोग इधर-उधर आसानी से आ-जा सकें और बेहिचक व्यवसाय कर सकें. (फोटोः गेटी)

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2019: यूक्रेनियन ऑर्थोडॉक्स चर्च को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई. इससे रूस नाराज हो गया. अप्रैल में पूर्व कॉमेडियन वोलोडिमिर जेलेन्स्की (Volodymyr Zelenskiy) ने पेट्रो पोरोशेंको को चुनाव में हराकर खुद राष्ट्रपति बन गए. कहा कि पूर्वी यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को खत्म करेंगे. भ्रष्टाचार मिटाएंगे. उनके नौकर ने जुलाई में संसदीय चुनाव जीत लिया. (फोटोः गेटी)

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जुलाई 2019: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वोलोडिमिर जेलेन्स्की से कहा कि वो उनके विरोधी कैंडिडेट जो बाइडेन (Joe Biden) के खिलाफ जांच करें. क्योंकि बाइडेन का बेटा हंटर संभवतः यूक्रेन के साथ किसी तरह के व्यवसाय में लिप्त है. लेकिन यह मामला बाद में ट्रंप के खिलाफ ही गया. (फोटोः गेटी)

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मार्च 2020: कोविड-19 की वजह से यूक्रेन में पहला लॉकडाउन लगा. IMF ने कोरोना माहमारी में यूक्रेन को 5 बिलियन डॉलर्स यानी 37,673 करोड़ रुपए की मदद की. (फोटोः गेटी)

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जनवरी 2021: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेन्स्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से कहा कि यूक्रेन को नाटो में शामिल होने में मदद करें. जेलेन्स्की सरकार ने विपक्षी नेता विक्टर मेडवेडचुक पर प्रतिबंध लगाए. इससे रूस नाराज हो गया. क्योंकि मेडवेडचुक का संबंध क्रेमलिन से बहुत ही अच्छा था. (फोटोः गेटी)

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अप्रैल 2021: रूस ने अपनी सेना को यूक्रेन की सीमाओं के करीब भेजा. जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल पूछे गए तो रूस ने कहा कि वह सैन्य अभ्यास के लिए गए हैं. (फोटोः गेटी)

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अक्टूबर 2021: यूक्रेन ने पहली बार तुर्की में बने Bayraktar TB2 drone का उपयोग किया. इसे पूर्वी यूक्रेन के इलाके में उड़ाया गया. यानी क्रीमिया और डोनबास के आसपास का इलाका. यूक्रेन की इस हरकत की वजह से रूस नाराज हो गया. सर्दियों से पहले रूस ने यूक्रेन की सीमा की तरफ काफी ज्यादा संख्या में सैनिक भेजे. 7 दिसंबर को जो बाइडेन ने रूस को चेतावनी दी कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया तो अमेरिका उसके ऊपर आर्थिक प्रतिबंध लगा देगा. रूस ने एक विस्तृत सुरक्षा मांग पेश की. जिसमें कहा कि नाटो पूर्वी यूरोप और यूक्रेन में कोई मिलिट्री गतिविधि नहीं करेगा. 

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जनवरी 2022: यूक्रेनियन लोगों के ऊपर भयानक स्तर का साइबर अटैक हुआ. जिसमें कहा गया था कि डर कर रहो और बुरे वक्त का इंतजार करो. यह साइबर अटैक सभी यूक्रेनियन सरकारी साइटों पर एकसाथ हुआ था. 

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24 जनवरी 2022: NATO की सेना ने पूर्वी यूरोप के पास सेना बढ़ा दी. जंगी पोत और फाइटर जेट्स को अलर्ट मोड पर रख दिया. उधर अमेरिका ने रूस की सुरक्षा मांग पर कहा कि नाटो सही निर्णय लेगा, वह किसी के पक्ष में नहीं जाएगा. तब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) ने कहा कि उनकी मांगों को नहीं माना जा रहा है. इसके बाद अमेरिका ने नाटो के लिए 3000 और सैनिक भेज दिए. ताकि मामला बिगड़े तो संभाला जा सके. (फोटोः गेटी)

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4 फरवरी 2022: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) चीन की राजधानी बीजिंग में चल रहे विंटर ओलिंपिक्स में पहुंचे और यूक्रेन को नाटो में शामिल न करने के लिए चीन का समर्थन हासिल किया. उधर, फ्रांस के राष्ट्रपित इमानुएल मैक्रों ने कहा रूस इस मामले को डिप्लोमैटिक तरीके से सुलझा सकता है. उसके बाद वो कीव गए और जेलेन्स्की के रवैये की तारीफ करने लगे. यूक्रेन के लोगों की तारीफ की. (फोटोः गेटी)

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14 फरवरी 2022: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेन्स्की (Volodymyr Zelenskiy) ने अपने देश के लोगों से कहा रूस कभी भी हमला कर सकता है. इसलिए जरूरी है कि आप लोग एकसाथ रहें. अपने घरों पर यूक्रेन का झंडा फहराएं. राष्ट्रीय गान गाएं. रूस ने कहा कि उसकी सेना वापस आ रही है. (फोटोः गेटी)

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19 फरवरी 2022: रूस की स्ट्रैटेजिक परमाणु सैन्य बल ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) की निगरानी में परमाणु परीक्षण किए. 22 फरवरी को अमेरिका, इंग्लैंड और उनके साथियों ने मिलकर रूस संसद सदस्यों, उनके बैंकों और संपत्तियों पर प्रतिबंध लगा दिए. जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम-2 पाइपलाइन प्रोजेक्ट को रोक दिया है. उधर, पुतिन ने कहा कि यूक्रेन ने मिन्स्क समझौते को तोड़ दिया है. रूस समर्थक अलगाववादियों ने रूस से मदद मांगी क्योंकि यूक्रेन की सेना उनपर नकेल कस रही थी.

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24 फरवरी 2022:  रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) ने यूक्रेन के ऊपर स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशंस का आदेश दिया. पूर्वी यूक्रेन पर हमला किया गया. यूक्रेन के लोगों से पुतिन ने कहा कि अपने हथियार डाल दो. रूस की सेना मिसाइल और तोप के गोलों से यूक्रेन की सेना, एयरबेस और मुख्य शहरों को निशाना बना रही है. (फोटोः एएफपी)

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