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विश्व

Ukraine के लिए बड़ा खतरा, रूस को अत्याधुनिक Su-57 फाइटर जेट मिला, जानिए इसकी War Power...

ऋचीक मिश्रा
  • मॉस्को,
  • 29 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST
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सुखोई सू-57 फेलन (Su-57 Felon) रूस का पहला स्टेल्थ एयरक्राफ्ट है. इसकी मदद से रूस यूक्रेन पर भारी तबाही मचा सकता है. इसलिए यह रूस के लिए रणनीतिक फायदेमंद माना जा रहा है. रूस की सेना ने 71 Su-57 का ऑर्डर दिया है. अभी तक पांच मिले हैं.

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Su-57 फाइटर जेट को एक पायलट उड़ाता है. इसकी अधिकतम गति 2135 किलोमीटर प्रतिघंटा है. हैरानी की बात ये है कि ये सुपरसोनिक स्पीड में 1500 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. यानी दुश्मन के इलाके में तेजी गति से हमला. इसकी जी लिमिट +9.0 है. 

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Su-57 फाइटर जेट की लंबाई 65.11 इंच हैं. जबकि विंगस्पैन 46.3 फीट और ऊंचाई 15.1 फीट है. यह दुनिया का दूसरा सबसे खतरनाक फाइटर जेट माना जाता है. क्योंकि इसमें बेहतरीन एवियोनिक्स, एंटी-राडार तकनीक और हथियारों का समावेश किया गया है. 

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रूस का यह स्टेल्थ फाइटर जेट अधिकतम 66 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. यानी अधिकतम ऊंचाई से भी दुश्मन पर सीधा हमला. यह किसी फाइटर जेट की उड़ान के लिए अब तक की सबसे ज्यादा ऊंचाई है. ऐसी ऊंचाई पर फाइटर जेट को आसानी से देखा नहीं जा सकता. 

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इसके अंदर 30 मिमी की ऑटोकैनन लगी है. यानी दुश्मन के फाइटर जेट, टैंक या बख्तरबंद वाहन पर ताबड़तोड़ गोले बरसा सकती है.  इसमें 12 हार्डप्वाइंट्स हैं. 6 अंदर और 6 बाहर. हवा से हवा में मार करने के लिए अत्याधुनिक R-77M, R-74M2 या इजडेलिए 810 मिसाइल लगा सकते हैं.

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हवा से सतह पर मार करने के लिए चार Kh-38M या Kh-59MK2 मिसाइल लगा सकते हैं. यानी आसमान से जमीन या जंगी जहाज पर हमला करना आसान है. इसके अलावा 2 एंटी शिप Kh-35U सीरीज के मिसाइल लगा सकते हैं. 

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इसके अलावा इस फाइटर जेट में एंटी-रेडिएशन, गाइडेड, अनगाइडेड, क्लस्टर बम, एंटी-टैंक बम और एक्टिव होमिंग बम लगाए जा सकते हैं. यानी दुश्मन के इलाके में घुसकर तबाही मचाने के सारे हथियार इसमें मौजूद हैं. साथ ही दुश्मन के रडार से बचने के लिए भी. 

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फिलहाल इस फाइटर जेट का इस्तेमाल सिर्फ रूसी एयरफोर्स कर रही है. लेकिन इसके चार वैरिएंट्स हैं. Su-57 बेसिक यानी पहला फाइटर जेट सीरीज. दूसरा Su-57E एक्सपोर्ट वर्जन है. तीसरा है Su-57M जो अपग्रेडेड वर्जन है. इसके अलावा फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट (FGFA). 

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FGFA को लेकर भारत के साथ प्लानिंग थी. इसमें सुखोई और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड मिलकर काम करने वाले थे. लेकिन भारत ने साल 2018 में इस प्रोग्राम से खुद को अलग कर लिया. और अब अपने स्वदेशी फाइटर जेट पर फोकस किया जा रहा है. 

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