भारत में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताया है. रूसी राजदूत ने संकेत दिया कि कश्मीर पर भारत सरकार की जो भी नीति है, वो उसके साथ खड़ा है. साथ ही कहा है कि ये रूस के लिए मुद्दा नहीं है.
रूसी राजदूत कुदाशेव से पूछा गया था कि वह कश्मीर भेजे गए विदेशी राजनयिकों को लेकर क्या राय रखते हैं और वो खुद क्यों नहीं गए. इस पर कुदाशेव ने कहा, ‘ऐसा कोई कारण नहीं है कि मैं यात्रा करूं. ये भारत का आंतरिक मामला है. ये हमारे लिए मुद्दा नहीं है.
कुदाशेव ने अप्रत्यक्ष तौर पर अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्हें भारत की नीतियों को लेकर कोई संदेह है, वही कश्मीर जाएं.
रूसी राजदूत कुदाशेव से जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दे को उठाने की चीन की कोशिश के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हम कभी भी इसे (कश्मीर मुद्दे) संयुक्त राष्ट्र में लाने के पक्ष में नहीं रहे हैं. ये पूरी तरह से द्विपक्षीय मुद्दा है.” उन्होंने ये भी कहा कि कश्मीर पर चर्चा को लेकर संयुक्त राष्ट्र में भी आम सहमति नहीं है.
रूस-चीन-ईरान संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के बारे में पूछे जाने पर रूसी दूतावास में डिप्टी चीफ ऑफ मिशन (DCM) रोमन बाबुशकिन ने कहा, “ये ज़मीनी स्थिति को समझने की दिशा में अहम है. दुनिया के हमारे हिस्से में हम भारतीय नौसेना के साथ अच्छे संपर्क में हैं.”
भारत को इस साझा अभ्यास के लिए न्योता नहीं दिए जाने के सवाल पर बाबुशकिन ने कहा, वो इसे देखेंगे कि ऐसा क्यों हुआ. बाबुशकिन ने ये भी कहा कि किसी भी तरह के प्रतिबंध हमारे (रूस-भारत) संबंधों को प्रभावित नहीं कर सकते. बाबुशकिन संभवत: ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों की ओर संकेत कर रहे थे.
रूसी राजदूत ने कहा, हम ऐसे पश्चिमी विचारों को लेकर चिंतित हैं. ये संशोधनवादी एजेंडा है और अमेरिका एक वैकल्पिक विश्व नजरिए को बढ़ाना चाहता है. हम क्यों एक प्रतिस्पर्धी, विभाजनकारी रणनीति को बढ़ाएं जबकि पहले से ही ऐसी कई रणनीतियां हैं जो विचारशील और समावेशी हैं. फिर क्यों नई लाई जाएं?”