इजरायल-फिलिस्तीन के बीच छिड़े संघर्ष को लेकर हर देश अपना-अपना पक्ष चुन रहा है. इस बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान किया है. उन्होंने दोनों पक्षों से हिंसा को समाप्त करने और विवाद को सुलझाने के के तौर-तरीकों पर विचार करने को कहा है. रूस के राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इस मामले में तीसरी दफा बयान जारी करने से रोक दिया है.
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व्लादिमीर पुतिन ने कहा, "हाल के दिनों में हमने मध्य पूर्व में तेजी से बढ़ते तनाव को देखा है. हम सभी इसके बारे में जानते हैं और चिंतित मन से इस क्षेत्र के घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं. फिलिस्तीनियों और इजरायलियों के बीच काफी संघर्ष है. इसमें बच्चों सहित बड़ी संख्या में नागरिक हताहत हो रहे हैं."
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रूस की समाचार एजेंसी ताश के मुताबिक, विदेशी राजदूतों के लिए मंगलवार को आयोजित एक समारोह में पुतिन ने यह बात कही. पुतिन ने जोर देकर कहा, "हमारा मानना है कि दोनों पक्षों की हिंसा को रोकना और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर समाधान खोजना अनिवार्य है."
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यरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद में झड़प से शुरू हुआ विवाद अब हिंसक वार-पलटवार में तब्दील हो चुका है. हमास सहित फिलिस्तीन के अन्य चरमपंथी संगठन इजरायल पर रॉकेट दाग रहे हैं. इजरायल भी लगातार गाजा पट्टी के इलाकों पर हवाई हमले कर रहा है. इसमें भयंकर तबाही देखने को मिल रही है. इमारतें ध्वस्त हो रही है तो जन-धन का भी काफी नुकसान हो रहा है. इजरायल के हमलों में फिलिस्तीन में अब तक 213 नागरिकों की मौत हो चुकी हैं जिनमें 60 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं.
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पुतिन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में रूस "गंभीर संकटों और कई अन्य जरूरी अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में अपना योगदान देना चाहता है." पुतिन ने कहा, 'हमने सीरिया में स्थिति को सामान्य करने के लिए बहुत कुछ किया है. हम सीरिया में एक शांतिपूर्ण राजनीतिक वार्ता शुरू करने में मदद कर रहे हैं. रूस की मध्यस्थता के लिए धन्यवाद. संघर्षविराम के बाद सुलह की प्रक्रिया और शरणार्थियों की वापसी चल रही है.'
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दुनियाभर के शक्तिशाली देश इजरायली सैन्य बलों और फिलिस्तीनियों के बीच खूनी संघर्ष को रोकने और शांति बहाली की अपील कर रहे हैं. चीन ने संयुक्त सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में दोनों पक्षों में शांति स्थापित करने पर जोर दिया. लेकिन 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में शामिल अमेरिका ने बयान जारी करने से अंतरराष्ट्रीय संस्था को रोक दिया. अमेरिका की दलील है कि वह खुद के स्तर पर इजरायल से मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इजरायल के आत्मरक्षा के हक की वकालत कर चुके हैं. चीन फिलिस्तीनियों के मानवाधिकारों का हवाला देकर अमेरिका को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है.
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यूरोपीय यूनियन में विवाद!
इस बीच, यूरोपीय यूनियन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की मंगलवार को इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर बैठक हुई. इसमें दोनों पक्षों के बीच टकराव को समाप्त करने के लिए राजनयिक प्रयासों के जरिये 27 देशों के राजनीतिक प्रभाव का कैसे इस्तेमाल किया जाए, इस पर चर्चा हुई.
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यूरोपीय संघ दोनों पक्षों में सीजफायर और टकराव को समाप्त करने के लिए राजनीतिक समाधान को लेकर एकमत है. लेकिन यूरोपीय देश इस बात पर अगल-थलग नजर आए कि इजरायली सशस्त्र बलों और फिलिस्तीनियों के बीच खूनी संघर्ष को कैसे खत्म किया जाए? वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में इजरायल-फिलिस्तीन पर किसी तरह की पाबंदी लगाने या कोई अन्य फैसला नहीं लिया जा सका.
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यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने मंगलवार को इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए सीजफायर लागू करने का आह्वान किया. बोरेल ने यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद कहा, हिंसा को तत्काल खत्म करने और सीजफायर को लागू किए जाने की जरूरत है. मगर यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों में एक हंगरी ने इस बयान का समर्थन नहीं किया.
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हंगरी ने इजरायल पर यूरोपीय संघ के बयान को 'एक-तरफा' करार दिया है. हंगरी के विदेश मंत्री पीटर स्ज़ीजरटून ने मंगलवार को इज़रायल पर यूरोपीय संघ के "एकतरफा" बयानों की निंदा की. समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में पीटर स्ज़ीजरटून ने कहा, 'मुझे इज़रायल पर इन यूरोपीय बयानों में समस्या नजर आ रही है.... ये आमतौर पर बहुत एकतरफा होते हैं, और ये बयान मदद नहीं करते हैं, खासकर मौजूदा हालात में, जब तनाव इतना अधिक है.'
हंगरी के विदेश मंत्री पीटर स्ज़ीजरटून ने यूरोपीय यूनियन की बैठक में शामिल भी नहीं हुए. हंगरी ने हाल ही में चीन पर यूरोपीय संघ के बयानों को रोकने के लिए अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया था. मंत्री पीटर स्ज़ीजरटून ने जोर देकर कहा कि फैसलों को रोकना यूरोपीय यूनियन के प्रत्येक देश का हक है.
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हंगरी के विदेश मंत्री ने कहा, "यूरोपीय संघ की कूटनीति में केवल निर्णय, नकारात्मक बयान और प्रतिबंध शामिल नहीं होने चाहिए." हंगरी के विदेश मंत्री ने कहा, "इसलिए मुझे लगता है कि कम निर्णय, कम भाषणबाजी, कम आलोचना, कम हस्तक्षेप और अधिक व्यावहारिक सहयोग यूरोपीय संघ को बहुत ताकत दे सकता है."
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यूरोपीय यूनियन फिलिस्तीन को सबसे ज्यादा मदद मुहैया करा रहा है. यूरोपीय यूनियन के इजरायल के साथ व्यापारिक रिश्ते हैं. लेकिन इन बातों के बावजूद उसका इजरायल और फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास पर कोई जोर नहीं है.
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