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विश्व

श्रीलंका की बुर्का बैन पर नई चाल या पाकिस्तान से डरकर हट रहा पीछे?

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 3:40 PM IST
sri lanka burqa ban
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श्रीलंका बुर्के पर प्रतिबंध का ऐलान करने के बाद इससे पीछे हटता दिख रहा है. अब उसने सफाई दी है कि उसे प्रतिबंध को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं है. मंगलवार को श्रीलंका की कैबिनेट के प्रवक्ता केहेलिया राम्बुकावेला ने कहा कि यह एक गंभीर फैसला है जिस पर सहमति और परामर्श की जरूरत है.

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उन्होंने कहा, ''इस फैसले को मुस्लिम संगठनों से परामर्श और सहमति के बाद ही लागू किया जाएगा. हम इस प्रस्ताव को लेकर किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं.'' श्रीलंका का यह बयान तब आया है जब कोलंबो स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग ने इसे लेकर कड़ा एतराज जताया था. पाकिस्तान ने कहा था कि यह विभाजनकारी फैसला है और इससे श्रीलंका समेत दुनिया भर के मुसलमानों की भावनाएं आहत होंगी.

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पाकिस्तानी उच्चायुक्त साद खट्टक ने ट्वीट कर कहा था, ''बुर्का पर प्रतिबंध लगाने से श्रीलंका और पूरी दुनिया के मुसलमानों की भावनाएं आहत होंगी.''

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पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने कहा था, "बुर्का बैन से श्रीलंका और दुनिया भर के मुसलमानों की भावनाएं आहत होंगी. कोरोना महामारी की वजह से श्रीलंका पहले ही आर्थिक मुश्किलों में घिरा हुआ है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी श्रीलंका को अपनी छवि को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे दौर में, आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, सुरक्षा के नाम पर इस तरह के विभाजनकारी कदम उठाने से देश में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों को लेकर सवाल और बढ़ेंगे."

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पिछले महीने ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने श्रीलंका का दौरा किया था. इस दौरे से पहले इमरान खान ने श्रीलंका की सरकार के उस फैसले का स्वागत किया था जिसके तहत कोविड से मरने वालों मुसलमानों के शवों को दफन करने की अनुमति दे दी गई थी.

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श्रीलंका में कोविड से होने वाली मौत के बाद मुसलमानों के लिए भी शवों को भी जलाना अनिवार्य कर दिया था. बुर्का बैन को लेकर पाकिस्तान के लोग इमरान खान के दौरे को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं. श्रीलंका ने 14 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने और चेहरा ढंकने वाले पहनावों पर प्रतिबंध लगा दिया था. श्रीलंका के जन सुरक्षा मंत्री सरथ वीरासेकारा ने कहा था कि उन्होंने इसे लेकर कैबिनेट आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है और अब संसद की मंजूरी की जरूरत है.

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सरथ वीरासेकारा ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ''बुर्का से राष्ट्रीय सुरक्षा सीधे तौर पर प्रभावित होती है. बुर्का धार्मिक कट्टरता की पहचान है. इसे प्रतिबंधित करने का संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने से है.'' इससे पहले 21 अप्रैल, 2019 को ईस्टर पर श्रीलंका के अलग-अलग जगहों पर हमले में 296 लोगों की मौत के बाद बुर्का पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगाया गया था.

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श्रीलंका एक हजार से ज्यादा मदरसों को भी प्रतिबंधित करने जा रहा है. जन सुरक्षा मंत्री सरथ वीरासेकारा का कहना है कि इन मदरसों का या तो रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है या तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन नहीं करते हैं. श्रीलंका की 2.2 करोड़ की आबादी में मुसलमानों की तादाद 10 फीसदी है और प्रस्तावित प्रतिबंध लागू होते हैं तो मुसलमान सीधे तौर पर प्रभावित होंगे. यहां बहुसंख्यक बौद्ध हैं जिनकी आबादी 70 फीसदी से भी ज्यादा हैं.

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अरब न्यूज से श्रीलंका मुस्लिम काउंसिल के अध्यक्ष हिल्मी अहमद ने कहा, ''मुसलमान सरकार के निशाने पर हैं. अभी कोविड से मरने वाले मुसलमानों को शव जलाने पर मजबूर किया गया जबकि हम इस्लामिक रिवाज में शव दफनाते हैं.'' 250 से ज्यादा मुसलमानों के शव जलाए गए हैं और अब ये मदरसों को बंद करने की बात कह रहे हैं.''

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कहा जा रहा है कि बुर्का मामले में श्रीलंका अब चाल चल रहा है. श्रीलंका के मुस्लिम सांसदों ने अरब न्यूज से कहा कि यह वोट खरीदने की चाल है. सांसद मुजीबउर रहमान ने अरब न्यूज से कहा, ''22 मार्च को जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक है और इस बैठक में श्रीलंका मुस्लिम देशों का वोट चाहता है. इसलिए जानबूझकर बुर्का बैन को लागू करने में देरी की जा रही है. सरकार मुसलमानों का उत्पीड़न कर रही है और ऐसे फैसलों का परिणाम अच्छा नहीं होगा.''
 

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कई लोग यह भी कह रहे हैं कि पाकिस्तान के कड़े रुख से भी श्रीलंका बुर्का बैन को लेकर पीछे हट रहा है. पाकिस्तान का साथ श्रीलंका को हर मुश्किल वक्त में मिला है. एलटीटीई के खात्मे में श्रीलंका की सेना को पाकिस्तान ने हर स्तर पर मदद की थी. पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर भी श्रीलंका हमेशा साथ देता रहा है. इस बार भी मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका को पाकिस्तान के वोट की जरूरत है ताकि उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाए. इसके लिए भारत से भी श्रीलंका संपर्क में है.''

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