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विश्व

अब होगा गोरिल्ला वॉर... चीन को नाको चने चबवा सकती है ताइवान की Sea Dragon फोर्स

ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 4:58 PM IST
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चीन कभी भी रूस वाली गलती करने से बचेगा. क्योंकि उसे पता है कि ताइवान की स्पेशल फोर्सेस अपनी जमीन पर बेहद घातक होती हैं. इन फोर्सेस को पता है कि कहां हमला करना है. कैसे करना है. ताइवान के पास कई ऐसी फोर्सेस हैं जो एलीट कमांडो कैटेगरी की घातक टुकड़ियां हैं. लेकिन इनमें सबसे खतरनाक है सी ड्रैगन फ्रॉगमेन (Sea Dragon Frogmen). इन्हें सिर्फ फ्रॉगमेन भी बुलाया जाता है. इस फोर्स का गठन 1949 में अमेरिका की मदद से किया गया था. (फोटोः विकिपीडिया)

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इतना ही नहीं इनकी ट्रेनिंग भी अमेरिका के नेवी सील्स कमांडो के साथ होती है. इस टीम का असली नाम है 101 एंफिबियस रीकॉनसेंस बटालियन (101st Amphibious Reconnaissance Battalion). इस यूनिट को आमतौर पर अंडरवॉटर ऑपरेशंस के लिए बनाया गया था लेकिन ये अर्बन वॉरफेयर, जंगल वॉरफेयर और गोरिल्ला युद्ध में सक्षम हैं. इनका हमला इतना खतरनाक और तेज होता है कि दुश्मन को पता भी नहीं चलता कि हमला करने वाले कहां गए. (फोटोः विकिपीडिया)

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सी ड्रैगन फ्रॉगमेन (Sea Dragon Frogmen) की सबसे बड़ी खासियत है छिप कर घातक हमला करना. एक बार ये किसी मिशन पर निकल गए तो उसे पूरा करके ही मानते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि चीन से अगर युद्ध होता है तो ये खास टीम चीन के सैनिकों की हालत पस्त कर देगी. ये सिर्फ सैनिकों की ही नहीं बल्कि चीन की आर्टिलरी, तोप, बख्तरबंद वाहनों की भी धज्जियां उड़ा देगी. (फोटोः AFP)

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सी ड्रैगन फ्रॉगमेन (Sea Dragon Frogmen) का असली मकसद है कि निगरानी, जासूसी, घुसपैठ, सर्विलांस, तटीय सुरक्षा और कोवर्ट ऑपरेशंस. इस टीम में जो जवान चुने जाते हैं, उनके चुनने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है. चुने जाने के बाद इनकी 15 हफ्ते की ट्रेनिंग होती है. जिसे द आयरन मैन रोड (The Iron Man Road) कहते हैं. इसके बाद पांच दिन क्वालिफिकेशन कोर्स होता है. (फोटोः विकिपीडिया)

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इस 15 हफ्ते की ट्रेनिंग के बाद सिर्फ 20 फीसदी ही सी ड्रैगन फ्रॉगमेन (Sea Dragon Frogmen) बन पाते हैं. जब इन्हें कमांडो घोषित किया जाता है तब इनके नंगे बदन पर यूनिट बैज का पिन सीने में धंसाया जाता है. इसके बाद ही ये सी ड्रैगन फ्रॉगमेन कहलाते हैं. इनके पास अत्याधुनिक अमेरिकी हथियार मौजूद हैं. जिनका उपयोग ये किसी भी कोवर्ट ऑपरेशन या फिर नजदीकी लड़ाई में कर सकते हैं. इनकी संख्या कितनी है इस बात का खुलासा सार्वजनिक तौर पर कहीं नहीं किया गया है. (फोटोः गेटी)

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सी ड्रैगन फ्रॉगमेन (Sea Dragon Frogmen) की तरह ही ताइवान में एक और एलीट कमांडो फोर्स है. जिसका नाम है एयरबॉर्न स्पेशल सर्विस कंपनी (Airborne Special Service Company- ASSC). इन्हें लियांग शान स्पेशल ऑपरेशंस कंपनी भी बुलाया जाता है. यह ताइवान की सबसे खतरनाक घातक टुकड़ियों में से एक है. ये टुकड़ी डीकैपिटेशन स्ट्राइक यानी दुश्मन देश की सबसे बड़े लीडर को खत्म करने तक का काम कर सकती है. (फोटोः गेटी)

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एयरबॉर्न स्पेशल सर्विस कंपनी (Airborne Special Service Company- ASSC) में करीब 150 कमांडो हैं. इस टीम को साल 1980 में बनाया गया था. ये अमेरिका के डेल्टा फोर्स और ब्रिटिश आर्मी के स्पेशल एयर सर्विस फोर्स की तरह हैं. इनकी ट्रेनिंग भी बेहद खतरनाक होती है. हर कोई इस टीम का हिस्सा नहीं बन पाता. एक बार जिसने ASSC ज्वाइन कर लिया, फिर उसे पूरे करियर में अपना मुंह छिपाकर रखना होता है. (फोटोः गेटी)

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ताइवान के पास एक और स्पेशल फोर्स है, जो गोरिल्ला वॉर में ट्रेंड है. इसका नाम है रिपब्लिक ऑफ चाइना मिलिट्री पुलिस स्पेशल सर्विसेस कंपनी (Republic of China Military Police Special Services Company- MPSSC). इस यूनिट के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है. क्योंकि ये सीधे ताइवानी के नेशनल डिफेंस मिनिस्ट्री को रिपोर्ट करती है. वैसे इसका गठन 1978 में किया गया था. ये टीम अक्सर अमेरिकी सेनाओं के साथ युद्धाभ्यास करती रहती है. इसके अलावा इनकी ट्रेनिंग भी बाहर होती है. (फोटोः गेटी)

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MPSSC का मुख्य काम आतंकरोधी मिशन को अंजाम देना है. इनकी ट्रेनिंग पांच महीने की होती है. ये सी ड्रैगन फ्रॉगमेन के साथ भी ट्रेनिंग करते हैं. ये नॉन प्रोजेक्टाइल एंटी-ड्रोन वेपन्स का उपयोग करते हैं. इसके अलावा इनके पास अत्याधुनिक हथियार होते हैं. इसी तरह के एक और कमांडो फोर्स है, जिसका नाम है थंडर स्क्वॉड (Thunder Squad). ये ताइवान की नेशनल पुलिस एजेंसी की स्पेशल यूनिट है. इसमें करीब 200 कमांडो हैं. (फोटोः गेटी)

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थंडर स्क्वॉड (Thunder Squad) ताइवान की बेहतरीन SWAT टीम है. ये शहरी युद्ध में मास्टर हैं. इनका मुख्य काम आंतकरोधी मिशन, स्पेशल वेपन ऑपरेशन, प्रोटेक्शन और हमला करना है. इनका काम ताइवान के प्रमुख लोगों की जान बचाना भी है. ये भारत की एसपीजी जैसी टीम है. (फोटोः गेटी)

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