अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा बढ़ता जा रहा है. कई इलाकों में तालिबान के खौफ से अफगान सुरक्षा बल के जवान जान बचाकर पड़ोसी देशों में भाग रहे हैं. ताजिकिस्तान के बाद अफगान सुरक्षा बल के जवान सीमा पार कर ईरान पहुंच रहे हैं.
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न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए ईरान से रिपोर्ट करने वाली पत्रकार फरनाज़ फ़स्सीह ने ट्वीट किया, 'ईरानी सीमा के पास सीमा शुल्क चौकी पर तालिबान का नियंत्रण है और अफगान सैनिक ईरान की ओर भाग रहे हैं. ऐसा ईरान की सरकारी मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है. ऐसा तब हो रहा है जब ईरान तालिबान और सरकारी प्रतिनिधि के साथ अफगानिस्तान शांति वार्ता की मेजबानी कर रहा है.'
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तालिबान ने गुरुवार को ईरान के साथ लगती एक और महत्वपूर्ण अफगान सीमा पर कब्जा कर लिया. अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी के बाद तालिबान तेजी से अफगान में अपना कब्जा जमा रहा है. अफगानिस्तान से लगती यह तीसरी सीमा है जिस पर तालिबान ने कब्जा किया है. इससे पहले ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान से लगती अफगानिस्तान की सीमा पर तालिबान कब्जा जमा चुका है. तालिबान के दबदबे को देखते हुए ताजिकिस्तान ने अपनी सीमा पर अपने सैन्य बलों की तैनाती बढ़ा दी है जबकि कई देशों ने इस क्षेत्र में स्थित अपने वाणिज्यक दूतावासों को बंद कर दिया है.
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एक अफगान अधिकारी ने पहचान जाहिर ना करने की शर्त पर बताया कि तालिबान ने गुरुवार को पश्चिमी हेरात प्रांत में इस्लाम कला क्रॉसिंग प्वाइंट पर कब्जा कर लिया.
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ईरानी मीडिया के मुताबिक, अफगानिस्तान और ईरान के बीच क्रॉसिंग के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले प्वाइंट इस्लाम कला के सीमावर्ती क्षेत्र में तैनात अफगान सैनिक अपनी चौकी छोड़कर शरण लेने के लिए ईरान भाग गए. यह क्रॉसिंग प्वाइंट प्रांतीय राजधानी हेरात शहर के पश्चिम में लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर है.
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तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने इस्लाम कला पर कब्जे की पुष्टि की है. उन्होंने ट्वीट किया और कहा कि तालिबान लड़ाके इस्लाम कला शहर में दाखिल कर गए, और स्थानीय लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. मुजाहिद ने एक वीडियो भी पोस्ट किया जिसमें तालिबानी लड़ाको को इस्लाम कला में ट्रकों में सवार होकर और जश्न में हवा में गोली चलाते हुए दिखाया गया है.
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इससे पहले रिपोर्ट्स आईं थी कि कई जगहों पर अफगान सैनिकों ने तालिबान के सामने हथियार डाल दिए. डेली मेल के मुताबिक, ऐसे वीडियो जारी किए गए हैं जिनमें अफगान सैनिक तालिबान लड़ाकों के सामने सरेंडर कर रहे हैं. तालिबान ऐसे वीडियोज का इस्तेमाल प्रोपेगैंडा के लिए कर रहा है. तालिबान का संदेश साफ है कि अफगान सैनिक आत्मसपर्मण कर देंगे तो वह उनके खिलाफ हिंसा नहीं करेगा.
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रविवार को तालिबान के साथ संघर्ष के बाद एक हजार से अधिक अफगान राष्ट्रीय सेना के सैनिक अफगानिस्तान के उत्तरी प्रांत बख्शां से ताजिकिस्तान भाग गए. तालिबान ने अफगान सैनिकों के भागने के बाद कई जिलों पर कब्जा कर लिया है.
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इस पर अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो सैनिकों के कमांडर जनरल ऑस्टिन स्कॉट मिलर ने कहा कि वह इस बात से हैरान हैं कि अफगान राष्ट्रीय सेना के जवानों ने तालिबान के सामने कितनी जल्दी आत्मसमर्पण कर दिया. एबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, 'मुझे दोस्तों को ज़रूरत के वक्त में छोड़ना पसंद नहीं है. हमें इलाके में होने वाले नुकसान को लेकर चिंतित होना चाहिए. आप सुरक्षा स्थिति को देखें, यह ठीक नहीं है.'
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कमांडर जनरल ऑस्टिन स्कॉट मिलर ने कहा, 'तालिबान आगे बढ़ रहा है. युद्ध मैदान में लड़ा जा रहा है जिसका एक मनोवैज्ञानिक या नैतिक मतलब भी होता है, और उम्मीद वास्तव में मायने रखती है. आप जो नहीं चाहते हैं वह यह है कि लोग उम्मीद खो रहे हैं.'
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पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी और नाटो के पीछे हटने के कारण अफगानिस्तान में तालिबान का दबदबा बढ़ा है. मंगलवार को, अमेरिकी मध्य कमान ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों और सैन्य उपकरणों की वापसी का काम 90% पूरा हो गया है. अमेरिका का कहना है कि अगस्त तक बाकी सैनिक भी लौट जाएंगे.
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अप्रैल के मध्य से जब राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान में हमेशा के लिए युद्ध की समाप्ति की घोषणा की, तब से तालिबान का दबदबा बढ़ता गया है. तालिबान ने उत्तरी अफगानिस्तान पर सबसे अहम जीत हासिल की है जो अमेरिका से संबद्ध सरदारों का एक पारंपरिक गढ़ है, जिन्होंने 2001 में तालिबान को हराने में मदद की थी.
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तालिबान ने अफगानिस्तान के बदख्शां प्रांत में कई जिले बिना लड़ाई के ही हासिल कर लिए. मजार-ए-शरीफ में तुर्की और रूस के वाणिज्य दूतावास बंद कर दिए गए हैं. तालिबान अब अफगानिस्तान के सभी 421 जिलों और जिला केंद्रों में से लगभग एक तिहाई पर कब्जा कर चुका है. उनकी जीत का प्रांतीय शहरों पर भी असर दिख रहा है. कई रास्तों पर तालिबान का कब्जा हो चुका है.
इस्लाम कला फरवरी में सुर्खियों में आया था, जब एक ऑयल टैंकर के विस्फोट के बाद भीषण आग लग गई थी. इसमें कम से कम 20 लोग घायल हो गए थे और प्राकृतिक गैस और ईंधन ले जा रहे क्रॉसिंग पर खड़े सैकड़ों ट्रक आग की चपेट में आ गए. इन ट्रकों में लगी आग को बुझाने में तीन दिन लगे थे.
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