अफगानिस्तान के मौजूदा संकट को लेकर ब्रिटेन ने अमेरिकी नीति पर नाराजगी जाहिर की है. ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस ने कहा है कि अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अमेरिका का फैसला एक गलती है. इससे तालिबान को अफगानिस्तान में काफी बढ़त मिल गई है.
(ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन/फोटो-AP)
स्काई न्यूज से बातचीत में वालेस ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कतर की राजधानी दोहा में 2018 में अपने सैनिकों की वापसी का समझौता एक बेकार सौदा था.
(अमेरिकी समकक्ष ऑस्टिन लॉयड के साथ वालेस/फोटो-ब्रिटिश रक्षा मंत्री)
तालिबान को खदेड़ने और अमेरिका पर 2001 के आतंकी हमले के जिम्मेदार अल-कायदा को पनाह देने से रोकने के लिए अफगानिस्तान पर हमला शुरू हुए लगभग 20 साल हो चुके हैं. शुरुआती अटैक के बाद से अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों ने लोकतांत्रिक सरकार स्थापित करने की कोशिश में लगभग दो दशक बिताए हैं. अफगानिस्तान में कुल 456 ब्रिटिश सेना के जवान या रक्षाकर्मी मारे गए.
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गठबंधन सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान में एक दर्जन से अधिक शहरों पर कब्जा कर लिया है. इसमें लश्कर गाह, कंधार और हेरात शामिल हैं. अमेरिकी खुफिया विभाग ने चेतावनी दी है कि मुमकिन है कि तालिबान अफगान राजधानी काबुल पर 90 दिनों में कब्जा कर ले. स्काई के मुख्य संवाददाता स्टुअर्ट रामसे, जो काबुल में हैं, ने कहा है कि ऐसी अपुष्ट खबरें हैं कि तालिबान ने राजधानी से सिर्फ 40 या 50 मील दूर लोगर प्रांत पर कब्जा कर लिया है.
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वालेस ने कहा, ट्रंप के समय, जाहिर तौर पर तालिबान के साथ, मुझे लगा कि इस तरह से ऐसा करना एक गलती थी. हम सभी, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में शायद इसका नतीजा भुगतेंगे. उन्होंने कहा, 'मैं सार्वजनिक रूप से इसके बारे में बहुत स्पष्ट हूं और जब अमेरिकी फैसलों की बात आती है तो यह काफी दुर्लभ बात है, लेकिन रणनीतिक रूप से यह बहुत सारी समस्याएं पैदा करता है और एक इंटरनेशनल कम्युनिटी के रूप में, आज हम जो देख रहे हैं, वह बहुम मुश्किल हालात हैं.'
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ट्रंप के बाद अमेरिकी की बागडोर संभालने वाले जो बाइडेन ने भी उनके फैसले को कायम रखा. ब्रिटिश रक्षा मंत्री ने कहा, 'बेशक मैं चिंतित हूं, इसलिए मुझे लगा कि यह निर्णय लेने का सही समय नहीं है क्योंकि अल-कायदा वापस आ जाएगा और निश्चित रूप से वह उस प्रकार के बीडिंग ग्राउंड को पसंद करेगा.'
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अफगानिस्तान से ब्रिटिश सैनिकों की वापसी के बारे में बात करते हुए वालेस ने कहा कि ब्रिटेन के पास अपनी सेना को बाहर निकालने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वहां एक साथ काम करना था. जर्मनी के विदेश मंत्री ने गुरुवार को कहना था अमेरिका के हटने के बाद किसी भी देश की सेना का अफगानिस्तान में रुकना मुमकिन नहीं है.
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बहरहाल, ब्रिटिश रक्षा मंत्री बेन वालेस ने यह भी पुष्टि की कि ब्रिटिश नागरिकों और दुभाषियों को देश छोड़ने में मदद करने के लिए ब्रिटेन अफगानिस्तान में 600 सैनिकों को तैनात करेगा.
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अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि वह दूतावास के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए काबुल हवाई अड्डे पर हजारों सैनिकों को तैनात करेगा. 1 मई से शुरू अमेरिकी नेतृत्व वाले सैनिकों की वापसी के बाद से युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. तालिबान का दावा है कि उसने अब तक करीब एक दर्जन प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है.
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