Advertisement

विश्व

स्पा...स्विमिंग पूल...मसाज सेंटर, पूर्व उप-राष्ट्रपति की हवेली में ऐश कर रहे तालिबानी

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 13 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:37 PM IST
  • 1/7

अफगानिस्तान(Afghanistan) के वॉरलॉर्ड अब्दुल राशिद दस्तम, अमरुल्लाह सालेह(Amrullah Saleh) से पहले उप-राष्ट्रपति रह चुके हैं. काबुल(Kabul) में उनकी एक आलीशान हवेली है जिस पर अब तालिबान(Taliban) का कब्जा हो चुका है. इस हवेली पर फिलहाल तालिबान के सबसे ताकतवर कमांडर्स में शुमार कारी सलाहुद्दीन अयूबी ने डेरा डाला हुआ है. (फोटो क्रेडिट: Getty images)

  • 2/7

रिपोर्ट्स के अनुसार, वॉरलॉर्ड अब्दुल राशिद भी अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की तरह ही देश छोड़कर भाग चुके हैं और कारी सलाहुद्दीन ने 15 अगस्त को ही इस हवेली पर कब्जा कर लिया था. इस हवेली में लाउंज, इंडोर स्वीमिंग पूल, ग्रीनहाउस, सॉना मसाज, तुर्की स्टीम बाथ, जिम और हॉल जैसी कई लक्जरी सुविधाएं देखी जा सकती हैं. (फोटो क्रेडिट: Getty images)

  • 3/7

हालांकि, कारी सलाहुद्दीन और उनके लड़ाके इस शानदार हवेली से खास इंप्रेस नजर नहीं आए. एएफपी के साथ बातचीत में कारी ने बताया कि इस्लाम नहीं चाहता कि हम लग्जरी लाइफस्टायल में गुजारा करें. लग्जरी लाइफ मरने के बाद सिर्फ जन्नत में ही मिलती है. (फोटो क्रेडिट: Getty images)

Advertisement
  • 4/7

कारी ने कहा कि ये शानो-शौकत साफ करती है कि अफगानिस्तान के पूर्व पॉलिटिकल लीडर्स कितने ज्यादा भ्रष्ट थे. कारी सलाहुद्दीन ने कहा कि उन्हें ना तो किसी तरह की लग्जरी की चाह है और ना ही वे किसी राजनेता या किसी देश के साथ बदला लेना चाहते हैं. गौरतलब है कि वॉरलॉर्ड अब्दुल राशिद तालिबान के निशाने पर रहे हैं. (फोटो क्रेडिट: Getty images)

  • 5/7

बता दें कि 67 साल के वॉरलॉर्ड अब्दुल राशिद साल 2020 तक अफगानिस्तान सरकार में उप-राष्ट्रपति के तौर पर कार्यरत थे. रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने साल 2001 में तालिबान के सैकड़ों लड़ाकों को रेगिस्तान में तपती धूप में कंटेनर में डालकर तड़पाकर मार डाला था. पिछले कुछ महीनों में तालिबान के बढ़ते दबदबे के बीच अब्दुल राशिद तुर्की चले गए थे.(फोटो क्रेडिट: Getty images)

  • 6/7

माना जा रहा था कि ये अफगानी वॉरलॉर्ड तुर्की में अपना मेडिकल ट्रीटमेंट करा रहे हैं. अगस्त में अब्दुल राशिद तुर्की से वापस अफगानिस्तान लौट आए थे और अपने प्रांत को तालिबान के कब्जे से छुड़ाने की कोशिश करते रहे. हालांकि जब ऐसा ना हो सका तो उन्होंने हार मानकर अपना देश छोड़ दिया और फिलहाल वे उज्बेकिस्तान में मौजूद हैं. (फोटो क्रेडिट: Getty images)
  

Advertisement
  • 7/7

पैराट्रूपर, कम्युनिस्ट कमांडर और वॉरलॉर्ड अब्दुल राशिद 80 के दशक में सोवियत-अफगानिस्तान युद्ध और 90 के दशक में तालिबान के खिलाफ लड़ाई में काफी एक्टिव रहे. इसके बाद वे अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ जंग में अमेरिका को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. (फोटो क्रेडिट: Getty images)

Advertisement
Advertisement