Advertisement

विश्व

अफगानिस्तान से रातोरात बोरिया बिस्तर समेटने पर अमेरिका की फजीहत, वियतनाम से तुलना

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST
  • 1/11

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पैदा हुए हालात पर लोग इसकी तुलना वियतनाम युद्ध से कर रहे हैं. दरअसल, तालिबान के लड़ाके जैसे ही काबुल में दाखिल हुए अमेरिका को अपने राजनयिकों को वहां से निकालना पड़ा. अमेरिकी राजनयिकों को उनके दूतावास से गढ़वाले वज़ीर अकबर खान जिले में स्थित दूतावास से हेलिकॉप्टर से निकाला गया. गढ़वाले वज़ीर अकबर खान में राजनयिकों को लेकर निकल रहे अमेरिकी हेलिकॉप्टर की तुलना साइगॉन की घटना से की जा रही है. 1975 में वियतनाम के साइगॉन से अमेरिकियों को दूतावास की छत से हेलिकॉप्टर के जरिये निकाला गया था.

(फोटो-ट्विटर)

  • 2/11

1975 में भी अमेरिका को अपने राजनयिकों को निकालने के लिए साइगॉन में अपने दूतावास के ऊपर हेलिकॉप्टर उतारना पड़ा था. इस बार भी अमेरिका ने अपने सैनिकों को काबुल दूतावास खाली कराने के लिए तैनात किया है. अमेरिकी सेना लंबे समय तक जंग के बावजूद ना वियतनाम में वह कामयाबी हासिल कर पाई और न ही अफगानिस्तान में जिसके लिए उसने युद्ध की शुरुआत की. 

(फोटो-Getty Images)

  • 3/11

हालांकि, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने इस तुलना को सिरे से खारिज कर दिया है. वॉशिंगटन में यह पूछे जाने पर कि क्या काबुल हवाई अड्डे पर कर्मियों को ले जाने वाले हेलिकॉप्टरों की तस्वीरें वियतनाम से पीछे हटने की तरह ही हैं तो ब्लिंकन ने कहा, "यह स्पष्ट रूप से साइगॉन नहीं है."

(अमेरिकी राजनयिकों को लेने काबुल पहुंचा हेलिकॉप्टर, फोटो-AP)

Advertisement
  • 4/11

ब्लिंकन ने कहा, "हम 20 साल पहले अफगानिस्तान पहुंचे थे और हमारे दिमाग में एक ही मिशन था- 9/11 के हमले के दोषियों को सबक सिखाना. वो मिशन सफल रहा. हमने एक दशक पहले ही ओसामा बिन लादेन को मारकर अमेरिकियों को न्याय दिलाया. अल-कायदा जिसने हम पर हमला किया, उसका अस्तित्व भी नाम मात्र का बचा है. अफगानिस्तान की जमीन से हम पर हमले करने की क्षमता अब उसमें नहीं है. आगे भी, हम ये सुनिश्चित करेंगे."

 

(फोटो-Getty Images)

  • 5/11

ब्लिंकन से पहले राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान और वियतनाम के हालात की तुलना को खारिज कर दिया था. बाइडेन ने गुरुवार को कहा था कि ऐसी स्थिति नहीं आएगी जब आप अफगानिस्तान में अमेरिकी दूतावास की छत से लोगों को निकालते हुए देखेंगे.

(फोटो-AP)
 

  • 6/11

अमेरिका भले ही वियतनाम और अफगानिस्तान की इस स्थिति की समानता को खारिज करे लेकिन सोशल मीडिया पर दोनों देशों में दूतावास की छतों से अपने कर्मचारियों के निकालने के अमेरिकी हेलिकॉप्टरों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं.

(वियतनाम से अमेरिकी कर्मचारियों की वापसी, फोटो-गेटी)


 

 

Advertisement
  • 7/11

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में भी अफगानिस्तान से राजनयिकों की वापसी की तुलना साइगॉन से की गई है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, दुनिया भर में लोग अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की तुलना साइगॉन (जिसे अब हो ची मिन्ह सिटी कहा जाता है) से कर रहे हैं. लोग इस तुलना के जरिये विकासशील देशों में अमेरिकी विफलता और व्यर्थ सैन्य कार्रवाइयों का मजाक उड़ा रहे हैं. 

(फोटो-Getty Images)
 

  • 8/11

चीन के ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Sina Weibo पर कुछ चीनी वेब यूजर्स ने कहा, 'जो लोग अमेरिका पर भरोसा करते हैं, वे कभी सबक नहीं सीखते हैं. ऐसे लोग अमेरिकियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने के बाद कचरे के माफिक फेंक दिए जाते हैं.'

(फोटो-Getty Images)
 

  • 9/11

चीनी यूजर्स से लिखा, '20 साल पुराना युद्ध ऐसे खत्म हो गया जैसे मजाक हो. बेवजह अमेरिकी सैनिक मारे गए और तालिबान लौट आया. एकमात्र बदलाव यह है कि इसमें और अधिक लोग मारे गए हैं और अमेरिकी करदाताओं ने अमेरिकी सैन्य धनकुबेरों पर अपना पैसा बर्बाद किया है.'

(फोटो-Getty Images)
 

Advertisement
  • 10/11

रिपब्लिकन सांसद मिच मैककोनेल सहित कई अमेरिकी सांसद भी अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी की तुलना वियतनाम युद्ध के अंत में 1975 में साइगॉन से हुई अपमानजनक वापसी से कर चुके हैं. मैककोनेल ने कहा, 'हमारे दूतावास से कर्मचारियों की कटौती और सैनिकों की जल्दबाजी में तैनाती काबुल में सरकार के पतन की तैयारी लगती है. वहीं रिपब्लिकन पार्टी के हाउस रिप्रेजेंटेटिव और हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के सदस्य माइक रोजर्स इसे राष्ट्रपति बाइडेन का साइगॉन मोमेंट करार दे चुके हैं.

(वियतनाम से अमेरिकी सैनिकों की वापसी/फोटो-Getty Images)

  • 11/11

'द अटलांटिक' में लास्ट बेस्ट होप किताब के लेखक जॉर्ज पैकर ने लिखा है, "अफगानिस्तान में अमेरिका के 20 साल के मिशन में इतनी खामियां हैं कि इस पर किताबों से एक लाइब्रेरी भरी जा सकती है. शुरुआत से ही इस मिशन का असफल होना तय था. लेकिन जिन अफगानों ने हमारी मदद की, हमें अपना दोस्त माना और हमारे लिए अपनी जान की बाजी लगाई, उन्हें यूं छोड़कर निकल आना ऐसी शर्मिंदगी है जिससे शायद हम बच सकते थे. बाइडन प्रशासन ने हजारों अफगानों को किस्मत के भरोसे छोड़ दिया है. ये धोखा अमेरिका के नाम पर कलंक की तरह रहेगा और इसका बोझ राष्ट्रपति जो बाइडन के कंधों पर होगा."

 

Advertisement
Advertisement