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फ्रांस के 'इस्लाम संकट में है' बयान पर भड़के टर्की के राष्ट्रपति एर्दवान

aajtak.in
  • 07 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 1:54 PM IST
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टर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दवान ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इस्लाम को लेकर की गई टिप्पणी की कड़ी आलोचना की है. एर्दवान ने मंगलवार को दिए बयान में कहा कि मैक्रों का अपने देश में कट्टरपंथी इस्लाम से धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का बचाव करने का प्रस्ताव खुले तौर पर उकसाने वाला है. 

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मैक्रों के बयान को लेकर टर्की की तरफ से तीसरी बार आपत्ति जताई गई है. मैक्रों ने कहा था कि वह फ्रांस में इस्लाम को विदेशी प्रभाव से मुक्त कराना चाहते हैं. इसके लिए दिसंबर महीने में वो एक बिल भी पेश करेंगे. इसके तहत, फ्रांस में मदरसों और मस्जिदों की विदेशी फंडिंग की निगरानी कड़ी की जाएगी.

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पिछले सप्ताह, मैक्रों ने कहा था कि केवल फ्रांस में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इस्लाम एक तरह के संकट में दिखाई पड़ रहा है. एर्दवान ने टेलिविजन संबोधन में कहा, मैक्रों का ये बयान कि इस्लाम संकट में है, खुले तौर पर भड़काऊ है और इस्लाम का अपमान है. एर्दवान ने मैक्रों पर गुस्ताखी करने का आरोप लगाते हुए कहा, आप कौन होते हैं इस्लाम की संरचना पर बात करने वाले?

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फ्रांस और टर्की के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर टकराव चल रहा है. पूर्वी भूमध्यसागर में समुद्री सीमा, अजरबैजान में चल रही लड़ाई और लीबिया को लेकर दोनों देश आमने-सामने हैं. एर्दवान ने मैक्रों को सलाह दी कि जिन चीजों के बारे में वो नहीं जानते हैं, उन पर बात करते हुए वो ज्यादा सावधानी बरतें. टर्की के राष्ट्रपति ने कहा, हम उनसे एक उपनिवेशवादी शासक के बजाय एक जिम्मेदार नेता की तरह बर्ताव करने की अपेक्षा रखते हैं.

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इससे पहले, टर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दवान के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने ट्विटर पर एक पोस्ट में लिखा था कि राष्ट्रपति मैक्रों के बयान से इस्लामोफोबिया और मुस्लिम विरोधी भावनाओं को बढ़ावा मिलेगा. इब्राहिम कालिन ने कहा था कि फ्रांस की सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए मुस्लिमों और इस्लाम को बलि का बकरा ना बनाए.

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फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान को लेकर कई मुस्लिम स्कॉलर्स ने भी नाराजगी जताई है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर मुस्लिम स्कॉलर्स के सेक्रटरी जनरल अली अल कारादगी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, आप हमारे धर्म की चिंता छोड़िए क्योंकि ये कभी भी सरकारों की मदद पर आश्रित नहीं रहा है.

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अल कारादगी ने कहा, भविष्य इस्लाम धर्म का ही है और हमें डर उन समाज के भविष्य को लेकर हैं जहां दूसरे लोगों के धर्म और पवित्र स्थलों को कानूनी रूप से निशाना बनाया जा रहा है. हमें उन सरकारों को लेकर डर है जो खुद ही अपने लिए दुश्मन तैयार करने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा, हमें उन शासकों से सहानुभूति है जो खुद संकट में जी रहे हैं और मध्ययुगीन धार्मिक युद्ध की मानसिकता में उलझे हैं. अगर कोई असली समस्या है तो कुछ पश्चिमी देशों के नेताओं के डबल स्टैंडर्ड को लेकर है.
 

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मैक्रों ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार दिसंबर महीने में एक बिल पेश करेगी जो 1905 में बनाए गए कानून को और मजबूत करेगा. इसमें सरकार और धर्म को आधिकारिक तौर पर अलग किया गया था. मैक्रों ने कहा कि ये कदम फ्रांस में कट्टरपंथी इस्लाम के उभार को रोकने और आपसी सामंजस्य मजबूत करने के लिए उठाया जा रहा है.

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मैक्रों के भाषण से एक हफ्ते पहले शार्ली हेब्डो मैगजीन के दफ्तर के बाहर एक शख्स ने दो लोगों पर चाकू से हमला किया था. सरकार ने इसे इस्लामिक आतंकवाद कहकर कड़ी आलोचना की थी. शार्ली हेब्डो मैगजीन मोहम्मद पैगंबर के एक कार्टून को छापने के बाद विवादों में आ गई थी. साल 2015 में कुछ मुस्लिम बंदूकधारियों ने शार्ली हेब्डो के दफ्तर पर हमला कर दिया था.

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इसी महीने फ्रांस की संसद में धार्मिक मतभेद और गहरे रूप में सामने आए. फ्रांस की संसद में एक छात्र के हिजाब पहनकर प्रवेश करने पर कई सांसद वॉक आउट कर गए थे. फ्रांस में स्कूलों और सरकारी दफ्तरों में हिजाब पहनना पहले से ही बैन है. पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा मुस्लिम फ्रांस में ही हैं.

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टर्की मुस्लिम बहुल और आधिकारिक तौर पर सेक्युलर देश है. टर्की नाटो का सदस्य रहा है लेकिन यूरोपीय यूनियन का नहीं.  यूरोपीय यूनियन की सदस्यता पाने के लिए टर्की काफी लंबे समय से प्रयास करता रहा है हालांकि, यूरोपीय देशों ने टर्की के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया.

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