तुर्की अफगानों, अफगानिस्तान में तुर्किश नागरिकों की भलाई और अफगानिस्तान में अपने हितों की सुरक्षा के लिए किसी भी तरह के सहयोग के लिए तैयार है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन तालिबान की मदद के लिए अफगानिस्तान में सैनिकों को बनाए रखना चाहते हैं और उन्होंने लीबिया की तर्ज पर सैन्य समझौते की पेशकश की है. साथ ही वह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तालिबान की भी मदद करना चाहते हैं. एर्दोगन ने काबुल एयरपोर्ट पर तुर्की के सैनिकों की मौजूदगी को बनाए रखने पर जोर देते हुए कहा कि इससे नए अफगानिस्तान प्रशासन को मदद मिलेगी. एर्दोगन का तालिबान पर यह रुख हैरान करने वाला है.
(फोटो-AP)
अभी तक तुर्की तालिबान के विरोध में ही खड़ा रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने कहा था कि तालिबान का रवैया सही नहीं है. एर्दोगन ने कहा था, हमारी नजर में, तालिबान का रवैया वैसा नहीं है, जैसा एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान के साथ होना चाहिए. उन्होंने कहा था, "तालिबान को अपने ही भाइयों की जमीन से कब्जा छोड़ देना चाहिए."
(फोटो-AP)
बहरहाल, एक टेलीविजन इंटरव्यू में एर्दोगन ने कहा, "तालिबान के देश पर नियंत्रण करने के साथ हमारे सामने एक नई तस्वीर सामने आई है. हम क्षेत्र में उभर रही इन नई वास्तविकताओं के अनुसार अपनी योजनाएं बना रहे हैं और उसी के अनुसार अपनी बातचीत कर रहे हैं."
(फोटो-AP)
हुर्रियत डेली न्यूज के मुताबिक एर्दोगान ने कहा कि संबंधित तुर्की संस्थान पहले से ही तालिबान के संपर्क में थे. उन्होंने कहा था कि वह तालिबान नेताओं को देश के भविष्य के बारे में बात करने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं. एर्दोगन ने कहा, 'हम अफगान लोगों की शांति, इस देश में रहने वाले अपने तुर्की परिजनों की भलाई और अपने देश के हितों की सुरक्षा के लिए हर तरह के सहयोग के लिए तैयार हैं. हम आज अपने इस रुख पर कायम हैं.'
(फोटो-AP)
एर्दोगान ने कहा कि तुर्की और अफगानिस्तान का एक अद्वितीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध है और दोनों देश अच्छे और बुरे वक्त में साथ खड़े रहे हैं, चाहे कोई भी सत्ता में हो. दोनों देशों के बीच भाईचारे के रिश्ते की आवश्यकता है.
(फोटो-AP)
राष्ट्रपति ने कहा, 'हम तालिबान नेताओं के उदार और संयमित बयानों का स्वागत करते हैं. तालिबान अपनी विदेश नीति के संबंध में हमारे प्रति अधिक सावधान और संवेदनशील हैं. मुझे उम्मीद है कि उसी तरह बाद में भी यह संवेदनशीलता बनी रहेगी.'
(फोटो-AP)
उल्लेखनीय है कि तुर्की ने अफगानिस्तान में नाटो मिशन के हिस्से के रूप में काम किया है, लेकिन उसने कभी भी लड़ाकू सैनिकों को तैनात नहीं किया. एर्दोगान ने कहा कि अफगानिस्तान में इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान करना था.
(फोटो-Geety Images)
एयरपोर्ट की सुरक्षा का मसलाः तुर्की के राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि हमने अफगानिस्तान में अपने सैनिकों को विदेशी शक्ति के रूप में कभी नहीं देखा और न इस्तेमाल किया. अमेरिका की वापसी के बाद हमारा मकसद हवाई अड्डे की सुरक्षा सुनिश्चित करके इस देश की सुरक्षा में योगदान देना था. हमारा यह इरादा अभी भी बना हुआ है.
(फोटो-Getty Images)
राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा कि अफगानिस्तान में तुर्की की निरंतर सैन्य उपस्थिति अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में नए प्रशासन का मार्ग प्रशस्त करेगी. उन्होंने कहा, बात यह है कि अफगान अधिकारियों के साथ आम सहमति पर पहुंचें. हम विभिन्न विकल्पों पर बात कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, हम इस मुद्दे को एक द्विपक्षीय समझौते के माध्यम से हल कर सकते हैं जैसे हमने लीबिया में किया था. यह तालिबान या वर्तमान प्रशासन हो सकता है, इन सभी लोगों से हमारी दोस्ती है.
(फोटो-Getty Images)
त्रिपोली के जनरल खलीफा हफ्तार के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी समूहों के हमलों से बचाने के लिए तुर्की और लीबिया ने 2019 के अंत में तुर्की सैनिकों की तैनाती के लिए एक समझौता किया था.
(फोटो-Getty Images)
एर्दोगान ने अफगानिस्तान पर अपने राजनयिक संपर्कों का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि वह अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम पर जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ चर्चा करेंगे.
(फोटो-Getty Images)