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विश्व

PAK में भयंकर बेरोजगारी से डिप्रेशन में लोग, बढ़ रहीं आत्महत्याएं

aajtak.in
  • 28 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 5:19 PM IST
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आर्थिक और सामाजिक तनाव से जूझते पाकिस्तान में बेरोजगारी, गरीबी और अवसरों की कमी ने पाकिस्तानी विद्यार्थियों के तबके को मानसिक रोगों का शिकार बना दिया है. 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने मनोवैज्ञानिकों और कई लोगों से बातचीत और सूत्रों से मिली जानकारियों के आधार पर अपनी रिपोर्ट में ये बात कही है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

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इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब की राजधानी लाहौर के सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटी में छात्रों की बेचैनी, अवसाद और अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याओं का शिकार पाया गया है.

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अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में विद्यार्थियों की मौत की वजहों में आत्महत्या शीर्ष पर है. एक आंकड़े के मुताबिक, बीते साल जितने विद्यार्थियों ने खुदकुशी की है उनमें से आधे अकेले पंजाब प्रांत के थे. यहां 52.9 फीसद विद्यार्थियों ने तनाव के चलते खुदकुशी की.

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अधिकांश छात्र शिक्षा के बाद अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. यह चिंता खाते-पीते घरों के विद्यार्थियों और गरीब घरों के विद्यार्थियों में समान रूप से पाई जा रही है. लेकिन, गरीब विद्यार्थियों को पारिवारिक दबावों का अलग से सामना करना पड़ रहा है.

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हॉस्टल में रहने वाले कुछ छात्रों ने बताया कि उनमें से अधिकांश बहुत ज्यादा तनाव महसूस करते हैं. कई विद्यार्थियों ने बताया कि वे अपनी मानसिक उलझनों से निजात हासिल करने के लिए चिकित्सकों से दवाएं लेने लगे हैं.

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ऐसे विद्यार्थियों की संख्या भी काफी मिली जिन्होंने तनाव से मुक्ति पाने के लिए धूम्रपान शुरू कर दिया है. कुछ ड्रग्स भी लेने लगे हैं. उमर नाम के एक छात्र ने कहा, 'मेरी नींद पूरी नहीं हो पा रही है. मैं सिगरेट पीने लगा हूं. रोजगार की अनिश्चितता का असर अभी की पढ़ाई पर पड़ रहा है.'

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लाहौर में कई विश्व प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान हैं. इसके बावजूद शहर के विद्यार्थियों में बेचैनी और हताशा का यह आलम है. पाकिस्तान में अन्य जगहों पर खराब हालातों का इसी से अंदाज लगाया जा सकता है.

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पंजाब यूनिवर्सिटी के इनफॉरमेशन-टेक्नोलॉजी विभाग की छात्रा निमरा ने कहा, "सरकारी विश्वविद्यालयों के मुकाबले टॉप प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के छात्रों को नौकरी मिल जाती है. मैंने कई जगहों पर नौकरी के लिए अर्जी दी है, लेकिन कहीं से जवाब नहीं आया.'

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निमरा ने कहा, 'मैं गहरे डिप्रेशन का शिकार हो चुकी हूं. अपनी सारी उम्मीदें अब मैं खो चुकी हूं. मैं गांव से यहां पढ़ने के लिए आई थी. सोचा था कि पढ़कर परिवार का सहारा बनूंगी, लेकिन अब पढ़ाई पूरी होने वाली है, लेकिन कहीं से जॉब का ऑफर नहीं मिल रहा है.'

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पंजाब यूनिवर्सिटी की मनोविज्ञानी व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रफिया रफीक ने कहा कि करीब 60% विद्यार्थी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या से गुजर रहे हैं.

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