भारत-अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकी से चीन परेशान नजर आ रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत और अमेरिका के लोकतांत्रिक मूल्यों पर बयान दिया जिससे चीन को मिर्ची लग गई. चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता बुधवार को दोनों देशों को लोकतंत्र पर प्रवचन देते दिखे.
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भारत दौर पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत-अमेरिका जैसे लोकतंत्रिक देशों के लिए बढ़ते वैश्विक खतरे के बारे में बात की और कहा कि दोनों को लोकतांत्रिक आदर्शों का समर्थन करने के लिए साथ खड़ा होना चाहिए.
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असल में, बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ब्लूमबर्ग ने एंटनी ब्लिंकन के बयान को लेकर सवाल किया कि क्या अमेरिकी विदेश मंत्री ने चीन पर उंगली उठाई? इस पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने लोकतंत्र पर भावुक प्रवचन देना शुरू कर दिया. चीन में 1949 से बिना विपक्ष एक पार्टी की सत्ता बनी हुई है.
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झाओ लिजियन ने कहा, 'मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि लोकतंत्र मानवता का एक सामान्य मूल्य है. यह किसी देश का पेटेंट नहीं है. लोकतंत्र को साकार करने का तरीका एक निश्चित पैटर्न या केवल एक उत्तर के बिना विविध है. एक बहुदलीय राजनीतिक संरचना लोकतंत्र का एकमात्र रूप नहीं है और लोकतंत्र का इस्तेमाल टकराव को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा सकता है.'
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अमेरिका का नाम लिए बिना चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कुछ देश खुद के लोकतांत्रिक होने का दावा करते हैं, लेकिन वे अन्य मुद्दों के साथ नस्लीय भेदभाव, राजनीतिक ध्रुवीकरण की समस्याओं का सामना कर रहे हैं. क्या यह उस तरह का लोकतंत्र है जिस पर उन्हें गर्व है?'
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बहरहाल, अमेरिका पर निशाना साधने के बाद झाओ लिजियन भारत पर आ गए. भारत में चुनाव में धन के इस्तेमाल और बयानबाजी पर चीनी प्रवक्ता ने कई बातें कहीं. हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, झाओ लिजियन ने कहा, 'कुछ देशों में, पैसे के बिना आपको वोट नहीं मिल सकता. राजनीतिक दल अपने हितों को जनता से ऊपर रखते हैं. यह लोकतंत्र है या अमीरों का उत्थान? कुछ लोकतांत्रिक देशों में दूसरे लोगों का विकास अवरुद्ध होता है. ये लोकतंत्र है या आधिपत्य? क्या आप ऐसा लोकतंत्र चाहते हैं?'
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लिजियन झाओ ने कहा कि कौन सा देश लोकतांत्रिक है और कौन सा निरंकुश है, यह तय करने का तरीका एक निश्चित देश द्वारा तय नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'राजनीतिक व्यवस्था अच्छी है या नहीं, यह देखने का तरीका यह देखना है कि क्या यह समाज की प्रगति, बेहतर आजीविका मुहैया करा सकती है और क्या इसे लोगों का समर्थन हासिल है? क्या यह मानव जाति की प्रगति में योगदान दे सकती है?'
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जिस तरह से ब्लिंकन ने चीन का नाम नहीं लिया, उसी तरह चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी लोकतंत्र पर यह सब कहते हुए भारत या अमेरिका का नाम लिया है. लेकिन जिस समय और लहजे में उन्होंने ये बातें कहीं, उससे साफ था कि लोकतंत्र के मसले पर भारत-अमेरिका उसके केंद्र में थे.
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हालांकि, लिजियन झाओ के मुकाबले चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स में एक चीनी विश्लेषक ने भारत-अमेरिका पर ज्यादा ज्यादा स्पष्ट तरीके से निशाना साधा. चीन के सरकारी टैब्लॉइड ने एंटनी ब्लिंकन की भारत और अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन की चीन यात्रा पर टिप्पणी की. अखबार का कहना था कि अमेरिका चीन को रोकने के लिए भारत के जरिये अपनी चाल चल रहा है. अमेरिका 'इंडिया कार्ड' खेल रहा है. लेकिन भारत और अमेरिका के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
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बीजिंग फॉरेन स्टडीज यूनिवर्सिटी के लॉन्ग जिंगचुन ने कहा कि नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच एक बड़ी दरार अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस लेने का अमेरिका का फैसला है. अमेरिकी सैनिकों की वापसी से पिछले 20 वर्षों से इस क्षेत्र में भारत के निवेश को खतरा पैदा हो गया है.
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न्यूज एजेंसी एपी ने ब्लिंकन की भारत यात्रा पर लिखा, वॉशिंगटन ने चीन को अलग-थलग करने में भारत की मदद कर रहा है. अमेरिका की यह रणनीति किसी से छिपी नहीं है. दोनों देशों ने अपने सैन्य संबंधों को लगातार मजबूत किया है और एंटनी ब्लिंकन के दौरे पर रक्षा सौदों को लेकर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए हैं. अमेरिका और भारत क्वाड क्षेत्रीय गठबंधन का हिस्सा हैं जिसमें जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं और चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य ताकत पर इनका फोकस है. चीन ने क्वाड को अपनी महत्वाकांक्षाओं पर लगाम लगाने की कोशिश बताया है. एंटनी ब्लिंकन की भारत यात्रा अमेरिका के दूसरे नंबर के राजनयिक वेंडी शेरमेन के चीन दौरे के कुछ ही दिनों बाद हुई है.
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एंटनी ब्लिंकन ने क्या कहा? नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फेंस में एंटनी ब्लिंकन ने दोनों देशों के मजबूत रिश्तों को रेखांकित किया. एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत-अमेरिका सहित हर लोकतंत्र सतत विकास की प्रक्रिया में रहता है और हमारा मकसद है कि हम उन मूल्यों व आदर्शों को हासिल कर सकें जो हमने तय किए हैं. कभी कभी ये कठिन होता है मगर लोकतंत्र के तौर पर हम इसे खुले तौर पर करते हैं.
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एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि साझा हितों ने भारत और अमेरिका के संबंधों को मजबूत किया है. हमारी तरह भारत का लोकतंत्र भी इसके नागरिकों की स्वतंत्र सोच पर चलता है. हम इसकी सराहना करते हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री ने दोनों देशों के संबंधों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया में कुछ ही संबंध ऐसे हैं जो अमेरिका और भारत के बीच के रिश्ते से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. हम दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, हमारी विविधता हमारी राष्ट्रीय शक्ति को बढ़ाती है. हम दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं.
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