दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं में शुमार व्लादिमीर पुतिन रूस की खुफिया एजेंसी 'केजीबी' का हिस्सा रहे हैं. 80 के दशक भारतीय जासूस एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिसि विंग) रूस की केजीबी से कई कदम आगे निकल गई थी. एक नई किताब RAW, history of Indies covert operations में इसका खुलासा हुआ है. इसके लेखक यतीश यादव हैं जिन्होंने रॉ के एक सीक्रेट मिशन को लेकर कई बड़े खुलासे किताब में किए हैं.
किताब में दावा किया गया है कि 80 के दशक में भारतीय जासूस एंजेसी रॉ ने
रूस के दो लोगों को अपना सीक्रेट एजेंट बना लिया था. रॉ के इन दोनों
सीक्रेट एजेंट्स का उस वक्त की मिखाइल गोर्बाशेव कैबिनेट में विदेश मंत्री
रहे एडवर्ड एम्ब्रोसिएविच शेवार्डनाड्जे और रूस के मौजूदा राष्ट्रपति
व्लादिमीर से गहरा कनेक्शन था.
इस किताब में यतीश यादव ने रॉ के एक
ऑफिसर अशोक खुराना (कोडनेम) के बारे में बताया है, जिन्होंने लगभग एक दशक
तक चले सीक्रेट ऑप्रेशन के लिए सोवियत के दो जासूसों को तैयार किया था.
किताब में किसी भी व्यक्ति विशेष के असली नाम का खुलासा नहीं किया है. सभी
को कोडनेम दिया गया है. इसके बावजूद यादव ने बतौर लेखक किताब में जो संकेत
दिए हैं, वो ये समझने के लिए काफी हैं कि इनमें से एक जासूस एडवर्ड
शेवार्डनाड्जे का भाई था. जबकि रॉ के लिए काम करने वाली दूसरी जासूस
व्लादिमीर पुतिन की एक्स गर्लफ्रेंड थी.
कैसे शुरू हुआ ऑपरेशन?
इसकी शुरुआत
नवंबर 1988 में हुई थी, जब सोवियन यूनियन के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाशेव
भारत दौरे पर आए थे. इस दौरे को लेकर यादव लिखते हैं, 'रॉ के अशोक खुराना
की मुलाकात 'एलेक्जेंड्रे' नाम के शख्स से हुई थी. यह रशिया के एक बड़े
नेता के भाई थे, जो इस दौरे पर गोर्बाशेव के साथ भारत आए थे.' इस दौरे पर
गोर्बाशेव के साथ उनके विदेश मंत्री एडवर्ड शेवार्डनाड्जे साथ थे.
यतीश
यादव लिखते हैं, कुछ महीनों बाद अशोक खुराना के संपर्क में एलेक्जेंड्रे
के अलावा अनास्तासिया कोर्किया भी आईं. अनास्तासिया उस वक्त 'एलेक्सी' को
डेट कर रही थीं, जो कि खुफिया एजेंसी FSB (फेडरल सिक्योरिटी सर्विस) में
शीर्ष पद पर था. किताब के मुताबिक, अशोक खुराना एलेक्जेंड्रे और अनास्तासिया दोनों के साथ लगातार संपर्क में थे.
साल 1989 के आखिरी छह महीनों
में एलेक्जेंड्रे और अनास्तासिया दोनों रॉ एजेंट के रूप में काम करने के लिए
तैयार हो गए. जून 1990 में बर्लिन की दीवार गिरने से कुछ महीनों पहले ही
खुराना ने अमेरिका और सोवियत के यूनाइटेड जर्मनी के लिए बनाए गए रोडमैप को
तैयार कर लिया था. इसके बाद ऑपरेशन Azalea की शुरुआत हुई.
इस ऑपरेशन
के दौरान रॉ को कई अहम और खुफिया जानकारियां मिलीं. अमेरिका-सोवियत का
'जर्मनी रीयूनिफिकेशन' पर प्लान, न्यूक्लियर टेस्टिंग पर रूस की योजना,
आतंकवाद के खिलाफ नीति और मॉस्को का चीन और पाकिस्तान की तरफ रुख जैसी कई
खास जानकारियां इसमें शामिल थीं.
पुतिन से क्या है कनेक्शन?
यादव
ने अपनी किताब में अनास्तासिया कोर्किया के जिस ब्वॉयफ्रेंड का जिक्र किया
है, वो FSB में किसी बड़े पद पर था जिसने 2000 में प्रमोटेड होने से पहले
1999 में रूस के मामलों का संचालन किया. यह समय सीमा रूस के राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिन के करियर से काफी मैच होती है. पुतिन 1998-1999 में FSB के
प्रमुख थे. साल 1999 में वे रूस के प्रधानमंत्री बने और 2000 में
राष्ट्रपति का पदभार संभाला.
रॉ का ऑपरेशन Azalea साल 2001 में बंद
हो गया. अशोक खुराना के लिए यह ऑपरेशन बड़े पैमाने पर विजय और विफलता दोनों
में समाप्त हुआ. अपनी इस किताब में यादव ने ऑपरेशन खत्म होने के कुछ साल
बाद खुराना से एलेजक्जेंड्रे की 2004 में बर्लिन में हुई मुलाकात का भी
जिक्र किया है.
किताब के मुताबिक, एलेक्जेंड्रे आए और उन्होंने
खुराना की पीठ थपथपाई. 'एलेक्जेंड्रे को देखकर मैं थोड़ा खुश और थोड़ी शर्मिंदगी
महसूस कर रहा था. इसके बाद उन्होंने चुपके से मेरे कान में कहा, 'हम 2001
में हुए संसद हमले को भी रोक सकते थे.' उनका मतलब था कि अगर वे अभी भी रॉ के
लिए काम कर रहे होते तो 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले को नाकाम कर सकते
थे.
खुराना का कहना है कि ऐसी घटनाएं अक्सर हमें वो गलतियां याद
दिलाती हैं, जो हमसे अतीत में हुई हैं. 13 दिसंबर को हमारे बहादुर
सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर बार उनके शब्दों ने मुझे
परेशान किया.