चीन ने ताइवान की खाड़ी में अपने सबसे खतरनाक रॉकेट फोर्स (Rocket Force) को उतार दिया है. यानी सिर्फ और सिर्फ मिसाइलों से हमला करने की पूरी तैयारी. इस फोर्स का पूरा नाम है पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (People's Liberation Army Rocket Force - PLARF). ये अमेरिका, रूस, भारत और यूरोप के स्ट्रैटेजिक मिसाइल कमांड या फोर्स की तरह ही काम करती है. आइए जानते हैं कि इस फोर्स की ताकत को... (फोटोः रॉयटर्स)
चीन के रॉकेट फोर्स (Rocket Force) का गठन 56 साल पहले किया गया था. तब इसका नाम सेकेंड आर्टिलरी कॉर्प्स था. इस फोर्स में जमीन से मार करने वाली मिसाइलों को ही शामिल किया गया है. खास तौर से बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें. जो पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं. इस फोर्स में कम दूरी से लेकर लंबी दूरी तक की बैलिस्टिक मिसाइल तो हैं ही. अत्याधुनिक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल डॉन्गफेंग-ZF (DF-ZF) हथियार भी है. (फोटोः रॉयटर्स)
बताया जाता है कि इस फोर्स के पास इस समय 320 परमाणु हथियार हैं. हालांकि ये नहीं पता है कि इनमें से कितने एक्टिव हथियार हैं. कितने तैनात करने की स्थिति में हैं. या तैनात हैं. चीन के पास इस रॉकेट फोर्स (Rocket Force) में अभी 50-75 ICBM यानी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें हैं. हालांकि चीन के पास कुल 90 ICBM हैं. पेंटागन के अनुसार कम दूरी की 1200 SRBM पारंपरिक हथियारों से लैस हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
दूसरी तरफ 200 से 300 मध्यम दूरी की MRBM की मिसाइलें इस रॉकेट फोर्स (Rocket Force) में हैं. इंटरमीडिएट-रेंज की कितनी मिसाइलें चीन के पास हैं, इसके आइडिया किसी भी देश को नहीं है. लेकिन इतना जरूर पता है कि 200 से 300 जमीन से लॉन्च की जाने वाली क्रूज मिसाइलें इस फोर्स का हिस्सा हैं. चीन अपने DF-ZF हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल का उपयोग ताइवान के लिए नहीं करेगा. क्योंकि इसकी गति 6173 से 12,360 किमी प्रतिघंटा के बीच है. ताइवान इतनी दूर नहीं है कि इस घातक हथियार का उपयोग किया जाए. ये फिलहाल परीक्षण की स्थिति में है. (फोटोः एपी)
इसके अलावा चीन के रॉकेट फोर्स (Rocket Force) में DF-41, DF-31B, DF-31A, DF-31, DF-5C, DF-5B, DF-5A, DF-4 की कुल मिलाकर 90 ICBM मिसाइलें हैं. इनमें से 75 के आसपास इसी फोर्स में हैं. चीन ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि उसके पास इंटरमीडिएट रेंज की कितनी मिसाइलें हैं. लेकिन एक अंदाज के अनुसार इस फोर्स के पास 200 DF-26 IRBM हैं. जिनका उपयोग वह ताइवान पर तेज गति में हमला करने के लिए कर सकता है. क्योंकि ICBM मिसाइलों का उपयोग भी ताइवान के लिए सही नहीं होगा. (फोटोः गेटी)
चीनी रॉकेट फोर्स (Rocket Force) के पास DF-21, DF-21D एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल, DF-21C, DF-21A, DF-17 और DF-16 नाम की मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइलें (MRBM) हैं. माना जाता है कि चीन के पास कुल मिलाकर ऐसी 250 से 300 मिसाइलें हैं. इनका उपयोग भी ताइवान के लिए उपयुक्त नहीं होगा, क्योंकि इनकी रेंज और गति काफी ज्यादा है. (फोटोः गेटी)
ताइवान के खिलाफ अपने रॉकेट फोर्स के जरिए चीन अगर सबसे ज्यादा किसी मिसाइल का उपयोग कर सकता है तो वह है शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइलें (SRBM). चीन के पास DF-15C, DF-15B, DF-15A, DF-11A, M20, BP-12A, P-12 और B-611M जैसी SRBM मिसाइलें हैं. बताया जाता है कि चीन के पास कुल ऐसी 2000 से ज्यादा मिसाइलें हैं. लेकिन रॉकेट फोर्स (Rocket Force) के पास करीब 1200 ऐसी मिसाइलें हैं. ये मिसाइलें ताइवान के खिलाफ हमले में चीन के लिए सबसे सटीक साबित होंगी. (फोटोः गेटी)
चीन के रॉकेट फोर्स (Rocket Force) के पास दो तरह की क्रूज मिसाइलें भी हैं. ये हैं- CJ-10A. ये 500 की संख्या में मौजूद हैं. दूसरे इसी के पूर्व वंशज मिसाइलें हैं. कुल मिलाकर 3000 क्रूज मिसाइलें चीन के पास बताई जाती हैं. चीन इससे पहले 1995-1996 में भी ताइवान के चारों तरफ मिसाइलों की टेस्टिंग कर चुका है. जिसकी वजह से उस समय भी तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी. अमेरिका ताइवान के साथ खड़ा हो गया था. (फोटोः एपी)
ताइवान के पास चीन के रॉकेट फोर्स (Rocket Force) का सबसे बड़े अड्डे फुजियान और गुआंगडोंग प्रांत में है. ये अड्डे तीन तरफ से ताइवान पर हमला करने में सक्षम हैं. फुजियान और गुआंगडोंग में शॉर्ट रेंज की DF-11A मिसाइलें हैं. यानी ताइवान पर हमला करने के लिए इन अड्डों का सबसे ज्यादा उपयोग किया जा सकता है. यहीं से मिसाइलें निकल कर ताइवानी टारगेट्स पर हमला कर सकती हैं. (फोटोः गेटी)
चीन के रॉकेट फोर्स (Rocket Force) में कुल मिलाकर 1.20 लाख जवान हैं. आमतौर पर चीन की ICBM मिसाइलें ट्रकों पर लगे लॉन्चर में रहती हैं. ये ट्रक गुफाओं में छिपाए जाते हैं. चीन की पीपुल्स लिबरेशन ऑर्मी रॉकेट फोर्स ही लंबी दूरी की मिसाइलों का संचालन करती है. जमीन में बने पुराने साइलो में सिर्फ 18-20 DF-5 ICBM मिसाइल रखे हैं. इसके अलावा रक्षा विशेषज्ञों ने चीन के उत्तर मध्य में स्थित एक खेत में 16 साइलो देखे हैं. चीन ने पहले ही यह बात स्पष्ट कर दी है कि वो इन हथियारों को लेकर किसी तरह के अंतरराष्ट्रीय दबावों में नहीं आएगा. (फोटोः रॉयटर्स)