पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अपने देश के आर्थिक संकट का समाधान भारत से दोस्ती में दिख रहा है. तमाम शिकायतों के बावजूद इमरान खान ने उम्मीद जताई है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सामान्य होने के बाद पाकिस्तान को आर्थिक वृद्धि के तमाम मौके मिलेंगे.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दावोस में चल रही वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं. दावोस में इमरान खान ने इंटरनेशनल मीडिया काउंसिल को एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के आर्थिक संकट, भारत-पाकिस्तान के रिश्ते, ईरान-अमेरिका टकराव समेत तमाम मुद्दों पर बातचीत की.
पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति पर जोर देते हुए इमरान ने कहा कि उनके देश में
व्यापार की अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा, जिस पल भारत-पाकिस्तान के
संबंध सामान्य होते हैं, दोनों देशों के बीच व्यापार भी शुरू हो जाएगा और
तब आर्थिक वृद्धि के तमाम मौके उभरेंगे.
पाकिस्तान को दुनिया के किसी भी देश से कश्मीर मुद्दे पर खुलकर समर्थन नहीं मिल रहा है, ऐसे में इमरान ने दावोस से ही अपना प्रोपेगैंडा प्रचारित करने की कोशिश की. इमरान ने भारत में हो रहे घटनाक्रमों को लेकर चिंता जताई और मौजूदा सरकार की जर्मनी के नाजियों से तुलना की. इमरान ने कहा कि पाकिस्तान और भारत भले ही सीधे संघर्ष के करीब नहीं हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका को दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने से पहले हस्तक्षेप करना चाहिए.
इमरान ने कहा, दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच आप संघर्ष को बढ़ने नहीं दे सकते हैं, इसीलिए यूएन और अमेरिका को हस्तक्षेप करने की जरूरत है. इमरान ने यह भी मांग की कि एलओसी पर यूएन के पर्यवेक्षकों को भेजने की अनुमति दी जाए.
इमरान खान ने कहा, 2018 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर मैंने दीवार तोड़ने की कोशिश की थी लेकिन जब भारत की बालाकोट स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो गए. जब नई दिल्ली ने अगस्त महीने में कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया तो हालात और बदतर हो गए.
इमरान ने माना कि उनकी सरकार के आर्थिक सुधारों की वजह से जनता परेशान हो रही है लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि 2020 में लोगों के लिए आर्थिक प्रगति लेकर आएगा और रोजगार पैदा होगा.
इमरान खान वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मंच से दुनिया को संदेश देने की कोशिश की कि उनकी सरकार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. इमरान ने कहा, 80 के दशक की परंपरा को कायम रखते हुए हमारे यहां तमाम चरमपंथी संगठन ऑपरेट कर रहे थे. लेकिन ये पहली सरकार थी जिसने चरमपंथियों के हथियार जब्त कर उनके पुनर्वास का प्रबंध किया.
इमरान ने बताया कि आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान की सरकार निवेश आकर्षित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में 60 के दशक में पाकिस्तान सबसे तेजी से प्रगति करने वाले देशों में शामिल था. दुर्भाग्य से, 70 के दशक में हम अपने रास्ते से भटक गए और हमारी औद्योगिक प्रगति को नुकसान पहुंचा.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अध्यक्ष बॉर्ज ब्रेंडे के साथ बातचीत में इमरान खान ने कहा कि 9/11 के हमले के बाद से 2019 पाकिस्तान के लिए सबसे सुरक्षित साल रहा और यह बात देश के पर्यटन में ग्रोथ से भी साबित हुई. अफगान शांति वार्ता की अहमियत को बताते हुए पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि देश में जो भी पर्यटक आते हैं, वे ज्यादातर अफगानिस्तान से ही आते हैं.
अमेरिका-ईरान के मौजूदा टकराव को लेकर इमरान ने बताया कि पाकिस्तान दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की कोशिशें कर रहा है. उन्होंने कहा कि ईरान
और अमेरिका के बीच किसी भी तरह का संघर्ष पाकिस्तान व विकासशील देशों के
लिए घातक साबित होगा. इमरान ने कहा कि उन्होंने ट्रंप के साथ मुलाकात में
भी अपना ये डर जाहिर किया था. क्या ट्रंप आपकी चिंता से सहमत हुए? इस सवाल पर
इमरान खान ने कहा कि ट्रंप ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी.