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'दुनिया खत्म हो रही, सरकार ने दिया धोखा'- ग्लोबल वॉर्मिंग यूं कर रहा युवाओं को डिप्रेस

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST
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चीन में हजार सालों की सबसे मूसलाधार बारिश, जर्मनी में सात सौ सालों में सबसे भयावह बाढ़, अमेरिका और कनाडा में 50 डिग्री को पार करती चिलचिलाती गर्मी, ये कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो पिछले कुछ हफ्तों में दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में देखने को मिली हैं जो साफ करता है कि जलवायु परिवर्तन के सामने पावरफुल देश भी घुटने टेकने को मजबूर हैं और अब दुनिया के कई युवा इसी बेबसी के चलते डिप्रेस हो रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज का असर सिर्फ अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर पर ही नहीं बल्कि अब लोगों के दिमाग पर भी पड़ रहा है. एक नए ग्लोबल सर्वे के मुताबिक, ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज ने युवाओं को बेचैन करने का काम किया है. इस सर्वे में भाग लेने वाले 60 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे पिछले कुछ सालों में मौसम से जुड़ी भयावह घटनाओं से नकारात्मक तौर पर प्रभावित हुए हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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वही 45 प्रतिशत से अधिक लोगों का कहना था कि क्लाइमेट चेंज अब उनकी रोजाना की जिंदगी और गतिविधियों को प्रभावित कर रहा है. इनमें से तीन-चौथाई लोगों का मानना था कि उन्हें भविष्य को लेकर बहुत अधिक उम्मीदें नहीं हैं. 56 प्रतिशत लोगों का मानना है कि विज्ञान की अभूतपूर्व तरक्की के बावजूद उन्हें मानवता का भविष्य उज्जवल नजर नहीं आ रहा है.(प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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इस सर्वे को बाथ यूनिवर्सिटी ने पांच यूनिवर्सिटीज के साथ मिलकर 10 देशों में कराया है. इस सर्वे की फंडिंग को कैंपेन और रिसर्च ग्रुप आवाज ने की है. दावा किया जा रहा है कि ये क्लाइमेट चेंज को लेकर अब तक सबसे बड़ा सर्वे है जिसमें 16 से 25 साल के दस हजार लोगों ने भाग लिया है.  (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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इनमें कई लोगों का कहना था कि वे अपना भविष्य सकारात्मक नहीं देख पा रहे हैं और दुनिया भर की सरकारों ने लोगों को धोखा दिया है और वे सही समय पर क्लाइमेट चेंज को रोकने में नाकाम रहे हैं. इस सर्वे में शामिल हुए 16 साल के एक शख्स का कहना था कि पर्यावरण की सुरक्षा अब ऐसा मुद्दा नहीं रह गया है जिस पर आप अपने दोस्तों के बीच चिंता जताकर भूल जाएं.(प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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उन्होंने आगे कहा कि अब ये एक बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है और मेरी तरह ही ये कई लोगों के लिए अब काफी पर्सनल मुद्दा है. मुझे ऐसा भी लगता है कि हमारी सरकारें और हमारी पिछली जनरेशन ने इस मुद्दे को काफी हल्के में लिया है जिसका खामियाजा आगे आने वाले लोगों को भुगतना पड़ेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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इस सर्वे में सामने आया कि 10 में से 4  युवा अब बच्चे पैदा करना नहीं चाहते हैं क्योंकि वे अपने बच्चों को त्रासदी भरे हालात में नहीं रखना चाहते हैं. वही एक टीनेजर का कहना था कि मैं मरना नहीं चाहता हूं लेकिन मैं एक ऐसी दुनिया में भी नहीं रहना चाहता हूं जहां मुझे रोज जानवरों और बच्चों और लोगों पर क्रूरता से जुड़ी खबरें देखने को मिलती हों. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
 

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कई लोगों का ये भी कहना था कि क्लाइमेट चेंज के चलते कई विकासशील देशों में लोग मानसिक और शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे हैं. गौरतलब है कि इस सर्वे को डेटा एनालिटिक्स फर्म केंटार ने यूके, फिनलैंड, फ्रांस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल, ब्राजील, भारत, फिलीपींस और नाइजीरिया में कराया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
 

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