
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग 13 दिन में ही खत्म हो गई थी. पाकिस्तान ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया था. इस जंग से 16 दिसंबर 1971 को एक नया देश बांग्लादेश बना. बांग्लादेश के बनने के अगले ही दिन अमेरिका के तब के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन (Richard Nixon) से उनके सलाहकर हेनरी किसिंजर (Henry Kissinger) ने कहा था 'पश्चिमी पाकिस्तान को बचा लिया गया.' इस बात का खुलासा अमेरिकी सरकार के खुफिया दस्तावेजों से हुआ है.
पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना के जनरल एएके नियाजी (AAK Niazi) के समर्पण करने और भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की ओर से संघर्ष विराम की घोषणा के लगभग 16 घंटे बाद यानी 17 दिसंबर को किसिंजर ने निक्सन को फोन कर कहा, 'बधाई हो मिस्टर प्रेसिडेंट. आपने पश्चिमी पाकिस्तान बचा लिया.'
निक्सन और किसिंजर के बीच हुई बातचीत को और समझाते हुए बांग्लादेश में पूर्व भारतीय राजदूत पिनाक आर चक्रवर्ती (Pinak R Chakravarty) ने न्यूज एजेंसी को बताया कि उस समय किसिंजर 'संदिग्ध भूमिका' में थे. चक्रवर्ती इस समय 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति पर एक किताब लिख रहे हैं. उन्होंने बताया, 'उनका (अमेरिकी सरकार) मकसद पाकिस्तान को बिचौलिये की तरह इस्तेमाल कर चीन से दोस्ती करना था.'
युद्ध से साढ़े 8 महीने पहले 29 मार्च 1971 को किसिंजर ने इसी तरह के टेलीफोन कॉल में निक्सन को कहा था कि पाकिस्तान पूर्व में हो रहे विद्रोह को रोकने में कामयाब होगा और ये जिस तरह भारत पर ब्रिटिश ने आक्रमण किया था, ठीक उसी तरह का उदाहरण बनेगा.
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अमेरिका के तत्कालीन नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर ने 26 मार्च 1971 को निक्सन को बताया था कि 'जाहिर है याह्या ने पूर्वी पाकिस्तान पर नियंत्रण पा लिया है. सबको लगता था कि 30 हजार लोग (पाकिस्तानी सेना) 75 मिलियन लोगों (बांग्लादेश की आबादी) पर काबू नहीं पा सकते. लेकिन अब सब शांत लग रहा है.' हालांकि, राष्ट्रपति निक्सन ने इसे सामान्य बताया था. उन्होंने कहा था कि अंग्रेजों की छोटी से सेना ने भी भारत पर कब्जा कर लिया था. स्पेनिश ने भी इंकास पर कब्जा कर लिया था.
भारत में बांग्लादेश के पूर्व उच्च आयुक्त तारिक करीम ने कहा कि अमेरिकी उस समय की स्थिति को पढ़ने में नाकाम रहे. उन्होंने बताया कि 8 दिसंबर को जब पाकिस्तानी सेना पूर्वी पाकिस्तान में भारतीय सेना और बांग्लादेशी मुक्ति वाहिनी के लोगों के सामने ढह रही थी तो उस समय निक्सन और किसिंजर इन हालातों को बदलने की कोशिश कर रहे थे. किसिंजर ने निक्सन को बताया कि ईरान ने उनके लिए संदेश भेजा है कि वो पाकिस्तान को हथियार भेज रहा है. उन्होंने ये भी बताया कि उस समय ईरान ने जॉर्डन को भी इजरायल से सुरक्षा के लिए लड़ाकू विमान भेजे थे, जबकि जॉर्डन पाकिस्तान को लड़ाकू विमान भेज रहा था.
अमेरिका के तत्कालीन एनएसए ने किसिंजर को चेतावनी दी थी कि भारतीय सेना पश्चिमी पाकिस्तान पर हमला कर सकती है. भारतीय सेना अब पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ रही है. वो पाकिस्तान की सेना को तबाह कर देंगे और कश्मीर के उस हिस्से को वापस ले लेंगे, जिस पर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है. उन्होंने ये भी कहा था कि अगर ऐसा होता है तो बलूचिस्तान और नॉर्थवेस्ट फ्रंटियर के लोग जश्न मनाएंगे और पश्चिमी पाकिस्तान नया अफगानिस्तान बन जाएगा.
चेतावनियों का असर दिखा और राष्ट्रपति निक्सन ने युद्ध प्रभावित इलाकों से अमेरिकी नागरिकों को निकालने के लिए नौसेना के USS एंटरप्राइज जहाज को वियतनाम के रास्ते भेजा. 75 हजार टन की परमाणु क्षमता वाला ये एयरक्राफ्ट उस समय सबसे ताकवर था. जबकि भारत के पास आईएनएस विक्रांत ही था.
बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेना कर्नल काजी सज्जाद अली जाहिर (रिटायर्ड) को इसी साल भारत ने पद्मश्री से सम्मानित किया है. उन्होंने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति रहे रॉबर्ट कैनेडी के भाई टेड कैनेडी जैसे डेमोक्रेट हमारे साथ थे लेकिन रिपब्लिकन नहीं. उन्होंने कहा कि बंगाल की खाड़ी में अमेरिकी नौसेना के आने से युद्ध प्रभावित नहीं होता क्योंकि पश्चिम का मुकाबला करने के लिए रूस ने भी अपने बेड़े भेज दिए थे.
1972 में किसिंजर ने अमेरिकी राष्ट्रपति से कहा था, 'कोई इस बात को समझ नहीं पाया कि हमने भारत-पाकिस्तान में क्या किया और हमने रूसियों से निपटने के लिए जिस चीन की जरूरत थी, उस विकल्प को कैसे बचाया?'