
अमेरिका में अब जो बाइडेन राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं. इसके अलावा कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति चुना गया है. वहीं भारत-अमेरिका के बीच हुई न्यूक्लियर डील एक ऐसा मोड़ था, जहां से भारत और अमेरिका के संबंध प्रगाढ़ होते चले गए थे. तब जो बाइडेन ने ही इस डील को करने में सबसे अहम भूमिका निभाई थी.
1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भारत में पोखरण में परमाणु परीक्षण किए तब अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में इसको लेकर अपना पक्ष भी रखा था. तब भारत अमेरिका के निशाने पर था और बाइडेन भी इसको लेकर बेहद नाखुश थे. लेकिन बाद में उन्होंने ये बयान दिया- 'भारत के रुख को लोगों ने गलत समझा. भारत ऐसा देश नहीं है जो परेशानी करेगा वो लीबिया, नॉर्थ कोरिया या इराक नहीं है.'
बाइडेन क्लिंटन काल से ही भारत-अमेरिकी संबंधों के पक्षधर रहे हैं. अब बतौर राष्ट्रपति वो संबंधों को नई गति दे सकते हैं. ये भारत भी जानता है कि कुछ मुद्दों पर शायद दोनों देशों को दोबारा काम करने की जरूरत पड़ सकती है. लेकिन जो होगा वो दोनों देशों के हित में होगा.
हालांकि बाइडेन नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर भारत की नीतियों से बहुत इत्तेफाक नहीं रखते. वहीं अनुच्छेद 370 पर कमला हैरिस का रुख मोदी सरकार से हटकर है. लेकिन भारत अपने आंतरिक मामलों और संप्रभुता की रक्षा के साथ रिश्तों को निभाना जानता है.